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इस्लामिक हॉस्पिटल बनाऊंगा… मुझे कौन रोकेगा- बाबरी मस्जिद बनाने का दावा करने वाला कौन है ये नेता?

Humayun Kabir Big Statement: बाबरी मस्जिद विवाद के बीच TMC से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर का एक और बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा- ‘मैं खुला चैलेंज दे रहा हूं… इस्लामिक हॉस्पिटल बनाकर रहूंगा… मुझे कौन रोकेगा।’

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Dec 05, 2025
TMC से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर और ममता बनर्जी (इमेज सोर्स: एक्स )

Humayun Kabir New Statement: बाबरी मस्जिद बनाने का दावा करने वाले तृणमूल कांग्रेस (TMC) से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उनका एक और नया बयान सामने आया है। चैलेंज देते हुए उन्होंने कहा कि मुझे कौन रोकेगा? हम इस्लामिक हॉस्पिटल बनाएंगे, मुसाफिरखाना होगा, होटल, हेलीपैड, पार्क, मेडिकल कॉलेज भी बनाएंगे। थोड़ा समय दीजिए, हम यह सब काम करके दिखाएंगे।

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ममता बनर्जी पर साधा निशाना

टीएमसी से निलंबन के बाद हुमायूं कबीर अब अपनी नई पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। इस दौरान उन्होंने ममता बनर्जी सरकार पर भी सीधा प्रहार किया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, “ ममता बनर्जी आरएसएस के लिए काम करती हैं। जब वह साल 2011 में मुख्यमंत्री बनी थीं, तब राज्य में 500 से भी कम आरएसएस के स्वयंसेवक थे, लेकिन 14 साल बीत जाने के बाद उनके सीएम रहते हुए, पश्चिम बंगाल राज्य में 12,000 से अधिक स्वयंसेवक हो गए हैं। इससे साफ पता चल रहा है कि वह किसके लिए काम करती हैं।”

उन्होंने आरोप लगाते हुए आगे कहा, “मैं मस्जिद बना रहा हूं तो क्या दिक्कत है? सरकारी कोष से पैसा खर्च करके, उन्होंने जगन्नाथ मंदिर बनवाया। 1,100 करोड़ रुपए की जमीन मंदिर बनाने के लिए दे दी। अब तक उन्होंने कितने लोगों को रोजगार दिया है? सामने आकर बताना चाहिए। ऐसा ही चलता रहा तो साल 2026 में ममता बनर्जी सीएम नहीं बनेंगी।”

हुमायूं कबीर के इस बयान ने राज्य की राजनीति में नया तूफान खड़ा कर दिया है।

पहले भी लगा चुके हैं ममता बनर्जी पर गंभीर आरोप

यह पहली बार नहीं है, जब ममता बनर्जी पर हुमायूं कबीर ने इस प्रकार की टिप्पणी की है। इससे पहले साल 2015 में भी उन्होंने ममता बनर्जी पर परिवारवाद बढ़ाने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि ममता अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को पार्टी में राजा बनाने की कोशिश कर रही हैं। यह बयान ममता को बिल्कुल पसंद नहीं आया और हुमायूं कबीर को छह साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया गया था।

इसके बाद कबीर ने लगातार पार्टी बदलने शुरू किए। पहले समाजवादी पार्टी में गए, फिर 2016 में निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। बाद में कांग्रेस का दामन पकड़ा। लेकिन वहां पर भी ज्यादा समय नहीं टिके। 2018 में वे भाजपा में शामिल हो गए और फिर 2020 में दोबारा टीएमसी में वापसी की। उनका राजनीतिक सफर उतना ही विवादित रहा जितने उनके बयान।

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