Red Fort Blast: पिछले हफ्ते दिल्ली में लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट में एक 20 साल के कॉलेज स्टूडेंट जासिर बिलाल वानी का नाम सामने आया है। पटियाला हाउस कोर्ट ने उसे 10 दिन के लिए NIA की कस्टडी में सौंपा है। ताकि उसकी संलिप्तता का पूरा पता लगाया जा सके।
Red Fort Blast: दिल्ली कार ब्लास्ट मामले में एक 20 साल के कॉलेज स्टूडेंट का नाम भी सामने आया है। जांच एजेंसियों का कहना है कि 20 साल का कॉलेज स्टूडेंट जासिर बिलाल वानी दिल्ली में ब्लास्ट के लिए खतरनाक ड्रोन्स बना रहा था। पटियाला हाउस कोर्ट ने कुलगाम स्थित गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज लेवडोरा के 20 साल के छात्र जासिर बिलाल वानी को 10 दिन की NIA कस्टडी में भेजा है। उधर, इसी केस में गिरफ्तार पहले आरोपी राशिद मीर को भी कोर्ट ने 10 दिन की NIA कस्टडी में भेजा है। राशिद पर मुख्य आत्मघाती हमलावर उमर नबी को i20 कार और हथियार उपलब्ध कराने का आरोप है। उमर नबी धमाके के साथ ही मारा गया था।
कुलगाम स्थित गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज लेवडोरा का छात्र जासिर पिछले हफ्ते अनंतनाग के काजीगुंड से जम्मू-कश्मीर पुलिस की हिरासत में आया था। पुलिस ने उसे उसके मामा के साथ पकड़ा था। सोमवार को औपचारिक गिरफ्तारी के बाद उसे दिल्ली लाकर NIA ने कोर्ट में पेश किया, जहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। NIA का दावा है कि जासिर किसी बड़े मॉड्यूल के तकनीकी हिस्से में शामिल था। एजेंसी के अनुसार, उसने ड्रोन को हथियार ले जाने लायक बनाने की कोशिश की। साथ ही रॉकेट का एक प्रारंभिक मॉडल तैयार करने का प्रयास भी किया। जांच टीम का कहना है कि ये सभी गतिविधियां लाल किले धमाके को सपोर्ट करने के उद्देश्य से की गई थीं।
एनआईए की जांच में जासिर के पड़ोसी दो डॉक्टर भाई डॉ. आदिल और डॉ. मुजफ्फर राथर इस मॉड्यूल के कथित मुख्य संचालक बताए जा रहे हैं। इनमें छोटा भाई आदिल उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से पकड़ा जा चुका है, जबकि बड़े भाई मुजफ्फर के अफगानिस्तान में मौजूद होने की आशंका है। उधर, कश्मीर में जासिर की गिरफ्तारी के बाद उसके परिवार पर गहरा सदमा पड़ा। गिरफ्तारी के अगले ही दिन उसके पिता बिलाल अहमद वानी ने खुद पर केरोसिन छिड़क कर आग लगा ली। सोमवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। जासिर की बुआ ने मीडिया से कहा कि परिवार बेगुनाह है और जासिर सिर्फ डॉक्टर भाइयों को पड़ोसी होने के नाते जानता था।
धमाके की जांच अब दिल्ली-एनसीआर तक पहुंच चुकी है। फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी और इसके संस्थापक जावेद अहमद सिद्दीकी पर भी एजेंसियों की नजर है। बुधवार सुबह, पीएमएलए के तहत दर्ज आतंकी कनेक्शन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में दिल्ली की अदालत ने सिद्दीक़ी को 13 दिन की ED कस्टडी में भेज दिया। इससे पहले मंगलवार सुबह ईडी ने अल-फलाह से जुड़े कुल 25 ठिकानों पर छापेमारी की थी। एजेंसी ने दावा किया कि यूनिवर्सिटी ने यूजीसी मान्यता और एनएएसी रेटिंग को लेकर झूठी जानकारी दी, जबकि 2018 से 2025 तक उसने 415.10 करोड़ रुपये की आय दिखाई है। सिर्फ 2018-19 में जहां आय 24.21 करोड़ रुपये थी, वही 2024-25 में ये रकम बढ़कर 80.10 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
ईडी के अनुसार, छात्रों की फीस और अन्य लोगों से वसूले गए पैसे का उपयोग निजी खर्चों में किया गया। कई गवाहों ने बताया कि वित्तीय फैसलों में अंतिम निर्णय खुद सिद्दीकी लेते थे। एजेंसी ने 14 दिन की रिमांड मांगते हुए कहा कि अभी आरोपी से पूछताछ जरूरी है। ताकि धन-शोधन के नेटवर्क और इसकी परतों का पता लगाया जा सके। छापेमारी के दौरान ईडी ने 48 लाख रुपये नकद भी बरामद किए हैं। एजेंसी का कहना है कि इसकी जांच लाल किला कार ब्लास्ट केस से जुड़े वित्तीय पहलुओं से भी जुड़ी है।