किड्स कॉर्नर- चित्र देखो कहानी लिखो 49 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट ( 01 अक्टूबर 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 49 में भेजी गई ये कहानियां सराहनीय रही हैं।
हमें अपने दोस्तों के दुख में हमेशा साथ होना चाहिए
एक बार की बात है, एक लोमड़ी बहुत बीमार पड़ गई थी। वह घर में अकेली और उदास थी। जंगल के सभी जानवर उससे मिलने गए। लोमड़ी को उदास देखकर सभी जानवरों ने एक उपाय सोचा। जिराफ लोमड़ी को खुश करने के लिए एक पिचकारी लाया और हाथी रंग लाया। भालू भी एक बड़ी पिचकारी लाया। सभी जानवरों ने होली का गाना गाया। खरगोश ने नृत्य किया। यह देख लोमड़ी के चेहरे पर मुस्कान आ गई। अब लोमड़ी खुश थी।
शान्वी गर्ग, उम्र 7 वर्ष
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बबली का सरप्राइज
एक बार की बात है, जंगल के बीच एक छोटा-सा प्यारा घर था। उस घर में कई दोस्त रहते थे। हाथी गज्जू, जिराफ झुमकी, भालू टिल्लू, चूहा मोंटू, उल्लू मास्टरजी और बिल्ली मुन्नी। ये सभी बहुत अच्छे दोस्त थे और हमेशा मिलकर खेलते थे। एक दिन सबको पता चला कि उनकी दोस्त खरगोश बबली बीमार है और बिस्तर पर आराम कर रही है। सबने सोचा, "क्यों न हम मिलकर बबली को खुश कर दें?" भालू टिल्लू एक सेब लेकर आया ताकि बबली खा सके और ताकतवर बने। जिराफ झुमकी ने अपनी लंबी गर्दन से तकिया ठीक किया और रजाई ओढ़ा दी। हाथी गज्जू ने अपनी सूंड़ से धीरे-धीरे हवा झल दी ताकि बबली को ठंडी हवा मिले। चूहा मोंटू ने कुर्सी पर बैठकर उसे मजेदार चुटकु ले सुनाने शुरू कर दिए। वहीं उल्लू मास्टरजी किताब लेकर आए और बबली को प्यारी-प्यारी कहानियां सुनाने लगे। धीरे-धीरे बबली मुस्कराने लगी। उसकी बीमारी जैसे उड़ गई। उसने कहा, "सच दोस्तों, दवा से भी ज्यादा काम दोस्ती की मीठी देखभाल करती है।" उस दिन से सबने तय किया कि कोई भी दोस्त अकेला या उदास नहीं रहेगा। जब भी किसी को मदद की जरूरत होगी, सभी मिलकर उसका साथ देंगे।
सीख - दोस्ती और देखभाल सबसे बड़ी ताक त है।
कृषि खटीक, उम्र 7 वर्ष
दोस्तों का सच्चा साथ
एक छोटे से गांव में टेडी भालू, जिराफ, हाथी और तीन चूहे रहते थे। ये सब बहुत अच्छे दोस्त थे। एक दिन टेडी भालू बीमार पड़ गया। उसका बुखार इतना तेज था कि वह बिस्तर से उठ भी नहीं पा रहा था। जिराफ ने तुरंत अपने लम्बे गले से पंखा झलना शुरू किया ताकि भालू को ठंडी हवा मिल सके। हाथी अपने सूंड़ से पानी लेकर आया और उसे पिलाया साथ ही दवा देने की कोशिश की। चूहे भी पीछे नहीं रहे। एक चूहा झूले पर बैठकर गाना गाने लगा ताकि भालू को अच्छा लगे, दूसरा चूहा दवा पीस कर लाया और तीसरा उसकी सेवा में लगातार लगा रहा। भालू ने आंखों