Russian Aircraft IL-76 News: भारत 1981 से ही अंटार्कटिका में वैज्ञानिक अनुसंधान कर रहा है लेकिन अभी तक समुद्री रास्तों से वैज्ञानिक उपकरण, दवाएं और जरूरी सामान भेजा जाता रहा है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब हवाई जहाज से समान भेजा गया।
Russian IL-76 Aircraft : भारत से अंटार्कटिका के लिए पहली बार सीधी हवाई कार्गो भेजकर सामान पहुंचाया है। 2 अक्टूबर को रूस का आईएल-76 विमान गोवा के मनोहर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ा, जो अंटार्कटिका में भारतीय अनुसंधान स्टेशनों मैत्री और भारती के लिए वैज्ञानिक उपकरण, दवाएं और जरूरी वस्तुएं लेकर रवाना हुआ। यह उड़ान भारत के पोलर मिशंस के इतिहास में मील का पत्थर मानी जा रही है।
India launched first direct air cargo mission to Antarctica: भारत 1981 से अंटार्कटिका में वैज्ञानिक अनुसंधान कर रहा है। अब तक सभी सामग्री समुद्री जहाजों के माध्यम से भेजी जाती थी, क्योंकि वैज्ञानिक उपकरणों का भार अधिक होता है। हालांकि, हाल के वर्षों में भू-राजनीतिक परिस्थितियों, परमिट में देरी और महामारी के बाद सप्लाई चैन बाधित होने से गोवा स्थित नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च (एनसीपीओआर) को गंभीर मुश्किलों का सामना करना पड़ा। एनसीपीओआर के निदेशक थंबन मेलोथ के अनुसार पिछलेे दो मिशन में जरूरी सामग्री में देरी से अनुसंधान प्रभावित हुआ। इसी वजह से पहली बार हवाई कार्गो से सामान भेजा गया।
रूसी कार्गो विमान आईएल-76 को ड्रोनिंग मॉड लैंड एयर नेटवर्क (डीआरओएमएलएएन) के जरिए ऑपरेट किया जा रहा है। यह विमान गोवा से रवाना होकर दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन के रास्ते अंटार्कटिका पहुंचेगा। आईएल-76 विमान खास तौर पर ब्लू आइस रनवे पर उतरने की क्षमता रखता है, जो केवल अक्टूबर से मार्च के बीच संचालित होते हैं। अंटार्कटिका में एयर ट्रैफिक कंट्रोल और मौसम की स्थिति सीमित होने के कारण ये उड़ानें हाइली ट्रेंड पायलटों के जरिए ऑपरेट होती हैं।