Swimmer Pappu Devi: पप्पू देवी ने पिता की प्रेरणा से व्हीलचेयर पर बैठकर आगे बढ़ना शुरू किया तो पीछे मुड़कर नहीं देखा। जोधपुर में रहकर अध्ययन किया और तैराकी में नई छलांग लगाई।
Swimmer Pappu Devi: पाली जिले में रोहट तहसील के छोटे से गांव निंबली ब्राह्मणान की रहने वाली पप्पू देवी, जिनके पैरों ने महज दो साल की उम्र में उनका साथ छोड़ दिया। चरवाहे पिता गोपाराम की 26 वर्षीय बेटी पप्पू का हौसला न उठने वाले कदम नहीं रोक पाए।
बता दें कि उसने पिता की प्रेरणा से व्हीलचेयर पर बैठकर आगे बढ़ना शुरू किया तो पीछे मुड़कर नहीं देखा। जोधपुर में रहकर अध्ययन किया और तैराकी में नई छलांग लगाई। राज्य स्तर पर छह स्वर्ण पदक जीतने वाली पप्पू अभी सीकर जिले में होने वाली पैरा तैराकी प्रतियोगिता की तैयारी कर रही हैं।
दिव्यांग होने के बावजूद तैराकी में आगे बढ़ रही पप्पू देवी पाली ही नहीं, बल्कि प्रदेशभर के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं। रूपावास की रहने वाली एक दिव्यांग युवती को भी इस खेल के प्रति प्रेरित किया। उसे तैराकी करना सिखाया। पप्पू से प्रदेश के अन्य युवा भी सीख ले रहे हैं।
अक्षमता को शक्ति बनाने की ठान ली जाए तो कदम कभी पीछे नहीं हट सकते। पिता ने मुझे यही सीख दी। मैं छह स्वर्ण और एक ब्रॉज मेडल जीत चुकी हूं। मौका मिला तो देश के लिए भी पदक लाऊंगी।
-पप्पू देवी, निंबली ब्राह्मणान, पाली