में आंसू भरकर कहा, मैं सोचता था कि बीमारी में इंसान अकेला पड़ जाता है, लेकिन आज तुम सबने मुझे सिखा दिया कि सच्चे दोस्त कभी अकेला नहीं छोड़ते। कुछ ही दिनों में टेडी भालू स्वस्थ हो गया। उसने अपने सभी दोस्तों को गले लगाते हुए कहा, "दोस्ती वही है जो मुसीबत के समय साथ निभाए।" उस दिन से सबने तय किया कि चाहे कैसी भी परिस्थिति आए, वे हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहेंगे। यह कहानी दोस्ती और सहयोग का महत्व बताती है।
सूर्यांश राठौर उम्र 9 वर्ष
टेडी और उसके दोस्त
एक प्यारे से घर में, टेडी नाम का एक भालू रहता था। वह थोड़ा बीमार हो गया था और अपने बिस्तर पर आराम कर रहा था। टेडी को अकेला महसूस हो रहा था। तभी, उसके सबसे अच्छे दोस्त उससे मिलने आए। सबसे पहले आया मीठा चूहा, पिंकी। पिंकी अपने साथ एक मजेदार किताब लाई थी और टेडी को सुनाने लगी। पिंकी का छोटा भाई, चिंटू चूहा, अपनी छोटी-सी कुर्सी पर बैठा, टेडी को देख रहा था। बिस्तर के पास जमीन पर, फु र्तीला खरगोश, बन्नी, एक कटोरी में गरमा गरम सूप लेकर आया था। वह टेडी से पूछ रहा था, "तुम्हें कैसा लग रहा है, दोस्त?" फिर, बड़ा सा हाथी, गप्पू, आया। गप्पू अपनी सूंड से टेडी के गाल पर धीरे से प्यार कर रहा था। गप्पू बहुत ताकतवर था, पर उसका दिल बहुत नरम था। सबसे ऊं चा, गर्दन वाला जिराफ, लंबी। लंबी ने किताब पिंकी से ली और उसे ऊंची आवाज में पढऩे लगी। सब दोस्त मिलकर टेडी को हंसा रहे थे और उसका खयाल रख रहे थे। टेडी अपने दोस्तों को देखकर बहुत खुश हुआ। उसे लगा कि इतनी प्यारी दोस्ती से तो कोई भी बीमारी ठीक हो सकती है। वह जानता था कि उसके पास दुनिया के सबसे अच्छे दोस्त हैं। कु छ ही समय में, टेडी बेहतर महसूस करने लगा और फिर से अपने दोस्तों के साथ खेलने लगा।
सीख- सच्चे दोस्त हमेशा एक-दूसरे का साथ देते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं, खासकर जब कोई मुश्किल में हो।
उमेर अहमद, उम्र 11 वर्ष
लाड़ -प्यार में बिगड़ता बच्चा
गोलू लोमड़ी अपने मां बाप की इकलौती संतान होने के कारण लाड़ प्यार में कुछ ज्यादा ही बिगड़ गया था। धीरे धीरे उसमें झूठ बोलना, पढ़ाई से जी चुराना जैसी बुरी आदतें भी बढ़ती जा रही थी। रोज कोई न कोई बहाना बनाकर स्कू ल पढऩे जाने से मना कर देता था। अब गोलू लोमड़ी की इस पढ़ाई चोरी की आदत से उसके मां बाप भी परेशान हो उठे तो गोलू के "जंगल अकादमी स्कू ल" के प्रिसिपल हम्फू हाथी ने उसके मां बाप को यह राय दी कि यदि यह रोज स्कू ल आने से कतराता है तो क्यों न हम स्कूल आपके घर ले आये, फिर तो इसे पढऩा ही पड़ेगा। स्कूल के सभी बच्चे आपके घर आ जाया करेंगे तब इसकी बहानेबाजी भी नही चलेगी। इस तरह इसमें पढ़ाई से जी चुराने की आदत में भी सुधार हो जाएगा।
