SIR Process in UP: 4 नवंबर से चल रही मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया में सुस्ती के कारण मतदाताओं की बेचैनी बढ़ गई है। कई वार्डों और मोहल्लों में BLO के न पहुंचने से लोग अपने नाम वोटर लिस्ट में जुड़ने या कटने को लेकर परेशान हैं।
Voters concern sir process complaints UP: विधानसभा चुनाव की तैयारी के तहत 4 नवंबर से चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में धीमी रफ्तार ने मतदाताओं में असमंजस और चिंता बढ़ा दी है।
कई वार्डों और मोहल्लों में अभी तक बूथ लेवल अधिकारी (BLO) का न पहुंचना लोगों को अपने नाम जुड़ने या कटने को लेकर सशंकित कर रहा है। मतदाताओं की चिंता इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि बिहार चुनाव से पहले पुनरीक्षण में 65 लाख नाम काटे गए थे, जिससे आशंका और भय का माहौल है।
पुनरीक्षण शुरू होने से पहले जिला निर्वाचन अधिकारी अनुज सिंह की अध्यक्षता में राजनीतिक दलों से सहयोग की अपील की गई थी तथा बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) नामित करने को कहा गया था, ताकि पारदर्शिता के साथ कार्य पूरा हो सके।
लेकिन कई राजनीतिक दल इसमें गंभीरता नहीं दिखा रहे, जिससे मतदाता पूरी तरह BLO की उपलब्धता पर निर्भर हैं। हालांकि भाजपा द्वारा शिविर लगवाकर गणना प्रपत्र भरवाने में मदद की जा रही है, पर इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों और कई वार्डों में BLO न पहुंचने से मतदाताओं की चिंता बढ़ती जा रही है।
सबसे बड़ा तनाव जिलावासियों में 2003 की मतदाता सूची को लेकर है। यदि नाम उस सूची में नहीं मिलता तो माता-पिता का EPIC नंबर देना आवश्यक है। उधर, निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर वोटर लिस्ट डाउनलोड करने में कई खामियां सामने आ रही हैं, कभी सूची ओपन नहीं हो रही, तो कभी बीच के पेज गायब मिल रहे हैं, जिससे मतदाता असमंजस में पड़ रहे हैं। हालांकि अधिकारी मतदाताओं को घबराने की आवश्यकता नहीं होने का आश्वासन दे रहे हैं।
अपर जिलाधिकारी एवं उप जिला निर्वाचन अधिकारी संगीता गौतम ने बताया कि यदि मतदाता का नाम 2003 की सूची में नहीं है, तो उन्हें परिवार के बड़े सदस्यों का EPIC नंबर या 11 पहचान विकल्पों में से कोई एक दस्तावेज देना होगा। उन्होंने बताया कि पूरी प्रक्रिया निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर ऑनलाइन भी की जा सकती है, जिससे समय बचाया जा सकता है।
अपर जिलाधिकारी संगीता गौतम ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि कोई मतदाता दो या अधिक मतदेय स्थलों/विधानसभाओं में गणना प्रपत्र भरकर BLO को जमा करता है, तो यह दंडनीय अपराध माना जाएगा।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 31 के तहत ऐसे दोषी मतदाता को 1 वर्ष की जेल, जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है। उन्होंने अपील की कि मतदाता एक ही स्थान पर फॉर्म जमा करें, क्योंकि गलत जानकारी के लिए स्वयं मतदाता ही जिम्मेदार होगा।