दक्षिणी राजस्थान के साथ एमपी व गुजरात से आने वाले जातरू बाबा रामदेव के साथ करते हैं तेजाजी, गुसांई जी, लिखमीदास जी, मीरा बाई, सालासर बालाजी व खाटू श्याम के भी दर्शन, मोटरसाइकिलों पर करते हैं सैकड़ों किलोमीटर का सफर, महिलाएं व बच्चे रहते हैं साथ
नागौर. भाद्रपद महीने में जैसलमेर जिले के रामदेवरा (रूणीचा धाम) में लगने वाले लोक देवता बाबा रामदेव के मेले में दर्शनार्थ जाने वाले जातरुओं का इन दिनों नागौर जिले से गुजरने वाली सड़कों पर तांता लगा हुआ है। भादवा माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया से लेकर दशमी तिथि तक रामदेवरा में बाबा रामदेव का मेला लगता है। यही कारण है कि मुख्य भीड़ द्वितीया से दशमी तक रहती है, लेकिन पिछले काफी वर्षों से भाद्रपद लगते ही जातरू रामदेवरा पहुंचना शुरू हो जाते हैं। मेला एक महीने चलता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन और पूजा अर्चना के लिए रामदेवरा पहुंचते हैं। यह यात्राएं न केवल धार्मिक महत्व रखती हैं, बल्कि सामाजिक एकता और समरसता का भी प्रतीक हैं। रामदेवरा जाने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए प्रशासन ने इंतजाम किए हैं।
जगह-जगह खोले रामरसोड़े
रामदेवरा मेले के दौरान मध्यप्रदेश व दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान से आने वाले जातरू नागौर जिले से होकर गुजरते हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए जिले में धर्म प्रेमी लोग जगह-जगह रामरसोड़े व सेवा केन्द्र खोलते हैं। जातरू नागौर जिले के विभिन्न मंदिरों में दर्शन करने पहुंचते हैं, नागौर के खरनाल स्थित लोक देवता वीर तेजाजी मंदिर, बुटाटी स्थित संत चतुरदास मंदिर, मेड़ता सिटी का मीरा मंदिर व चारभुजानाथ मंदिर, अमरपुरा स्थित संत लिखमीदास मंदिर, जुंजाला स्थित गुसांई मंदिर में दर्शन करने भी आते या जाते समय पहुंचते हैं। अजमेर के पुष्कर स्थित ब्रह्मा मंदिर, सुरसुरा स्थित तेजाजी मंदिर, चूरू के सालासर बालाजी मंदिर व सीकर के खाटू श्याम जी मंदिर जाने वाले जातरू भी नागौर होकर गुजरते हैं।
एक महीने पहले यात्रा की तैयारी शुरू
मध्यप्रदेश से आए भानुसिंह व मुकेश ने बताया कि वे पिछले काफी वर्षों से रामदेवरा जा रहे हैं। जातरुओं की यात्रा को लेकर एक महीने पहले तैयारियां शुरू हो जाती हैं। यात्रा मोटरसाइकिल से करनी है या चार पहिया वाहन से, इसका निर्णय पहले किया जाता है। जो वाहन लेकर रवाना होते हैं, उनके पूरे कागजात साथ लाते हैं, ताकि रास्ते में किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो। खुद की पहचान से जुड़े दस्तावेज भी साथ रखते हैं।
जातरुओं ने बताया कि उनकी यात्रा एक-एक महीने तक चलती है। इस दौरान वे सैकड़ों किलोमीटर यात्रा करते हैं। यात्रा का रूट रवाना होने से पहले तय कर लिया जाता है। रास्ते में आने वाले सभी मंदिरों में दर्शन करते हैं और जहां रात हो जाए, वहां विश्राम करते हैं। खाने-पीने का सामान साथ रखते हैं, ताकि खर्चा अधिक नहीं हो। कहीं नि:शुल्क या कम दर पर खाने की व्यवस्था होती है तो वहां भी भोजन करते हैं। इस धार्मिक यात्रा में उनके साथ बच्चे और महिलाएं भी रहती हैं।
सुरक्षा का नहीं रखते ध्यान
रामदेवरा जाने वाले जातरूलम्बी दूरी की यात्रा करने के बावजूद सुरक्षा का ध्यान नहीं रखते। नियम विरुद्ध लोडिंग वाहनों में डबल डेकर बनाकर ऊपर-नीचे क्षमता से अधिक लोग भरकर यात्रा करते हैं, इसके बावजूद पुलिस भी अनदेखा करती है। मोटरसाइकिल पर चलने वाले जातरू हेलमेट नहीं लगाते, वहीं लोडिंग व सवारी वाहनों में क्षमता से अधिक सवारियां होने से कई बार हादसे हो जाते हैं।