फिलिस्तीनी राजदूत अब्दुल्ला अबू शावेश ने भारत और मोदी सरकार की सराहना की है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और अपनी ताकत से वैश्विक परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखता है। उन्होंने भारत को दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में सराहा।
भारत में फिलिस्तीनी राजदूत अब्दुल्ला अबू शावेश ने इंडिया और मोदी सरकार की जमकर सराहना की है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक मुद्दों पर भारत दुनिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
शावेश ने कहा कि अब भारत अपनी ताकत से दुनिया के परिदृश्य को बदलने की क्षमता भी रखता है। एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जब हम भारत की बात करते हैं, तो हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की बात करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जब भारत की चर्चा होती है, तो हम 1.4 अरब लोगों की भी बात कर रहे होते हैं। जब हम भारत की बात करते हैं, तो हम उसे संयुक्त राष्ट्र में आठ वर्षों तक सेवा देने वाला देश मानते हैं।
शावेश ने कहा कि जब भारत संयुक्त राष्ट्र में कोई निर्णय लेता है, तो वह समग्र रूप से अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य को बदल सकता है। हम भारत से उसकी अत्यंत प्रचंड, अत्यंत सम्मानित और सुप्रसिद्ध राजनीतिक शक्ति का उपयोग करने की अपेक्षा करते हैं।
फिलिस्तीनी राजदूत ने कहा कि भारत हर साल संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) को सम्मानित करने के लिए 50 लाख अमेरिकी डॉलर का भुगतान कर रहा है।
यह संयुक्त राष्ट्र की ऐसी संस्था है जो फिलिस्तीनी शरणार्थियों के मुद्दे से निपटती है। हमें विश्वास है कि भारत फिलिस्तीनी लोगों का आगे भी समर्थन करता रहेगा।
उन्होंने कहा कि कि फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास और प्रधानमंत्री मोदी के बीच संबंध बहुत अच्छे हैं और उम्मीद है कि ये आगे भी ऐसे ही रहेंगे।
शावेश ने बताया कि राष्ट्रपति अब्बास ने पीएम मोदी को एक पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने उनसे कई मुद्दों पर मदद करने का अनुरोध किया है। उन्होंने यह भी कहा कि ने बताया कि भारत फिलिस्तीन को मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब और गैर-मुस्लिम देश है।
शावेश ने कहा कि 1947 में भारत ने महात्मा गांधी की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए फिलिस्तीन की विभाजन योजना के खिलाफ मतदान किया था, जिसकी हम बहुत सराहना करते हैं।
इसके अलावा, भारत ने 1974 के अंत में पीएलओ (फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन) को पहले गैर-अरब और गैर-मुस्लिम देश के रूप में, फिलिस्तीनी लोगों के एकमात्र और वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता दी थी।