26/11 Mumbai Attacks Constitution Day: भारत के लिए 26 नवंबर दोहरी तारीख है—1949 में संविधान अंगीकार हुआ और 2008 में 26/11 मुंबई हमले ने उसे चुनौती दी। कसाब को फांसी, तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण—कानून की जीत दिखाती है कि संविधान की ताकत से आतंक कभी नहीं जीत सकता।
26/11 Mumbai Attacks Constitution Day: भारत के इतिहास में दो महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ा हुआ है—गौरवशाली संविधान दिवस (Constitution Day India) और 2008 का कुख्यात 26/11 मुंबई आतंकी हमला (26/11 Mumbai Attacks)। यह इत्तेफाक ही नहीं, बल्कि एक प्रतीकात्मक कनेक्शन है, जहां लोकतंत्र की मजबूती के साथ कानून के बुलंद हौसले की ताकत है और आतंकवाद की कुरूपता (मुंबई हमला) एक ही तारीख पर टकराती हुई नजर आती है। संविधान दिवस भारत की एकता, न्याय और समानता का प्रतीक है, जबकि 26/11 का आतंकी हमला उन मूल्यों पर सीधी चोट था। इतने बरसों में कानून के लंबे हाथों के आगे दहशत के हौसले पस्त हुए हैं। आइए, दोनों के पूरे तथ्य, तारीखें, कानूनी पहलू, संविधान का महत्व, हमले की डिटेल्स और आज के हालात विस्तार से समझें।
संविधान दिवस हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है। यह वह ऐतिहासिक तारीख है, जब 26 नवंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने भारतीय संविधान को अंतिम रूप देकर अंगीकार। यह संविधान 284 सदस्यों वाली संविधान सभा के तीन बरस, दो महीने और 11 दिनों के कठिन परिश्रम का नतीजा था। डॉ. बी.आर. अंबेडकर की अध्यक्षता वाली ड्राफ्टिंग कमेटी ने इसे तैयार किया था, जिसमें 2,473 संशोधनों के बाद अंतिम मसौदा बना। जबकि 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया, जिसे गणतंत्र दिवस कहा जाता है।
संविधान दिवस को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का 2015 में फैसला लिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में घोषणा की कि डॉ. अंबेडकर की 125वीं जयंती वर्ष (2015-16) के उपलक्ष्य में 25 नवंबर से 26 नवंबर तक संविधान से जुड़े कार्यक्रम होंगे। इसके बाद, यह दिवस स्थायी रूप से 26 नवंबर को मनाया जाने लगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार, सरकारी कार्यालयों, स्कूलों और कॉलेजों में संविधान की प्रस्तावना का पाठ अनिवार्य है।
भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जिसमें 395 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 22 भाग हैं। यह भारत की आत्मा है, जो मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 12-35), नीति निदेशक तत्व (अनुच्छेद 36-51) और मौलिक कर्तव्यों (अनुच्छेद 51A) के माध्यम से नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता का आश्वासन देता है। इसका महत्व इसलिए है, क्योंकि यह औपनिवेशिक गुलामी से आजादी का दस्तावेज है। अंबेडकर ने इसे "समाज का दर्पण" कहा। आजादी के बाद विभाजन की हिंसा के बीच यह एकता का प्रतीक बना। संविधान ने भारत को विविधता में एकता का मॉडल दिया। इन 75 वर्षों में 106 संशोधन हो चुके हैं, जो इसकी जीवंतता दिखाते हैं। संविधान दिवस हमें याद दिलाता है कि लोकतंत्र की रक्षा हर नागरिक का कर्तव्य है।
पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के 10 आतंकवादियों ने 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर आतंकी हमला किया था, जो (26-29 नवंबर 2008 तक) चार दिनों तक चला। यह भारत का सबसे घातक आतंकी घटना थी, जिसे "26/11" कहा जाता है। यह हमला समंदर के रास्ते से शुरू हुआ था। ये आतंकवादी पाकिस्तानी जहाज से भारतीय मछली पकड़ने वाले जहाज का अपहरण कर मुंबई पहुंचे थे। वे दो जगहों पर उतरे—बदहवार पार्क और सासून डॉक्स (गेटवे ऑफ इंडिया के पास)।
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CST) रेलवे स्टेशन: गोलीबारी से 58 मौतें।
