Marathi Row : मनसे प्रमुख राज ठाकरे के निर्देश पर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मराठी भाषा के मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाया था। इस आंदोलन के दौरान मराठी न बोल पाने पर कुछ लोगों के साथ बदसलूकी और मारपीट भी की गई।
Raj Thackeray MNS : महाराष्ट्र में राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) द्वारा मराठी भाषा को लेकर शुरू किए गए आंदोलन ने सूबे में राजनीतिक हलचल बढ़ा दी। ठाकरे के निर्देश पर मनसे पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने मुंबई, ठाणे, पुणे समेत राज्य के विभिन्न हिस्सों में मौजूद बैंकों में जाकर मराठी भाषा के उपयोग को लेकर जोर दिया। इस दौरान कुछ जगहों पर बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ बदसलूकी और मारपीट भी की गई। इसे लेकर बैंक कर्मचारी यूनियन राज ठाकरे पर भड़क गए और आंदोलन की चेतावनी देने के साथ ही सरकार से सुरक्षा की मांग की। इसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी साफ कहा कि राज्य में मराठी के समर्थन में आंदोलन करना गलत नहीं है, लेकिन इस दौरान कोई कानून का उल्लंघन करता है तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और कार्रवाई की जाएगी।
हाल के दिनों में मराठी न बोल पाने वाले अमराठी लोगों के साथ मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा बदसलूकी और मारपीट की घटनाएं भी सामने आईं, जिससे राज ठाकरे की मनसे का यह आंदोलन तेजी से विवादों में घिर गया।
मराठी भाषा को लेकर मनसे का यह आक्रामक रूप ऐसे समय में सामने आया जब मुंबई समेत राज्यभर में स्थानीय निकाय चुनाव होने है। उधर, अक्टूबर-नवंबर में बिहार में विधानसभा चुनाव भी होने की उम्मीद हैं।
गौरतलब है कि हाल के चुनावों में बीजेपी और मनसे करीब आए हैं। पिछले साल लोकसभा चुनाव में राज ठाकरे ने बीजेपी का समर्थन किया था, जबकि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कुछ सीटों पर मनसे के प्रति नरमी दिखाई थी।
मराठी अस्मिता को लेकर उठाए गए इस मुद्दे से बीजेपी असहज स्थिति में आ गई थी, क्योंकि महाराष्ट्र के बैंकों में देश के अलग-अलग राज्यों से आए कर्मचारी, विशेषकर बिहार और उत्तर भारत के युवा बड़ी संख्या में कार्यरत हैं। यदि मनसे का आंदोलन और तेज होता और किसी हिंदी भाषी के साथ हिंसा होती, तो बीजेपी को इसका खामियाजा सीधे तौर पर निकाय चुनाव के साथ ही बिहार चुनाव में भी भुगतना पड़ता था।
इस बीच, शनिवार को राज ठाकरे ने अचानक एक पत्र जारी कर अपने कार्यकर्ताओं को फिलहाल आंदोलन रोकने का आदेश दे दिया। यह फैसला बीजेपी के लिए एक बड़ी राहत बनकर आया, क्योंकि महाराष्ट्र में सत्ता में होने के कारण किसी भी तरह की अराजकता का सीधा असर पार्टी की छवि पर पड़ सकता था। खासकर ऐसे वक्त में जब बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है और वह नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के साथ मिलकर फिर से सत्ता में वापसी की रणनीति बना रही है। ऐसे में राज ठाकरे के फैसले से बीजेपी ने राहत की सांस ली है।
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने शनिवार को बैंकों और अन्य संस्थानों में मराठी भाषा के अनिवार्य उपयोग को लेकर चल रहे आंदोलन को रोकने का निर्देश अपने कार्यकर्ताओं को दिया। उन्होंने पत्र में लिखा है, "मैंने मुख्यमंत्री का एक बयान देखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। हमें भी कानून अपने हाथ में लेने में कोई रुचि नहीं है, लेकिन सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह कानून का पालन करे। मैं सरकार से यही अपेक्षा करता हूं कि राज्यभर के सभी संस्थानों में मराठी भाषा के उपयोग से संबंधित कानून का पालन किया जाए।"