Petrol-Diesel GST: केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के अध्यक्ष संजय कुमार अग्रवाल ने कहा है कि पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाना अभी संभव नहीं है।
Petrol-Diesel GST: पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (GST) में दायरे में लाने की खबरें एक बार फिर सुर्खियों में है। लोगों का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट आएगी। हालांकि ऐसी कोई संभावना नहीं है। दरअसल, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के अध्यक्ष संजय कुमार अग्रवाल ने कहा है कि पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाना फिलहाल संभव नहीं है। इसका मुख्य कारण इन उत्पादों से केंद्र और राज्य सरकारों को होने वाली भारी राजस्व आय है।
अग्रवाल ने IANS को बताया कि पेट्रोल और डीजल पर वर्तमान में केंद्रीय उत्पाद शुल्क और मूल्य वर्धित कर (VAT) लागू है। ये दोनों उत्पाद राज्यों को VAT के माध्यम से और केंद्र सरकार को उत्पाद शुल्क के जरिए पर्याप्त राजस्व प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा, राजस्व प्रभाव को देखते हुए, इन उत्पादों को अभी GST के तहत लाना संभव नहीं है। कई राज्यों के लिए VAT से प्राप्त राजस्व उनकी कुल कर आय का 25-30% हिस्सा है।
आपको बात दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह कहा था कि केंद्र सरकार ने जानबूझकर पेट्रोल और डीजल को GST परिषद के प्रस्ताव में शामिल नहीं किया। उन्होंने स्पष्ट किया, कानूनी रूप से हम तैयार हैं, लेकिन यह निर्णय राज्यों को लेना है। सीतारमण ने बताया कि GST लागू होने के समय 2017 में भी तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस मुद्दे पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि अगर राज्य सहमत होते हैं, तो GST परिषद को कर की दर तय करनी होगी, जिसके बाद इसे कानून में शामिल किया जाएगा।
जुलाई 2017 में GST लागू होने के बाद से पेट्रोल, डीजल और मादक पेय पदार्थों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। ये उत्पाद केंद्र और राज्य सरकारों के लिए राजस्व का प्रमुख स्रोत हैं। राज्यों को डर है कि GST के तहत इन उत्पादों को लाने से उनकी कर नीति, मूल्य निर्धारण और खपत को प्रभावित करने की क्षमता पर असर पड़ेगा।
कई राज्यों का मानना है कि पेट्रोल और डीजल पर VAT उनकी आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। GST में शामिल होने पर वे इस स्वायत्तता को खो सकते हैं। फिलहाल, इस मुद्दे पर केंद्र और राज्यों के बीच सहमति बनना बाकी है। पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाने के लिए राज्यों की सहमति और कर दर पर एकरूपता जरूरी है।