ताज होटल और अपर टर्मिनस: बंधक संकट, 31 मौतें।
ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल: 32 मौतें।
नरीमन हाउस (चाबड़ सेंटर): यहूदी केंद्र, 7 मौतें।
लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल, मेट्रो सिनेमा: अन्य जगहें जहां अंधाधुंध फायरिंग हुई।
कुल हताहत: 166 लोग मारे गए (जिनमें 18 सुरक्षाकर्मी, 26 विदेशी नागरिक शामिल), 300 से ज्यादा घायल।
पकड़े गए: 10 में से 9 आतंकी मारे गए (NSG कमांडो की कार्रवाई में)।
एकमात्र आतंकी जिंदा पकड़ा गया था अजमल कसाब (पाकिस्तानी) था, जिसे CST पर गिरफ्तार किया गया। उसकी गिरफ्तारी ने हमले का मास्टरमाइंड उजागर किया।
यह हमला गैर कानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (प्रिवेंशन) एक्ट (UAPA), 1967 के तहत दर्ज किया गया। कसाब को महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (MCOCA) के उल्लंघन में दोषी ठहराया गया। मुंबई स्पेशल कोर्ट ने मई 2010 में उसे फांसी की सजा सुनाई, जो 21 नवंबर 2012 को नागपुर सेंट्रल जेल में पूरी हुई। अन्य षड्यंत्रकारियों (जैसे डेविड हेडली, तहव्वुर राणा) पर अमेरिका और भारत में मुकदमे चले रहे हैं। हाल ही में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दी, जो लश्करे-तैयबा को सहयोग करने का दोषी है।
26 नवंबर का कनेक्शन संयोगपूर्ण लगता है, लेकिन गहराई से देखें तो यह लोकतंत्र बनाम आतंकवाद का प्रतीक है। संविधान दिवस शांति और न्याय का उत्सव है, जबकि 26/11 हमला उन मूल्यों पर हमला था। PM मोदी ने 2023 के संविधान दिवस पर मन की बात में कहा, "26/11 के शहीदों को नमन। संविधान हमें एकजुट रखता है, आतंकवाद को कुचलने की शक्ति देता है।" हमले ने संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) को चुनौती दी, लेकिन इसने राष्ट्रीय सुरक्षा कानूनों (जैसे NIA गठन, 2009) को मजबूत किया। आज, दोनों घटनाएं एक साथ याद दिलाती हैं कि संविधान ही भारत को आतंक के खिलाफ लड़ने की ताकत देता है।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सीनियर एडवोकेट, कोलकाता उच्च न्यायालय के विधिवेत्ता और हिंदू सनातन गुरु योगी प्रोचिता मजूमदार ने patrika.com से बातचीत में कहा कि हम भारतीय हैं और भारतीय संविधान सभी भारतीयों को समानता का अधिकार देता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 में कहा गया है कि देश में सबको बराबरी का अधिकार है, कोई विदेशी है तो उसे भी बराबरी का अधिकार है। इसलिए हम यह विश्वास करते हैं भारत में हर धर्म के लोगों को समान अधिकार है। यह कानून की ताकत है कि हम सब एक दूसरे को प्यार करते हैं और एक दूसरे की मदद करते हैं। कोलकाता हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व कार्यकारिणी सदस्य मजूमदार ने कहा कि हर आतंकी हमला देश पर हमला है और भारत के हर धर्म का हर व्यक्ति आतंकवाद को पसंद नहीं करता है और आतंकवादियों से नफरत करता है। कानून की ताकत के आगे आतंकवाद कुछ नहीं है।
17 वर्ष बाद, 26/11 की यादें ताजा हैं। मुंबई में ताज होटल और ओबेरॉय होटल पूरी तरह आबाद हैं, लेकिन नरीमन हाउस को नरीमन लाइट हाउस नाम से मेमोरियल बना दिया गया है।यह 166 शहीदों को समर्पित एकमात्र स्थायी स्मारक है। हर साल 26 नवंबर को 26/11 स्टोरीज ऑफ स्ट्रेंथ इवेंट का आयोजन होता है। कानूनी रूप से, राणा का प्रत्यर्पण 2025 में होना जटिलता बना रहा। भारत-पाक तनाव बरकरार है, लेकिन इतने बरसों में NSG और कोस्ट गार्ड की ताकत बढ़ गई है। पीड़ित परिवारों को मुआवजा (5 लाख रुपये प्रति मृतक) मिला, लेकिन न्याय की मांग जारी है। संविधान दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और PM मोदी शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं, जो कनेक्शन को मजबूत करता है। यह दिन हमें सिखाता है कि संविधान की मजबूती से ही आतंकवाद का मुकाबला संभव है।