राष्ट्रीय

आज से भारत में 25 OTT Apps पर बैन, सरकार ने लिस्ट के साथ जारी किया नोटिफिकेशन; वजह भी बताई

मोदी सरकार ने अश्लील कंटेंट के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए कुछ ओटीटी प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाया है। 25 ओटीटी प्लेटफॉर्म पर बैन लगाया गया है।

2 min read
Jul 25, 2025
Image used for representation. Photo: IANS

मोदी सरकार ने देश में 25 ओटीटी प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिन ऐप पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनमें में Ullu, ALTT और Desiflix जैसे कुछ बड़े नाम भी शामिल हैं। इन ओटीटी प्लेटफॉर्म को तुरंत बंद करने का निर्देश दिया गया है।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) की तरफ से इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि इस कदम का मुख्य उद्देश्य अश्लील कंटेंट के प्रसार पर अंकुश लगाना है। ऐसे कंटेंट को भारतीय कानूनी और सांस्कृतिक मानकों का उल्लंघन करने वाला माना जाता है।

ये भी पढ़ें

Ahmedabad Flight Crash: विमान दुर्घटना के 4 दिन बाद Air India के 112 पायलटों ने एकसाथ ले ली छुट्टी, जान लें वजह

प्रतिबंधित ऐप्स में बिग शॉट्स ऐप, बूमेक्स, नवरसा लाइट, गुलाब ऐप, कंगन ऐप, बुल ऐप, जलवा ऐप, वाउ एंटरटेनमेंट, लुक एंटरटेनमेंट, हिटप्राइम, फेनेओ, शोएक्स, सोल टॉकीज, अड्डा टीवी, हॉटएक्स वीआईपी, हलचल ऐप, मूडएक्स, नियोनएक्स वीआईपी, फूगी, मोजफ्लिक्स, ट्राइफ्लिक्स शामिल हैं।

कानून का किया उल्लंघन

ये ऐप्स सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 और 67ए, भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 294 और महिलाओं का अश्लील चित्रण (निषेध) अधिनियम, 1986 की धारा 4 सहित विभिन्न कानूनों का उल्लंघन करते पाए गए हैं।

सरकार ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को भारत में इन वेबसाइटों तक सार्वजनिक पहुंच तक रोक लगाने का निर्देश दिया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, एमआईबी ने दूरसंचार विभाग के निदेशक (डीएस-II) को भी आईएसपी द्वारा अनुपालन में सहायता करने का अनुरोध किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने भी कार्रवाई करने का दिया था आदेश

यह कार्रवाई डिजिटल सामग्री नियमों को लागू करने और देश में कानूनों का पालन सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

अप्रैल में, सर्वोच्च न्यायालय ने ओटीटी और सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक याचिका का जवाब दिया था।

कोर्ट ने कहा था कि यह हमारा अधिकार क्षेत्र नहीं है, आप कुछ करें। हालांकि, न्यायाधीशों ने कार्रवाई की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला, जिसमें सॉलिसिटर जनरल ने मौजूदा नियमों और विचाराधीन अन्य उपायों का संकेत दिया।

Published on:
25 Jul 2025 12:51 pm
Also Read
View All

अगली खबर