नई दिल्ली

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर 22 मिनट में दो बार पति-पत्नी को मारी गई टक्कर, मौत के आठ घंटे बाद पहुंची पुलिस

Delhi Mumbai Expressway Accident: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर एक दर्दनाक हादसे में दंपति 8 घंटे तक कार में फंसे रहे, लेकिन मदद के लिए न पुलिस पहुंची औऱ न ही किसी व्यक्ति ने रुक कर मदद की। ऐसे में इस मामले को लेकर दंपति के परिवार के लोगों ने सेफ्टी सिस्टम पर सवाल उठाए हैं।

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दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर हादसे के आठ घंटे तक कार में ही फंसे रहे दंपति। परिजनों का बड़ा आरोप। (प्रतीकात्मक फोटो)

Delhi Mumbai Expressway Accident: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर पिछले हफ्ते एक ऐसी घटना सामने आई, जिसने सड़क सुरक्षा और मानवीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। देर रात एक वैगनआर कार दो बार टक्कर का शिकार हुई। उस कार में मौजूद दंपति की मौत हो गई। हैरान करने वाली बात ये है कि हादसे के बाद पति-पत्नी दोनों करीब आठ घंटे तक हाईवे किनारे पलटी कार में फंसे रहे। यह दंपति दिल्ली के रहने वाले थे। दोनों की पहचान 42 साल के लच्छी राम और 38 साल की उनकी पत्नी कुसुमलता के रूप में हुई थी। परिवार का कहना है कि हादसे के बाद एक्सप्रेसवे पर सैकड़ों गाड़ियां निकलीं, लेकिन किसी ने भी घायल पड़े दंपति की मदद नहीं की। इतना ही नहीं, एक्सप्रेसवे पेट्रोलिंग टीम भी पूरे आठ घंटे लापता रही। सुबह जब गांव के लोगों ने कार को देखा, तब तक पति-पत्नी की मौत हो चुकी थी। इस मामले को लेकर दंपति के परिवार वालों ने प्रशासन पर कड़े सवाल उठाए हैं।

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परिवार बोला- सारी गश्ती सिर्फ कागजों पर हो रही

HT की रिपोर्ट्स के अनुसार, लच्छी राम के मामा नाहर सिंह ने प्रशासन की व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए कहा “पूरी तरह डैमेज हुई कार में दो लोग फंसे हुए थे, खून से लथपथ थे, ऐसे में कोई कैसे बिना देखे निकल सकता है?” उन्होंने कहा कि जब NHAI की गश्ती गाड़ियां हर घंटे वहां से निकलती हैं तो उन्हें वह गाड़ी कैसे नहीं दिखी? इससे यह स्पष्ट होता है कि या तो वे लापरवाह थे या फिर सारी गश्त सिर्फ कागजों पर ही हो रही है। उनका कहना है कि अगर पुलिस गश्ती टीम वहां समय से पहुंच जाती तो आज वह जिंदा होते।

सवालों में झलका परिवार का दर्द

मृतक लच्छी राम के पिता देवी सिंह ने रोते हुए कहा कि उन दोनों को इस तरह नहीं मरना चाहिए था। अगर वह दोनों विकलांग भी हो जाते तो भी वह उनकी देखभाल कर लेते। उन्होंने कहा कि वह मदद का इंतजार करते मर गए। अधिकारी इतने गैरजिम्मेदार कैसे हो सकते हैं? साथ ही उन्होंने बताया कि वह रात भर उनको कॉल कर रहे थे। पहले कॉल लग रहा था, लेकिन कुछ समय बाद कॉल लगना बंद हो गया था। सुबह 8 बजे के बाद वापस कॉल लगा, जो एक पुलिसकर्मी ने उठाया था। लच्छी राम के चचेरे भाई दीपक सिंह ने कहा कि दूसरी बार टक्‍कर मारने वाला ड्राइवर उन लोगों की मदद कर सकता था। उनकी भाभी को ज्यादा भारी चोट नहीं लगी थी। मदद मिलती तो कम से कम एक जीवन बच सकता था।

अब जानिए क्या था पूरा मामला?

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर पिछले मंगलवार को देर रात करीब 11:52 बजे एक वैगनआर कार को एक बड़े बंपर ने टक्कर मारी, जिसकी वजह से कार सड़क के किनारे की तरफ हो गई। इस टक्कर के बाद दोनों पति-पत्नी घायल हो गए थे, लेकिन तब भी वह जिंदा थे। हालांकि कार के दरवाजे जाम होने की वजह से वह बाहर नहीं निकल पाए थे। इसके 22 मिनट बाद ही 12.14 बजे एक मारुति अर्टिगा ने फिर से उसी कार को टक्कर मार दी। इसके चलते सड़क के किनारे खड़ी कार पलट गई। इस बीच एक्सप्रेसवे पर लगातार वाहन फर्राटा भरते रहे, लेकिन उनकी किसी ने भी मदद नहीं की। पुलिस की गश्ती टीम भी मौके पर नहीं पहुंची। इस घटना के 8 घंटे बाद गांव के लोगों ने गाड़ी के अंदर फंसे लोगों को देखा। इसके बाद पुलिस को इस मामले की सुबह 7.38 बजे सूचना मिली। यानी पहली टक्कर से तबरीबन आठ घंटे बाद पुलिस को मामले की सूचना मिली तब एक्सप्रेसवे पेट्रोलिंग टीम मौके पर पहुंची। अगर समय रहते पेट्रोलिंग टीम मौके पर पहुंचती तो शायद जानें बच सकती थीं।

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