MP News: सोयाबीन की फसल ने इस बार भी किसानों को कर्ज और निराशा में धकेल दिया। घटिया उपज और बढ़ते नुकसान के बीच दो किसानों ने जिंदगी खत्म करने का दर्दनाक फैसला लिया।
soyabean crop crisis: उज्जैन की महिदपुर तहसील और आसपास के गांवों में किसान इस साल फिर बेबस नजर आ रहे हैं। आसमान का साथ नहीं, धरती की उपज भी बेकार सोयाबीन की फसल, जो कभी उम्मीद का प्रतीक थी, अब कर्ज और निराशा की निशानी बन चुकी है। (mp news)
किसानों ने बताया कि इस साल खेतों में बुवाई, हखाई, दवाई, निंदाई और कटाई में हजारों रुपए खर्च हुए, लेकिन मंडी तक पहुंची उपज से आधी लागत भी नहीं निकल पाई। खेतों में अब सिर्फ सूखी फसल नहीं, टूटी उम्मीदों की गंध है।जहां कभी किसान की हंसी गूंजती थी, अब वहां सन्नाटा है। सन्नाटा उस मेहनतकश वर्ग का, जो धरती से अन्न उगाता है,पर खुद के लिए पेटभर अन्न नहीं जुटा पाता।इस क्षेत्र के किसानों की आंखों में आंसू हैं, और दिल में सवालकब तक इस कर्ज, इस फसल और इस नाकाफी राहत का बोझ सहते रहेंगे ? (mp news)
महिदपुर क्षेत्र में लगातार किसानों की आत्महत्या (farmers suicide) की घटनाएं बढ़ रही हैं। एसडीएम अजय हिंगे और तहसीलदार संतुष्टि पाल से संपर्क किया गया, लेकिन अभी तक उपलब्ध नहीं हो सके। हर साल भगवान से उम्मीद रहती है कि इस बार कुछ ठीक होगा, लेकिन अब तो खेत भी जवाब दे चुके हैं। इस टूटन के बीच, महिदपुर तहसील के दो किसानों ने अपने जीवन का आखिरी कदम उठा लिया। (mp news)
पिछले शनिवार, ग्राम बागला के कृषक रामसिंह भामी ने भी सोयाबीन की कम उपज से हताश होकर अपनी जान दे दी। उनके तीन बीघा खेत से मुश्किल से 1.20 क्विंटल उपज निकली। परिवार ने बताया कि घर लौटकर रामसिंह कुछ नहीं बोले, बस खामोश बैठे रहे। रात को जब परिवार सो गया, उन्होंने ज़हर पी लिया। (mp news)
दिनेश, पिता जगदीश शर्मा, ने सोयाबीन की खराब फसल और कर्ज के तनाव से घबराकर शुक्रवार को जहरीली दवा खा ली। उन्हें तुरंत शासकीय चिकित्सालय ले जाया गया, फिर उज्जैन रैफर किया गया, लेकिन उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। उनके छोटे भाई अशोक शर्मा ने बताया ऽहमारे साढ़े तीन बीघा खेत में सोयाबीन की उपज 4 क्विंटल से भी कम हुई थी। भैया फसल और बाजार की चिंता में बहुत तनाव में थे। राहत राशि की दस्तावेज लेकर जब भैया गांव लौट रहे थे, तभी उन्होंने यह कदम उठा लिया। (mp news)