गौरी मूंदड़ा, 11 वर्ष चित्तौडग़ढ़ (राजस्थान)
खिलौनों की मजेदार दुनिया
एक रंगीन और खुशनुमा दिन था जब खिलौनों की दुनिया में सभी दोस्त इक_े हुए थे। एक बड़ा सा हरा काउच था, जिसके चारों ओर अलग-अलग जानवरों के खिलौने खेल रहे थे। एक नीले हाथी ने काउच के सामने खड़े होकर सबको हंसने पर मजबूर कर दिया। उसके पास एक छोटा सा नारंगी टेडी बियर था जो काउच पर बैठा था और एक पीले रंग का जिराफ अपने अगले पैर से एक बैंगनी त्रिकोण पकड़े हुए था। एक छोटा भालू एक रॉकिंग चेयर पर आराम कर रहा था, जबकि एक चूहे जैसा खिलौना काउच के पीछे से झांक रहा था। सभी खिलौने एक-दूसरे के साथ मजे कर रहे थे और उनकी हंसी से पूरा माहौल खुशियों से भर गया था। यह खिलौनों की दुनिया थी जहां दोस्ती और खुशियां सबसे ऊपर थीं। सभी खिलौने एक साथ मिलकर अपने दिन का आनंद ले रहे थे और यह पल उनके लिए अनमोल था। शाम होने तक वे सभी खुशी-खुशी खेलते रहे और फिर अपने-अपने कोनों में आराम करने चले गए। इस तरह, खिलौनों की दुनिया में एक यादगार दिन बीत गया।
तन्मय सिंह राजावत, उम्र-9 वर्ष
सोने से पहले की कहानी
एक रात, जंगल के प्यारे दोस्त एक साथ सोने के लिए इका हुए। हाथी दादा अपनी सूंड से सबको गुदगुदी कर रहे थे, तो जिराफ अपनी लंबी गर्दन से ऊपर रखी किताबों को नीचे ला रहा था। भालू भैया मीठे-मीठे सपने देख रहे थे और शरारती बंदर मजे से उछल-कूद कर रहा था। नीचे आराम कुर्सी पर बैठा नन्हा चूहा अपनी कहानियों की किताब पढ़ रहा था, जबकि खरगोश उसे ध्यान से सुन रहा था। अचानक, चूहे ने देखा कि हाथी दादा को नींद नहीं आ रही है। वह बेचैन दिख रहे थे। चूहे ने पूछा, "क्या हुआ, हाथी दादा? आप इतने परेशान क्यों हैं?" हाथी दादा ने कहा, "मुझे सपने में डर लग रहा है, मैं ठीक से सो नहीं पा रहा।" तब सभी दोस्त इका हुए और हाथी दादा को घेरकर बैठ गए। जिराफ ने प्यार से उनकी पीठ थपथपाई, बंदर ने उनके हाथ पकड़े और भालू ने उन्हें सहलाया। चूहे ने एक मीठी-सी लोरी गाई, और खरगोश ने एक मजेदार कहानी सुनाई। दोस्तों के प्यार और साथ से हाथी दादा को बहुत सुकून मिला और देखते ही देखते उन्हें गहरी नींद आ गई। सभी दोस्त मुस्कुराते हुए एक-दूसरे के करीब आ गए और जल्दी ही गहरी नींद में सो गए। उस रात, जंगल के सभी दोस्तों ने जाना कि दोस्ती की ताकत कितनी महान होती है, और मिलकर किसी भी मुश्किल का सामना किया जा सकता है।
ह्रदयांश पंचोली उम्र 11 वर्ष
मन बहलाने के लिए बनाया चित्र
