केरल हाईकोर्ट ने कहा कि कोई भी मुस्लिम व्यक्ति अपनी पहली पत्नी को बताए बिना दूसरी शादी नहीं कर सकता है। अदालत ने केरल विवाह पंजीकरण (सामान्य) नियम, 2008 का हवाला देते हुए कहा कि दूसरी शादी का रजिस्ट्रेशन करने से पहले पहली पत्नी की बात सुननी चाहिए
कोई भी मुस्लिम व्यक्ति अपनी पहली पत्नी को बताए बिना दूसरी शादी नहीं कर सकता है। केरल हाईकोर्ट ने केरल विवाह पंजीकरण (सामान्य) नियम, 2008 का हवाला देते हुए यह फैसला सुनाया है।
अदालत ने कहा कि दूसरी शादी का रजिस्ट्रेशन करने से पहले अधिकारियों को उसकी पहली पत्नी की बात सुननी चाहिए। न्यायमूर्ति पी. वी. कुन्हीकृष्णन की पीठ ने 30 अक्टूबर को यह आदेश जारी किया।
दरअसल, कन्नूर के रहने वाले एक 44 वर्षीय व्यक्ति और उसकी दूसरी पत्नी ने हाई कोर्ट में उस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें स्थानीय रजिस्ट्रार ने उनके विवाह का पंजीकरण करने से इनकार कर दिया था।
इसपर हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर दूसरी शादी का पंजीकरण कराना है, तो देश का कानून लागू होगा। मुस्लिम पर्सनल लॉ कुछ खास परिस्थितियों में ही पुरुषों को दूसरी शादी करने की अनुमति देता है।
न्यायमूर्ति पी. वी. कुन्हीकृष्णन की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए यह भी कहा कि इस देश में पहले संविधान है, उसके बाद धर्म।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति की पहली पत्नी दूसरी शादी के लिए दायर की गई रिट याचिका में पक्षकार भी नहीं है। लेकिन याचिकाकर्ता संबंधित प्रतिवादियों के सामने आवेदन दायर करने के लिए स्वतंत्र है।
अदालत ने आगे कहा कि दूसरी शादी का आवेदन मिलने के बाद रजिस्ट्रार को सबसे पहले व्यक्ति की पहली पत्नी को नोटिस जारी करना होगा।
अगर वह दूसरी शादी को अवैध बताते हुए पंजीकरण पर आपत्ति जताती है तो आवेदनकर्ता दूसरी शादी की वैधता निर्धारित करने के लिए किसी अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है।
कोर्ट ने आगे कहा कि मुस्लिम महिलाओं को भी उनके पतियों द्वारा पुनर्विवाह करने पर कम से कम दूसरी शादी के मामले में सुनवाई का अवसर मिलना चाहिए।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता के पहले विवाह से दो बच्चे थे, जिसका रजिस्ट्रेशन हो चुका था। इसके बाद, उसने प्रथागत कानून के अनुसार, दोबारा विवाह कर लिया।
उसकी दूसरी शादी से भी दो बच्चे थे। अब वह दूसरी शादी का भी पंजीकरण कराना चाहता था ताकि उन्हें भी उसकी संपत्ति में हिस्सा मिल सके। लेकिन अधिकारी ने दूसरी शादी का पंजीकरण करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।