राष्ट्रीय

Women’s Day: देश की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर, जानें कौन हैं सुरेखा यादव?

Women's Day: सुरेखा शंकर यादव उर्फ ​​सुरेखा रामचंद्र भोसले भारत की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर साल 1988 में बनी थीं। उन्होंने दुनियाभर में महिलाओं के लिए मिसाल पेश की है।

2 min read
Mar 07, 2025
भारत की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर सुरेखा यादव

Women's Day: भारत में महिलाएं आज हर क्षेत्र में नए मुकाम हासिल कर रही हैं। उनके योगदान से देश की तरक्की की रफ्तार और तेज हो रही है। 8 मार्च को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है और इस अवसर पर हम बात कर रहे हैं भारत की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर सुरेखा यादव की। उन्होंने अपने सपनों को साकार कर न केवल देश में बल्कि दुनियाभर में महिलाओं के लिए मिसाल पेश की है।

एशिया की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर

सुरेखा शंकर यादव, जिन्हें सुरेखा रामचंद्र भोसले के नाम से भी जाना जाता है, साल 1988 में भारत की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर बनी थीं। इसके साथ ही वे एशिया की भी पहली महिला ट्रेन ड्राइवर होने का गौरव प्राप्त कर चुकी हैं। 1989 में उन्होंने पहली बार ट्रेन चलाई और इतिहास रच दिया। भारतीय रेलवे में उनके आने से पहले कोई भी महिला ड्राइवर नहीं थी। उनके इस कदम ने यह साबित कर दिया कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकती हैं।

वंदे भारत एक्सप्रेस की पहली महिला लोको पायलट

अपने बेहतरीन करियर में उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं। 13 मार्च 2023 को उन्होंने वंदे भारत एक्सप्रेस चलाकर एक और उपलब्धि अपने नाम कर ली। वे पहली महिला लोको पायलट बनीं, जिन्होंने देश की सेमी-हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत को सोलापुर से मुंबई तक सफलतापूर्वक चलाया। उनकी इस उपलब्धि पर पूरे देश ने गर्व महसूस किया।

34 वर्षों का शानदार करियर

सुरेखा यादव पिछले 34 वर्षों से रेलवे में सेवाएं दे रही हैं। जब वे वंदे भारत एक्सप्रेस की लोको पायलट बनीं, तो उन्होंने इस उपलब्धि को बेहद खास बताया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा था, 1989 में मेरी नियुक्ति हुई थी और मैं पिछले 34 साल से इस क्षेत्र में काम कर रही हूं। इस मुकाम तक पहुंचने में मुझे मेरे माता-पिता और सास-ससुर का पूरा सहयोग मिला। मेरे पिता ने मुझे अच्छी शिक्षा दी, जिसकी वजह से मैं आज इस ऊंचाई तक पहुंच सकी।

शिक्षा और शुरुआती जीवन

सुरेखा यादव का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था। उन्होंने महाराष्ट्र के एक सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने रेलवे में अपनी जगह बनाई और आज वे देश की सबसे वरिष्ठ महिला लोको पायलट के रूप में जानी जाती हैं। उनका जीवन हर महिला के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

महिलाओं के लिए प्रेरणा

सुरेखा यादव का जीवन संघर्ष और सफलता की अद्भुत कहानी है। उन्होंने यह साबित किया है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। उनके प्रयासों ने न केवल भारतीय रेलवे में बल्कि पूरे देश में महिला सशक्तिकरण की मिसाल कायम की है। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक रहेगा।

Also Read
View All

अगली खबर