एक दिन शेर अपने मित्र लोमड़ी के घर उससे मिलने के लिए गया। वहा उसने देखा कि लोमड़ी अपने बिस्तर पर बुखार में लेटा हुआ है। शेर ने जल्दी-जल्दी जंगल से हाथी, चूहा, खरगोश, जिराफ और भालू को बुलाया। सब लोगों ने मिलके एक योजना बनाई। शेर और जिराफ ने उसका मन बहलाने के लिए उसका चित्र बनाया। चूहा, हाथी और खरगोश ने नाच दिखाया। इससे लोमड़ी की तबीयत में थोड़ा सुधार आया। इन सभी को देखकर मुझे पता चला कि दोस्ती में बहुत ताकत होती हैं।
खुशी मालवीय उम्र 13 वर्ष
बीमार शेरू और उसके दोस्त
एक घने जंगल में शेरू नाम का शेर रहता था। शेरू जंगल का राजा था, लेकिन वह सभी जानवरों का बहुत प्यारा दोस्त भी था। एक दिन शेरू बीमार पड़ गया। उसके सिर में बहुत दर्द था और उसे बुखार भी आ गया। जैसे ही उसके दोस्तों को यह खबर मिली, वे सब तुरंत उसकी देखभाल के लिए पहुँच गए। सबसे पहले हाथी आया। उसने शेरू को ठंडा पानी पिलाया और अपने बड़े कानों से हवा भी की। जिराफ डॉक्टर के पास गया और दवा लेकर आया। चूहा झूले वाली कुर्सी पर बैठकर कहानियाँ सुनाने लगा ताकि शेरू का मन बहल जाए। खरगोश ने जंगल से ताजे फल और गाजर लाकर दीं। बिल्ली ने शेरू को दुलारते हुए कहा, "चिंता मत करो, तुम जल्द ही अच्छे हो जाओगे।"शेरू अपने दोस्तों का प्यार देखकर भावुक हो गया। उसने सोचा, असली ताकत जंगल का राजा होना नहीं, बल्कि ऐसे सच्चे दोस्त होना है, जो मुश्किल समय में साथ खड़े रहें। कु छ ही दिनों में शेरू बिल्कु ल स्वस्थ हो गया। उसने सबको धन्यवाद दिया और कहा "दोस्ती सबसे बड़ी दौलत है, जो हमें कभी अकेला नहीं छोड़ती।" उस दिन से जंगल के सभी जानवरों ने तय किया कि वे हमेशा एक-दूसरे के सुख-दु:ख में साथ देंगे।
सीख - सच्चा दोस्त वही है जो कठिन समय में काम आए।
सौम्या पालीवाल, उम्र-9 वर्ष
असली खजाना - खुशी और दोस्ती
जंगल के बीचों-बीच एक छोटा-सा घर था। उस घर में खरगोश रात को सोया हुआ था। अचानक उसके बिस्तर के पास एक सुनहरी चमकती चाबी प्रकट हुई। वह चाबी अजीब थी और धीरे-धीरे रहस्यमयी आवाज कर रही थी। "मुझे ढ़ूढो…मुझे ढूंढो"खरगोश घबरा गया और अपने दोस्तों को बुलाया। सबसे पहले हाथी, फिर भालू, जिराफ , चूहा और तोता। सबने मिलकर तय किया कि यह कोई साधारण चाबी नहीं, बल्कि किसी गुप्त खजाने की चाबी है। भालू डॉक्टर का रूप धरकर बोला "डरने की जरूरत नहीं, यह एक रहस्य है जिसे हम सब मिलकर सुलझाएंगे।" जिराफ ने अपनी ऊं चाई का फायदा उठाकर दूर से टंगे नक्शे को देखा, जिसमें खजाने का रास्ता छिपा था। तोते ने उस नक्शे की पहेली पढक़र सुनाई खजाना वहीं मिलेगा जहां दोस्ती की हंसी सबसे ज्यादा गूंजे।"सबने मिलकर चाबी उठाई और ठहाके लगाते हुए जंगल के बीच पहूंचे। अचानक जमीन हिली और एक डिब्बा बाहर आ गया। उसमें सोना-चांदी नहीं, बल्कि रंग-बिरंगे खिलौने और मिठाइयां थीं।
खरगोश बोला -"असली खजाना तो यही है खुशी और दोस्ती!"
