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Pali News: समय से पहले आए मानसून ने अब किसानों को दिया ‘धोखा’, दम तोड़ने लगी फसलें, नुकसान का अंदेशा

शुरुआती समय में अच्छी बारिश होने से किसानों ने उत्साह के साथ फसलों की बुवाई की, लेकिन इसके बाद मौसम ने करवट बदल ली और बारिश थम गई।

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Aug 13, 2025
निमाज क्षेत्र के एक खेत में मुरझाई फसल। फोटो- पत्रिका

राजस्थान में समय से पहले मानसून सक्रिय होने के बावजूद पाली में पर्याप्त बारिश नहीं होने से खेतों में खड़ी फसलें अब मुरझाने लगी है। एक बारिश के इंतजार में एक पखवाड़ा गुजर गया। बारिश न होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है।

शुरुआती समय में अच्छी बारिश होने से किसानों ने उत्साह के साथ फसलों की बुवाई की, लेकिन इसके बाद मौसम ने करवट बदल ली और बारिश थम गई। पिछले एक सप्ताह से पड़ रही तेज धूप ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। हालांकि दो दिन से आसमान में बादल मंडरा रहे हैं। इससे धूप का असर कम हुआ है। खेतों में बाजरा, मूंग,तिल आदि की फसल बिन पानी मुरझाने लगी है। यही नहीं आमजन के साथ पशु-पक्षी भी बेचैन होने लगे हैं।

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बारिश नहीं हो तो मिले सहायता

खेती-किसानी पर निर्भर परिवारों के लिए यह हालात बेहद गंभीर बनते जा रहे हैं। किसानों ने सरकार और प्रशासन से अपील की है कि यदि बारिश जल्द नहीं होती है तो फसल बीमा और आपदा राहत योजना के तहत तुरंत सहायता की व्यवस्था की जाए, जिससे किसानों को भारी नुकसान से बचाया जा सके।

मेहनत पर पानी फिर जाएगा

निमाज क्षेत्र के किसान रतनलाल और धर्माराम बताते हैं कि खरीफ फसल की बुवाई हुए काफी समय हो गया है। पिछले एक पखवाड़े से बारिश नहीं हुई। फसल पीली पड़ने लगी है।

दो-तीन बार बुआई, हजारों की लागत आई

किसानों ने बताया कि महंगे बीज व जुताई कर फसल की दो तीन बार बुआई की थी, जिसमें हजारों रुपए की लागत आई, ऐसे में बारिश न होने से हजारों रुपए का नुकसान झेलना पड़ेगा। अब बारिश के बिना फसल दम तोड़ रही है। उनका कहना है कि चार-पांच दिन में बारिश नही हुई तो पानी की कमी के चलते कई फसलें दम तोड़ देंगी। किसानों को जुताई, बुआई, खाद- बीज व दवाइयों का कर्जा चुकाना मुश्किल हो जाएगा।

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फसलों को पानी की जरूरत

इस बार किसानों ने एक बार से अधिक अलग-अलग समय पर फसलें बोई थी। कई जगह फसलों पर फूल आने लगे हैं। फसलों को पानी की जरूरत है। कई किसान ट्यूबवेल आदि से सिंचाई कर फसलों को पानी दे रहे हैं। फसलों के लिए अब बारिश की भी जरूरत है।
रामदयाल कुमावत, वरिष्ठ कृषि पर्यवेक्षक

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