पाली शहर के गाजनगढ़ टोल नाके के पास शनिवार तड़के करीब ढाई बजे बस पलटने से माया के 1 साल की बेटी दिव्या का सिर धड़ से अलग हो गया।
पाली। मेरी दिव्या कहां है… उसे भूख लगी होगी…उसे दूध पिलाना है… दिव्या को ले आओ… ये शब्द कहते-कहते रतलाम बोरखेड़ा की रहने वाली माया बांगड़ अस्पताल के ट्रोमा सेंटर के बाहर कई बार जैसे शून्य में चली गई। उससे पूछने पर वह कहती दिव्या तो मेरी गोद में है। वह सो रही है। कौन ले गया। उसे यकीन ही नहीं हो रहा है कि एक साल की दिव्या उसे छोड़कर जा चुकी है।
शहर के गाजनगढ़ टोल नाके के पास शनिवार तड़के करीब ढाई बजे बस पलटने से माया के 1 साल की बेटी दिव्या का सिर धड़ से अलग हो गया। वह हादसे में घायल हो गई। पति भी घायल हुए। हादसे के बाद जैसे ही माया को सुध आई, वह दिव्या के धड़ को एक टक देखती रही।
जब उसे एम्बुलेंस से बांगड़ चिकित्सालय लाया तब भी वह दिव्या के बारे में ही पूछती रही। उपचार के बाद ट्रोमा सेंटर के बाहर लेटी माया के बेटी के जाने से होंठ थम गए और आंखें खालीपन में खो गईं। उसके चेहरे पर सिर्फ शोक और स्तब्धता झलक रही थी। उधर, माया के पति गजेन्द्र भी बेटी के जाने के गम में कुछ नहीं बोल पाए।
माया के पास ही बैठी रतलाम की रहने वाली अचला बोली हम शुक्रवार रात 10 बजे राजपुरा या रामपुरा से बस में बैठे थे। बस चालक ने कहा था सुबह 7 बजे जैसलमेर छोड़ देगा। उसने हमसे 700-700 रुपए किराया लिया था। बस पलटने पर हम सभी नींद में थे। दिव्या अपनी मां माया की गोद में थी। हादसे के बाद उसका सिर अलग हो गया। वह मंजर मेरी आंखों से ओझल नहीं रहा। उसके पिता गजेन्द्र मोर्चरी की तरफ है।