लक्ष्य जांगिड़, उम्र 8 वर्ष
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक बच्चा रहता था जिसका नाम राजू था। राजू को किताबें पढऩा बहुत पसंद था। वह हर रात सोने से पहले एक कहानी जरूर पढ़ता था। एक रात, जब वह अपनी पसंदीदा जानवरों की कहानियों की किताब पढ़ रहा था, तो उसे नींद आ गई। जैसे ही उसकी आंखें बंद हुईं, उसने एक अद्भुत सपना देखा। सपने में वह अपने बिस्तर पर सो रहा था, लेकिन उसके चारों ओर उसकी किताब के सारे किरदार आ गए थे। एक लंबी गर्दन वाला जिराफ, एक बहादुर शेर, एक शरारती बंदर और एक धारीदार जेबरा सभी उसके पास आकर सो रहे थे।
राजू को यह देखकर बहुत खुशी हुई कि उसके दोस्त उसके पास हैं। उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे वह किसी जादुई जंगल में है। वे सब मिलकर एक-दूसरे को कहानियां सुना रहे थे और हंस रहे थे। राजू ने सोचा कि दोस्ती कितनी खास होती है, जो हमें कभी अकेला महसूस नहीं होने देती। सुबह जब राजू की नींद खुली, तो उसने मुस्कराते हुए अपनी किताब को देखा। उसे लगा कि उसके सपने के दोस्त हमेशा उसके साथ रहेंगे।
विवान, उम्र 7 वर्ष
जंगल की यारी
एक घने जंगल में, जहां हरे-भरे पेड़ और रंग-बिरंगे फूल थे, वहां एक प्यारा सा घर था। उस घर में एक हाथी, जिसका नाम गप्पू था, एक जिराफ, जिसका नाम लंबी गर्दन था, एक भालू, जिसका नाम भोलू था, एक खरगोश, जिसका नाम फुर्ती था और एक नटखट चूहा, जिसका नाम चिकू था, सब मिलकर रहते थे। एक दिन, बारिश के बाद, सभी दोस्त खेलने के लिए इक_ा हुए। गप्पू हाथी ने अपनी सूंड से पानी छिडक़ना शुरू किया, जिससे सब ठहाके लगाकर हंसने लगे। लंबी गर्दन जिराफ अपनी ऊंची गर्दन से पेड़ों के पत्तों को छू रहा था और सबको दिखा रहा था कि वह कितना लंबा है। भोलू भालू एक बड़े से बिस्तर पर आराम कर रहा था, जबकि फुर्ती खरगोश और चिकू चूहा उसके चारों ओर उछल-कूद कर रहे थे।वे सब मिलकर खूब मस्ती करते थे। वे एक-दूसरे का ख्याल रखते थे और हमेशा साथ मिलकर खेलते थे। उस दिन भी, उन्होंने मिलकर खूब खेल खेले और शाम को थककर उसी बड़े बिस्तर पर सो गए, सपने देखते हुए कि अगले दिन वे और क्या-क्या मजेकरेंगे।
दिव्यांशी जैन, उम्र 10 साल
कछुए की टाइम मशीन जंगलपुर के जानवरों की दुनिया में हर कोई तेज बनना चाहता था। दौड़ में खरगोश ताकत में हाथी ऊंचाई में जिराफ लेकिन एक था कछुआ टिम्मा जो धीरे चलता धीरे बोलता और सबसे कहता धीरे चलो, सोचो… तभी समझ पाओगे सब उसका मजाक उड़ाते। एक दिन टिम्मा ने गायब पत्तों, बदलते मौसम और समय से पहले सूखते पेड़ों को देखकर एक अनोखी खोज की एक टाइम मशीन जो उसने पुराने नारियल, पत्तों और पत्थरों से बनाई थी। सभी जानवर हंसे इतना धीमा कछुआ टाइम मशीन बनाएगा टिम्मा बोला सिर्फ तेज भागने से नहीं सोचने से बदलाव आता है। उसने मशीन चालू कर दी पलक झपकते ही सब 50 साल में पहुंच गए पेड़ कट चुके थे नदियां सूख चुकी थीं और जानवरों के घर उजड़ चुके थे। सब डर गए टिम्मा बोला यही होगा। अगर हम आज अपने जंगल का ध्यान नहीं रखेंगे। सबने मिलकर मशीन से वापस लौटकर एक वादा किया अब जंगल को बचाना है। उस दिन से हर जानवर चाहे छोटा हो या बड़ा, मिलकर पेड़ लगाते पानी बचाते और मिलजुलकर रहते। राजा शेरू बोला धीमा नहीं समझदार कछुआ ही असली विजेता है।
