भारतीय स्पेस एजेंसी (ISRO) का PSLV रॉकेट साल के अंत में कई नए प्रयोग लेकर अंतरिक्ष में जाएगा। इसके चौथे चरण 'POEM-4' में अंतरिक्ष में बीज उगाने, कचरा पकड़ने वाले रोबोटिक हाथ और नए प्रोपल्शन सिस्टम का परीक्षण होगा।
इसरो (ISRO) पहली बार स्वदेशी रॉकेट का इस्तेमाल कर अंतरिक्ष में जैविक प्रयोग की तैयारी कर रहा है। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) के अगले प्रक्षेपण में तीन जैविक प्रयोग किए जाएंगे। जीवित कोशिकाओं को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा। प्रयोग का मकसद यह जानना है कि अंतरिक्ष में जैविक चीजों पर क्या असर पड़ता है। जिन चीजों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा, उनमें पालक, लोबिया और गट बैक्टीरिया शामिल हैं। यह PSLV का चौथा चरण होगा।
इसरो ने प्रयोग को पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल-4 (POEM-4) नाम दिया है। यानी इसरो अंतरिक्ष में ‘POEM’ (कविता) लिखने वाला है। यह प्रयोग गगनयान मिशन में मददगार होगा। इस मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में ले जाने की योजना है। पीएसएलवी का अगला मिशन सी-60 है। यह भी प्रयोगात्मक मिशन है। इसके तहत इसरो पहली बार अंतरिक्ष में दो भारतीय उपग्रहों की डॉकिंग और अनडॉकिंग को अंजाम देगा।
अंतरिक्ष में किसी जीव को जिंदा रखना बड़ी चुनौती है। सभी लाइफ सपोर्ट सिस्टम को सीलबंद बॉक्स में रखना पड़ता है। इसरो के चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने बताया कि प्रयोग के दौरान भारतीय जीव विज्ञानी पता लगाएंगे कि अंतरिक्ष के प्रतिकूल वातावरण में जीवित कैसे रहा जा सकता है।
अंतरिक्ष के लगभग शून्य गुरुत्वाकर्षण में पालक की कोशिकाएं कैसे प्रदर्शन करती हैं? बंद कैप्सूल में गट बैक्टीरिया को भी अंतरिक्ष में परखा जाएगा। इसके अलावा देखा जाएगा कि लोबिया के बीज और पत्तियां अंतरिक्ष में कैसे अंकुरित होती हैं।