सीजेआई सूर्यकांत शनिवार को जैसलमेर में दो दिवसीय दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने कोर्ट के फैसले पर टिपण्णी की। उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले अगर अस्पष्ट होंगे तो न्याय का उद्देश्य पीछे रह जाएगा।
CJI Suryakant: देश के मुख्य न्यायधीश यानी सीजेआइ सूर्यकांत शनिवार को दो दिवसीय दौरे पर जैसलमेर थे। इस दौरान उन्होंने कोर्ट के आदेश को लेकर अहम टिपण्णी की है। सीजेआई ने कहा कि अदालती फैसले अकादमिक विश्लेषण नहीं होना चाहिए, बल्कि अधिकारों व दायित्वों को निर्धारित करने वाला अधिकारिक वक्तव्य होना चाहिए। फैसले में अत्यधिक कानूनी शब्दजाल से जनता न्याय से दूर हो जाती है, इसलिए आदेश स्पष्ट भाषा में और समझने लायक होने चाहिए। कई बार तो फैसला लोगों की समझ में ही नहीं आ पाता। उन्होंने आगे जोड़ा कि न्याय व्यवस्था के प्रति जनता का भरोसा तभी बनेगा जब कानून का प्रयोग न्यायसंगत हो, फैसला नागरिक अधिकारों की रक्षा करने वाला हो।
सीजेआई शनिवार को जैसलमेर में दो दिवसीय पश्चिमी जोन-I के राजस्थान सहित चार राज्यों की दो दिवसीय न्यायिक कांफ्रेंस के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस कांफ्रेंस में सुप्रीम कोर्ट के 15 न्यायाधीश, मध्यप्रदेश सहित चार राज्यों के हाईकोर्ट के 50 से अधिक जज और 80 न्यायिक अधिकारी भाग ले रहे हैं। सीजेआई ने चेताया कि फैसले अस्पष्ट भाषा में लिखे जाएंगे तो उससे न्याय का उद्देश्य पीछे रह जाएगा।
इसी दौरान बोलते हुए सीजेआई ने कहा कि डेटा आधारित डैशबोर्ड और डिजिटल मॉनिटरिंग से न्यायपालिका के कार्य को पारदर्शी व और बेहतर बनाया जा सकता है। इससे आम जनता में भरोसा पैदा होगा कि न्याय निर्धारित मानकों के आधार पर और सभी के लिए समान है। सीजेआई ने आगे कहा कि टेक्नोलॉजी के जरिए मॉनिटरिंग बढ़ाकर जीवन, स्वतंत्रता व आजीविका से जुड़े मामलों को प्राथमिकता देने पर जोर दिया जाए। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी केवल सुविधा का साधन नहीं, बल्कि समानता, न्याय की पहुंच और संस्थागत दक्षता को मजबूत करने वाला संवैधानिक औजार है। इसके माध्यम से नागरिकों के लिए न्याय को पारदर्शी, समान और सुलभ बनाया जाए।