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कनाडा का चीन को झटका: PM कार्नी ने जिमी लाई की रिहाई मांगी, क्या है भारत का कनेक्शन !

Jimmy Lai Release Demand: कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने जिमी लाई की तत्काल रिहाई की मांग की है।

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Oct 17, 2025
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी। (फोटो: एएनआई)

Jimmy Lai Release Demand: कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी (PM Carney China Tensions) ने चीन पर सीधी चोट की है। उन्होंने हांगकांग के मशहूर लोकतंत्र समर्थक और एप्पल डेली अखबार के संस्थापक जिमी लाई (Jimmy Lai) की फौरन रिहाई की मांग (Jimmy Lai Release Demand) की। कार्नी ने कहा कि यह मांग मानवीय आधार पर है और अभिव्यक्ति की आजादी का हक हर जगह होना चाहिए। 16 अक्टूबर को ओंटारियो के एटोबिकोक में बोलते हुए उन्होंने चीन की कार्रवाइयों को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया। यह बयान कनाडा-चीन तनाव को और गहरा कर सकता है।

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जिमी लाई का केस: 5 साल से जेल में, आजीवन सजा का डर

77 साल के जिमी लाई 2020 से हांगकांग की जेल में सड़ रहे हैं। बीजिंग के सख्त नेशनल सिक्योरिटी लॉ के तहत उन पर राजद्रोह और विदेशी ताकतों से सांठगांठ के आरोप हैं। चीन का कहना है कि लाई ने 'चीन-विरोधी' गतिविधियां भड़काईं। मधुमेह से जूझ रहे लाई को कठोर जेल हालातों में रखा गया है, और उन्हें उम्रकैद हो सकती है। कनाडाई मानवाधिकार ग्रुप्स ने लाई को मानद नागरिकता देने की मांग की है, क्योंकि उनका परिवार कनाडा से जुड़ा है। कार्नी ने कहा कि कनाडा सबसे पहले अपने नागरिकों की सुरक्षा करेगा, लेकिन लाई की आजादी के लिए आवाज बुलंद रखेगा।

कनाडा-चीन रिश्ते: ट्रेड विवाद और सतर्क मीटिंग

कार्नी ने बताया कि कनाडा चीन के साथ आर्थिक रिश्तों पर पुनर्विचार कर रहा है। कृषि निर्यात पर जवाबी शुल्क और इलेक्ट्रिक वाहनों के टैरिफ से विवाद बढ़ा है। सितंबर में UN महासभा के दौरान चीनी PM ली कियांग से उनकी मुलाकात 'रचनात्मक लेकिन सतर्क' रही। विदेश मंत्री अनीता आनंद चीन दौरा कर द्विपक्षीय बातें कर रही हैं। कार्नी का यह बयान पत्रकारों और कार्यकर्ताओं पर चीन के दमन की वैश्विक आलोचना से मेल खाता है। हांगकांग में असहमति को कुचलना बीजिंग की तानाशाही को दिखाता है।

भारत कनेक्शन: मीडिया कवरेज से प्रेस फ्रीडम डिबेट

जिमी लाई का केस भारत से गहराई से जुड़ा है। इंडियन एक्सप्रेस जैसे प्रमुख अखबारों ने उनके गिरफ्तारी और ट्रायल को विस्तार से कवर किया, जो हांगकांग लोकतंत्र आंदोलन को हाइलाइट करता है। लाई की कहानी प्रेस फ्रीडम और ज्यूडिशियल इंडिपेंडेंस पर सवाल उठाती है, जो भारत के अपने सेंसरशिप मुद्दों से लिंक करती है। 2020 से ही भारतीय मीडिया ने लाई को 'चीन-विरोधी' आवाज के रूप में पेश किया। क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) में भारत HK मुद्दे पर चुप रहा, लेकिन कार्नी का बयान क्वाड को सक्रिय कर सकता है। लाई का जन्म चीन में हुआ, लेकिन उनका संघर्ष एशियाई लोकतंत्र के लिए प्रेरणा है।

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