लोकसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि वो (विपक्ष) कहते हैं कि भाजपा को कभी सत्ता विरोधी लहर का सामना नहीं करना पड़ता।
लोकसभा चुनाव में सुधार की चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर हमला बोला और आजादी के तुरंत बाद पहले प्रधानमंत्री के चयन पर फिर से विवाद हो गया। अमित ने कहा, स्वतंत्रता के बाद प्रधानमंत्री का चयन प्रांतीय कांग्रेस कमेटियों (राज्य इकाइयों) के वोट से हो रहा था। सरदार वल्लभभाई पटेल को 28 में से 28 वोट मिले, जबकि जवाहरलाल नेहरू को केवल 2 वोट मिले। फिर भी नेहरू प्रधानमंत्री बन गए। यह वोट चोरी का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है।
गृह मंत्री ने इंदिरा गांधी का 1975 का इलाहाबाद उच्च न्यायालय मामला भी याद किया। राज नारायण ने यह सिद्ध कर दिया कि चुनाव में अन्यायपूर्ण तरीके से अभियोजकों का उपयोग किया गया। अदालत ने चुनाव रद्द कर दिया। फिर संसद में क़ानून स्थापित करके प्रधानमंत्री को अदालत के दायरे से बाहर कर दिया गया।
उन्होंने दिल्ली कोर्ट केस का भी दस्तावेजीकरण किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि सोनिया गांधी का नाम भारतीय नागरिकता मिलने से पहले ही मतदाता सूची में डाल दिया गया था। शाह ने कहा, 'ईवीएम से पहले बूथ हाउसिंग, अब पेट दर्द।' शाह ने कहा कि हम भी हारे, लेकिन कभी भी गठबंधन पर इल्जाम नहीं लगाया। शाह ने कहा कि छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश में हार का सामना करना पड़ा।
गृह मंत्री ने कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी इस देश के प्रधानमंत्री बने, तब से इन्हें (विपक्ष) आपत्ति है। हम 2014 से 2025 तक लोकसभा और विधानसभा मिलकर कुल 44 चुनाव जीते हैं, लेकिन वो (विपक्ष) भी अलग-अलग विधानसभा मिलाकर कुल 30 चुनाव जीते हैं। अगर मतदाता सूची भ्रष्ट है, तो क्यों शपथ ली?
अमित शाह ने कहा कि 2009 का चुनाव भी ईवीएम से हुआ, ये जीत गए, और चर्चा फिर बंद हो गई। जब इनके जमाने में चुनाव होते थे, बिहार और यूपी में पूरे के पूरे पर्चों के बक्से गायब हो जाते थे। ईवीएम आने के बाद यह सब बंद हो गया। चुनाव की चोरी बंद हुई है, इसलिए पेट में दर्द हो रहा है। दोष ईवीएम का नहीं है, चुनाव जीतने का तरीका जनादेश नहीं था, भ्रष्ट तरीका था। आज ये एक्सपोज हो चुके हैं।