मुंबई

BMC चुनाव में घमासान: अरुण गवली की बेटी और भाभी में सीधा मुकाबला, विरोधी हुए खुश

Arun Gawli : वंदना गवली और योगिता गवली ने सोशल मीडिया पर मुंबई वार्ड नंबर 207 के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी है। इस बार अरुण गवली की दोनों बेटियां चुनाव मैदान में उतरेंगी।

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Nov 26, 2025
अरुण गवली (Photo: IANS/File)

मुंबई नगर निगम चुनाव (BMC Election) जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक हलचल भी तेज होती जा रही है। सभी दलों ने अपनी तैयारी बढ़ा दी है। राज ठाकरे की मनसे और उद्धव ठाकरे की शिवसेना उबाठा के संभावित गठबंधन ने इस चुनाव को पहले ही दिलचस्प बना दिया है। लेकिन उसके बाद चुनाव में एक और दिलचस्प मोड़ आया, जहां अंडरवर्ल्ड से राजनीति तक पहचान बना चुके अरुण गवली का परिवार चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बार चुनावों में गवली परिवार में ही चुनावी जंग छिड़ने वाली है। माना जा रहा है कि यह स्थिति शिवसेना के शिंदे गुट से जुड़े बदलाव की वजह से बनी है।

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रिश्तों के बीच राजनीति की जंग

गैंगस्टर से राजनेता बने अरुण गवली ने पहले ही कहा है कि वह अब सक्रिय राजनीति में नहीं उतरेंगे। लेकिन उनकी अखिल भारतीय सेना मुंबई महानगरपालिका चुनाव (BMC) में मैदान में उतरेगी। गवली की बड़ी बेटी और पूर्व पार्षद गीता गवली के नेतृत्व में यह चुनाव लड़ा जाएगा।

अरुण गवली की छोटी बेटी योगिता गवली और उनकी भाभी वंदना गवली इस बार एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में होंगी। दोनों ने वार्ड नंबर 207 से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी है। योगिता पहली बार चुनावी मैदान में उतरेंगी, जबकि वंदना गवली पहले पार्षद रह चुकी हैं और इस बार वह शिवसेना के शिंदे गुट के टिकट पर चुनाव लड़ सकती हैं। यहीं से इस मुकाबले की दिशा बदली, क्योंकि वह घर की पार्टी को छोड़कर विरोधी पार्टी में शामिल हुई। 

गवली परिवार के तीन चेहरे एक साथ मैदान में

गवली परिवार की मौजूदगी यहीं तक सीमित नहीं है। अरुण गवली की छोटी बेटी और भाभी के साथ- साथ उनकी बड़ी बेटी गीता गवली भी चुनावी मैदान में उतर रही हैं। गीता पहले से राजनीति में सक्रिय हैं और मुंबई नगर निगम में पार्षद रह चुकी हैं।

गवली जेल से बाहर, लेकिन राजनीति से दूर

भायखला इलाके में खासकर दगड़ी चॉल परिसर में कई सालों से अरुण गवली और उनकी पार्टी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। लेकिन इस बार परिवार के दो लोगों के आमने-सामने चुनाव लड़ने से स्थिति बदल सकती है। माना जा रहा है कि परिवार के भीतर हुई इस फूट का फायदा विरोधियों को मिल सकता है।

हाल ही में 17 साल बाद अरुण गवली जेल से बाहर आए हैं। लेकिन वह सक्रिय राजनीति में शामिल नहीं होंगे। दरअसल, 2007 में शिवसेना नेता कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में उन्हें दोषी ठहराया गया था। सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वह सितंबर में नागपुर जेल से रिहा हुए। हालांकि वह खुद कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन उनकी पार्टी अखिल भारतीय सेना मुंबई बीएमसी चुनाव लड़ेगी। गीता और योगिता गवली पिता की पार्टी के साथ चुनाव लड़ रही हैं। ऐसे में आगामी बीएमसी चुनाव गवली परिवार के लिए अपनी पकड़ और राजनीतिक इमेज बनाए रखने की लड़ाई भी बन गया है।

Updated on:
26 Nov 2025 08:12 pm
Published on:
26 Nov 2025 08:11 pm
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