दक्षित सोनी, 13 वर्ष
बीमार शेरू की देखभाल
जंगल के बीचों-बीच एक प्यारा सा गांव था, जहां सभी जानवर मिलजुलकर रहते थे। एक दिन छोटे शेरू को तेज बुखार हो गया। शेरू पूरे जंगल का लाडला था, इसलिए उसकी तबीयत खराब होते ही सब दोस्त उसके पास पहुँच गए। गायिका चिडिया ने उसे मीठे गीत सुनाए ताकि शेरू को आराम मिले। हाथी दवा लेकर आया और धीरे से उसे पिलाया। जिराफ़ ने अपनी लंबी गर्दन से किताब निकालकर शेरू को कहानियां सुनाईं। बंदर डॉक्टर बनकर थर्मामीटर से तापमान देखता रहा और चूहा अपनी कुर्सी पर बैठकर झूला झुलाता रहा ताकि माहौल हल्का-फुल्का लगे। शेरू ने सबकी मेहनत और प्यार देखा तो उसकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए। दो दिनों में वह बिल्कुल ठीक हो गया। शेरू ने अपने दोस्तों से कहा— "सच्चे दोस्त वही होते हैं, जो मुश्किल वक्त में साथ खड़े रहें।" इस घटना के बाद उनकी दोस्ती और गहरी हो गई।
अरवी प्रजापति, उम्र - 7 वर्ष
बुरे वक्त में सबकी करनी चाहिए मदद
एक बार की बात है जंगल में जिराफ ने सारे जानवरों को अपने जन्मदिन में बुलाया। सारे जानवर जिराफ के घर गए वहां पर सबने बहुत से खेल खेले। एक बार तो कूदते कूदते लोमड़ी गिर गई और उसके पैर पर चोट लग गई उसको बहुत दर्द हो रहा था इसलिए वह घर चली गई। फिर बाद में जिराफ को भी मजा नहीं आया था क्योंकि लोमड़ी उसकी बहुत अच्छी मित्र थी इसलिए उसने सोचा कि सारे जानवर लोमड़ी से मिलने चलें। जब वह लोमड़ी के घर गए तो उन्होंने देखा कि लोमड़ी पलंग पर लेटी हुई है सब उसको हंसाने की कोशिश कर रहे थे ताकि उसको अच्छा लगे। चूहा तो कुर्सी पर फुदक- फुदक के चल रहा था और खरगोश तो नाचने लगा। यह देखकर लोमड़ी को बहुत अच्छा लगा उसने सबको धन्यवाद किया और फिर सब अपने -अपने घर चले गए।
रिश्ता तहिलियानी, उम्र 10 वर्ष, जयपुर
मित्रों की हमेशा मदद करनी चाहिए
एक दिन चुहे ने अपने जन्मदिन पर समारोह रखा और जंगल के सभी जानवरो को आमंत्रित किया। जिसमें सारे जानवर आए लेकिन कुत्ता नहीं आया। जिससे सभी जानवर चिंतित हुए कि कुत्ता अभी तक क्यों नहीं आया। तो सब मिलकर कु त्ते के घर गए। वहां जाकर देखा कि कुत्ता तो बीमार है और बिस्तर पर लेटा हुआ है। उन मित्रों में से जिराफ डॉक्टर था। जिराफ ने कुत्ते का इलाज किया। जिराफ ने कहा हमे इसे फल एवं बुखार की दवाई खिलानी चाहिए तो हाथी ने कहा कि मैं इसके लिए जंगल से फल लेकर आता हूँ। बिल्ली ने कहा कोई पानी लेकर आओ उसे दवाई देनी है तो खरगोश ने कहा की मैं पानी लेकर आता हूँ। गिलहरी ने कहा पर बुखार की गोली तो खत्म हो गई तो चूहे ने कहा मैं बुखार की गोली भी ले आता हूं। तब कु त्ते ने कहा की मुझको अच्छा महसूस नहीं हो रहा है। कुछ ही देर में सब जानवर अपनी-अपनी चीजे लेकर आ गए। तो कुत्ते ने फल खाए और फिर दवाई ली। कुछ देर बाद कुत्ते ने कहा कि मैं अब पहले से बेहतर महसूस कर रहा हूं। यह सुनकर सभी जानवर खुश हो गए और कुत्ते को साथ लेकर जन्मदिन के कार्यक्रम में चूहे के घर गए। सबने वहां पर खाया-पिया और खूब मजे किए और तरह-तरह के खेल भी खेले।
नव्या शर्मा, उम्र 9 वर्ष