Teachers Day Special: आठ साल सेना में सेवा देने के बाद शिक्षक बने रणजीत सिंह सारण पिछले दो साल से अनाथ और जरूरतमंद बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा, आवास और भोजन दे रहे हैं। वीर बालक विद्यालय में 20 बच्चे पढ़ रहे हैं। झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले 35 बच्चों को शाम 4-6 बजे पढ़ाते हैं।
Teachers Day Special: नागौर: आठ साल भारतीय सेना में सैनिक के रूप में सेवा देने के बाद शिक्षक बने रणजीत सिंह सारण पिछले दो साल से अनाथ एवं जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। शिक्षक सारण ने कुछ वर्ष युवाओं को सेना की तैयारी करवाने के लिए शहर के जोधपुर रोड पर एकेडमी खोली, लेकिन कोरोना महामारी में जब कुछ बच्चों के अनाथ होने की जानकारी मिली तो उनको अपनी एकेडमी में रखकर नि:शुल्क शिक्षा के साथ आवास और भोजन की व्यवस्था खुद की ओर से की।
इसके बाद जिले में जहां भी उन्हें अनाथ बच्चों की जानकारी मिलती है, वे सांत्वना देने वहां पहुंच जाते हैं और रिश्तेदारों को बच्चे को उनकी एकेडमी में भेजने का आग्रह करते हैं। अनाथ और बेसहारा बच्चों में हीन भावना उत्पन्न न हो, इसके लिए सारण ने उन्हें ‘वीर बालक’ की उपाधि दी है। सभी बच्चों के आगे वीर और पीछे मानव रखा गया है। बच्चे भी बड़े जोश और उत्साह से अपना नाम बताते समय अपने नाम के साथ वीर और मानव शब्द लगाते हैं।
इस वर्ष शिक्षक सारण ने शहर की हनुमान बाग कॉलोनी के पास खाली जगह पर झुग्गी झोपड़ी बनाकर रहने वाले परिवारों के बच्चों को तालीम देने की मुहिम शुरू की है। उन्होंने बताया कि करीब 35 बच्चों को वे रोजाना शाम 4 से 6 बजे तक खुद पढ़ाते हैं। शिक्षक की इस पहल से बच्चों में भी सुधार आने लगा है।
शिक्षक रणजीत सिंह खुद राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बरणगांव में कार्यरत हैं। स्कूल जाने के दौरान पीछे बच्चों को पढ़ाने के साथ उनका ध्यान रखने, खाना देने के लिए चार निजी शिक्षक लगा रखे हैं, जो नियमित पढ़ाई करवाते हैं और समय-समय पर भोजन व नाश्ता देते हैं। बच्चों को यहां घर जैसा माहौल मिल रहा है। वर्तमान में वीर बालक विद्यालय में 20 बच्चे पढ़ रहे हैं।
सारण समाज में शिक्षा का उजियारा फैलाने के साथ मृत्यु भोज पर लगाम लगाने के लिए गांवों में जाकर लोगों से समझाइश करते हैं। उनका कहना है कि अब तक वे 1100 परिवारों से समझाइश करके मृत्युभोज बंद करवा चुके हैं। इसके साथ जिले के सपूर्ण शहीद परिवारों से मिलना एवं पुण्यतिथि पर शहीद की प्रतिमा पर जाकर पुष्प अर्पित करते हैं। सारण वीर बालकों (अनाथ बच्चों) को शिक्षा देने के साथ डेगाना में युवाओं को अग्निवीर और प्री-बीएसटीसी एवं प्री-बीएड की नि:शुल्क कोचिंग दे रहे हैं।