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Bihar: सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए BJP का ‘मास्टरप्लान’ तैयार, सीट शेयरिंग को लेकर भी सामने आई अहम जानकारी

Bihar Politics बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान जल्द हो सकता है। भाजपा ने सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए 'मास्टरप्लान' तैयार किया है। पार्टी कई मौजूदा विधायकों के टिकट काट सकती है, जिनका क्षेत्र में विरोध है, ताकि जनता का समर्थन बरकरार रखा जा सके।

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Oct 03, 2025
सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए बिहार में भाजपा का 'मास्टरप्लान' तैयार। फोटो- X

बिहार में निर्वाचन आयोग किसी भी वक्त विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) की तारीखों का एलान कर सकता है। इस बीच, भाजपा ने भी सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए पहले ही एक नया 'मास्टरप्लान' तैयार कर लिया है।

ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा इस बार कई मौजूदा विधायकों को किनारे लगा सकती है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि ऐसे विधायकों का टिकट काटा जा सकता है, जिनका क्षेत्र में काफी विरोध है।

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पिछले चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी भाजपा

हालांकि, कुछ नेता यह भी मान रहे हैं कि टिकट कटने के बाद मौजूदा विधायक चुनाव में एनडीए के लिए संकट भी खड़ा कर सकते हैं। बता दें कि 2020 के चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। वहीं, राजद सबसे बड़ी पार्टी बनने थोड़ा पीछे रह गई।

जनता की नाराजगी भाजपा पर पड़ सकती है भारी

माना जा रहा है कि इस बार कई विधायक और मंत्रियों के रवैये से भाजपा को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत के दौरान भाजपा के एक बड़े नेता ने नाम न उजागर करने की शर्त पर कहा कि विभिन्न वर्गों के लिए लागू की गई नई योजनाओं से भले ही एनडीए को थोड़ा फायदा मिल सकता है, लेकिन मौजूदा विधायकों के प्रति लोगों की नाराजगी पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है।

गुजरात की तरह बिहार में भी बड़े बदलाव की संभावना

उन्होंने आगे कहा कि बिहार में अब हमारे लिए सत्ता विरोधी लहर बनाम रियायतें ही मुद्दा हैं। सूत्रों ने बताया कि बिहार में उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप देने के लिए पिछले हफ्ते भाजपा कोर ग्रुप की बैठक हुई।

जिसमें सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए गुजरात की तरह चुनाव से ठीक पहले बिहार में भी बड़े लेवल पर फेरबदल करने का विचार रखा गया। बता दें कि 2022 के गुजरात चुनाव में भाजपा राज्य में सत्ता में आने के लिए संघर्ष कर रही थी।

चुनाव से ठीक पहले सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए भाजपा ने अपना पूरा मंत्रिमंडल बदल दिया। इसके साथ ही अपने 108 मौजूदा विधायकों में से केवल 45 को ही टिकट दिया।

जिन लोगों के टिकट कटे, उनमें वरिष्ठ नेता और मंत्री भी शामिल थे। इससे पार्टी को फायदा भी हुआ। अब माना जा रहा है कि बिहार में भी भाजपा यही रणनीति अपना सकती है।

भाजपा नेता बोले- पार्टी को बेदाग चेहरे की जरुरत

वहीं, भाजपा के एक और नेता ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत करते हुए कहा कि गुजरात की तर्ज पर बिहार में फिलहाल बदलाव की संभावना नहीं है, लेकिन इसमें दो राय भी नहीं है कि भाजपा को उम्मीदवारों के रूप में नए और बेदाग चेहरे की आवश्यकता है।

वहीं, भाजपा के एक नेता ने कहा कि भाजपा इस बार बिहार में 101-104 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। ऐसे में उम्मीदवारों के चयन में भी मुश्किलें आएंगी। कुछ मौजूदा विधायकों को हटाकर जीतने योग्य उम्मीदवार ढूंढना एक तरह से चुनौती होगी।

एक नेता ने कहा- ये गुजरात नहीं बिहार है

इसके अलावा, एक अन्य नेता ने कहा कि बिहार कोई गुजरात नहीं है। यहां भाजपा पूरी तरह से सत्ता में भी नहीं है। प्रदेश में पार्टी के लिए ताकतवर दावेदारों की भी कमी है। ऐसे में मौजूदा विधायकों को निराश करना महंगा पड़ सकता है।

भाजपा के सामने कर्नाटक का सबक है, जहां जिन लोगों को टिकट नहीं दिया गया, उनमें से कई बागी हो गए और विरोधी खेमे में शामिल होकर पार्टी को नुकसान पहुंचाया।

पिछले कुछ दिनों से जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर भी भाजपा की छवि को बिहार में नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर यह आरोप लगाया कि एक हत्या के मामले में सम्राट ने अपनी उम्र के बारे में झूठ बोला था। इससे भी भाजपा को नुकसान पहुंचने की उम्मीद है।

2024 के लोकसभा चुनाव से भाजपा ने लिया सबक

वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को बिहार में बड़ा नुकसान झेलना पड़ा। जहां एनडीए ने 2019 के आम चुनाव में बिहार के 40 सीटों में से 39 पर कब्जा जमाया था।

वहीं, इस बार एनडीए सिर्फ 30 सीटें ही अपने पाले में कर सका। इससे भी भाजपा को सबक मिला है। अब जिन क्षेत्रों में पार्टी को नुकसान हुआ है। वहां भरपाई करने के लिए बीजेपी दमदार उम्मीदवार उतार सकती है।

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