MP News: नर्मदापुरम के स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा आज भी गुरु नानक देव की स्वर्ण स्याही से लिखी पोथी का साक्षी है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहां मांगी हर मन्नत पूरी होती है।
Guru Nanak Jayanti: नर्मदापुरम के मंगलवारा घाट स्थित गुरुद्वारे का ऐतिहासिक महत्व है। गुरुद्वारा में 1415 ईस्वी में गुरु नानक देव द्वारा स्वर्ण स्याही से स्वलिखित गुरु ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib)पोथी आज भी संभाल कर रखी हुई है। लोगों की ऐसी मान्यता है कि गुरुद्वारे में जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूरी होती।
इसलिए यहां हर समाज के लोग मथा टेकने आते हैं। गुरुद्वारे में 556 वां गुरु नानक देव का प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। नगर कीर्तन किया जा रहा है। वहीं बुधवार को गुरुद्वारे में दीवान सजेगा। इस दौरान कीर्तन और सत्संग होगा। (mp news)
गुरु नानक देव मंगलवारा घाट पर होशंगाबाद के राजा हुशंगशाह गौरी के बगीचे में रुके थे। नानक देव की याति और प्रसिद्धि सुनकर राजा हुशंगशाह मिलने पहुंचे थे। पहुंचे हुए संत मानकर जिज्ञासावश उन्होंने संत और इंसान में फर्क के बारे प्रश्न किया था। गुरु नानक देव ने अपनी कमर से कोपिन (कमर कस्सा) निकालकर राजा को दिया और इसे अपनी कमर में बांधी।
कई बार कमर कस्सा बांधने का प्रयास किया लेकिन राजा बांध नहीं सका। गुरु देव का चमत्कार देख राजा हुशंगशाह गौरी को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया। गुरुनानक देव मंगलवारा घाट पर एक सप्ताह रुके थे। इस दौरान राजा ने आदर पूर्वक पूरे समय सेवा सत्कार किया। (mp news)
समाज के अर्कजीत सिंह ने बताया कि सिखों के आदिगुरु गुरु नानक देव जीवों का उद्धार करते हुए बेटमा, इंदौर, भोपाल होते हुए करीब 1418 ईस्वी में 73वें पड़ाव में नर्मदापुरम आए थे। मंगलवारा घाट स्थित गुरुद्वारे में गुरु नानक देव द्वारा स्वर्ण स्याही से स्वलिखित गुरु ग्रंथ साहिब पोथी रखी हुई। पोथी के लिए दर्शन के लोग बड़ी संया में आते हैं।
ऐसी मान्यता है कि यहां किसी भी धर्म के लोगों द्वारा सच्चे मन मांगी गई मन्नत पूरी होती है। खाली हाथ आज तक कोई नहीं लौटा। सभी गुरुद्वारों में लंगर की परंपरा भी गुरु नानक देव द्वारा शुरु की गई जो आज तक सतत जारी है। साल 2007 में मध्य प्रदेश शासन द्वारा गुरुद्वारे को ऐतिहासिक धरोहर घोषित किया।