नई दिल्ली

पुलिसकर्मियों को धक्का दिया, बैरिकेड्स तोड़ डाले…कांग्रेस नेत्री अलका लांबा की बढ़ीं मुश्किलें

जंतर-मंतर पर हुए महिला आरक्षण विरोध प्रदर्शन से जुड़े मामले ने कांग्रेस नेत्री अलका लांबा के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दिल्ली की अदालत ने उनके खिलाफ अपराधिक आरोप लगाए हैं।

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कांग्रेस की नेत अलका लांबा पर अपराधिक आरोप

दिल्ली के जंतर मंतर में हुए धरना प्रदर्शन मामले में कांग्रेस नेत्री अलका लांबा की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। इस मामले की गंभीरता देखते हुए दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता अलका लांबा पर आरोप तय कर दिए हैं। अलका लांबा पर पुलिसकर्मियों को धक्का देने, बैरिकेड्स तोड़ने और निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने जैसे गंभीर आरोप हैं। इस मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट में शुक्रवार को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अश्वनी पंवार की अदालत ने सुनवाई की। इस दौरान अलका लांबा पर आपराधिक आरोप तय किए गए।

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जानिए क्या है पूरा मामला?

यह मामला 29 जुलाई 2024 का है। उस दिन संसद में महिलाओं के लिए आरक्षण लागू करने की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया गया था। अलका लांबा उस प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही थीं। उस समय जंतर-मंतर रोड और आसपास के इलाकों में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू थी और संसद की ओर मार्च करने की अनुमति नहीं दी गई थी। इस वजह से मौके पर मौजूद पुलिस ने कई बार उन्हें चेतावनी दी। लेकिन उसके बाद भी अलका लांबा और उनके साथ के प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश की। इसके साथ ही आरोप लगाया गया कि पुलिसकर्मियों को धक्का दिया गया, भीड़ को आगे बढ़ने के लिए उकसाया गया और सड़क पर बैठकर रास्ता जाम किया गया, जिससे आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

वीडियो फुटेज बना कार्रवाई का आधार

कोर्ट में सबूत के तौर पर वीडियो फुटेज दिखाई गई। उसमें अलका लांबा को साफ-साफ प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ाते हुए और बैरिकेड्स को पार करते हुए देखा गया। वीडियो देखने के बाद मजिस्ट्रेट ने कहा कि अलका प्रदर्शन में सबसे आगे नजर आ रही हैं और दूसरों को भी नियम तोड़ने के लिए उकसाती दिख रही हैं, इसलिए इस मामले में ट्रायल चलना जरूरी है। सबूतों के आधार पर कोर्ट ने माना कि अलका लांबा के खिलाफ पुलिसकर्मियों को ड्यूटी से रोकने, जारी किए आदेश की अवहेलना करने और सार्वजनिक रास्ते में अवरोध पैदा करने जैसे आरोप बनते हैं। इसके चलते ही कोर्ट ने उनके खिलाफ आपराधिक धाराओं में आरोप तय किए।

अलका लांबा का पक्ष

अलका लांबा की तरफ से कोर्ट में मौजूद वकील ने कहा कि प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण था और तय क्षेत्र में ही हुआ। यह भी कहा गया कि इस ममाले में कोई गवाह नहीं है और न ही किसी पुलिसकर्मी के घायल होने का कोई मेडिकल सबूत है। उनका यह भी दावा था कि वीडियो में हमला साफ तौर पर नहीं दिख रहा है। हालांकि कोर्ट ने इन सब बातों को मानने से इनकार कर दिया और अलका के बरी होने की याचिका को भी खारिज कर दिया।

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