Bihar Election: बिहार विधानसभा के चुनावी मैदान में कुछ ऐसे उम्मीदवार भी हैं जो जेल की सलाखों के पीछे से ही अपने क्षेत्र में चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें प्रमुख नाम हैं अनंत सिंह और रीतलाल यादव। जानिए अन्य 4 नेता कौन हैं।
Bihar Election:बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच मोकामा में जन सुराज पार्टी समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या और उस मामले में जदयू के बाहुबली नेता अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने फिर एक बार यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या बिहार की राजनीति अपराध से कभी अलग हो पाएगी? चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से पहले ही यह सवाल और भी तीखा हो गया है, क्योंकि इस बार भी कई नेता जेल की सलाखों के पीछे से चुनावी मैदान में हैं। ये वही चेहरे हैं जिनकी छवि अपराध, सत्ता और प्रभाव के मिलने से बनती है।
मोकामा सीट से जदयू के कद्दावर नेता बाहुबली अनंत सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हत्या, अपहरण, अवैध हथियार, रंगदारी जैसे 28 से अधिक मामलों में आरोपित अनंत सिंह इस समय दुलारचंद हत्याकांड मामले में 14 दिनों की नयायिक हिरासत में हैं, लेकिन उनके लिए पूरा चुनावी प्रचार तंत्र मैदान में उतरा है। केन्द्रीय मंत्री ललन सिंह और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने भी अनंत सिंह के लिए रोड शो किया। वहीं अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी, जो खुद मोकामा से विधायक हैं, इस बार उनके लिए प्रचार की अगुवाई कर रही हैं। यह पहली बार नहीं जब अनंत सिंह जेल से चुनाव लड़ रहे हैं। 2020 में भी वे इसी स्थिति में विजयी हुए थे।
दानापुर सीट से RJD के बाहुबली विधायक रीतलाल यादव भी इस बार जेल से चुनाव लड़ रहे हैं। जबरन वसूली, हत्या की साजिश और रंगदारी जैसे 30 से ज़्यादा आपराधिक मामलों में नामजद रीतलाल को हाल ही में बेउर जेल से भागलपुर सेंट्रल जेल शिफ्ट किया गया है। इसके बावजूद उनका प्रचार आरजेडी के शीर्ष नेताओं, लालू यादव, तेजस्वी यादव और मीसा भारती के नेतृत्व में जारी है। लालू यादव ने सोमवार की शाम दानपुर में रीतलाल के लिए रोड शो भी किया। रीतलाल यादव का राजनीतिक प्रभाव इतना मजबूत है कि हर बार विवादों के बावजूद टिकट मिल जाता है।
CPI(ML) लिबरेशन के उम्मीदवार जितेंद्र पासवान को नामांकन के कुछ दिन बाद ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। उन पर एक पुराने आपराधिक मामले में ग़ैर-जमानती वारंट जारी था। वाम दलों ने इस गिरफ्तारी को राजनीतिक साजिश बताया और इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला कहा। पासवान के समर्थक आज भी भोरे में ‘साथी जितेंद्र को न्याय दो’ के नारे के साथ प्रचार कर रहे हैं।
दरौली सीट से वामपंथी नेता सत्यदेव राम को भी नामांकन भरने के तुरंत बाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वो अभी दरौली से वर्तमान विधायक भी हैं। उन पर एक पुराने प्रदर्शन से जुड़े मामले में गिरफ्तारी वारंट था। CPI(ML) ने इसे लोकतंत्र के गले पर वार बताया और राज्य सरकार पर राजनीतिक दमन का आरोप लगाया।
सासाराम से RJD प्रत्याशी सत्येंद्र शाह की गिरफ्तारी सबसे सनसनीखेज मानी जा रही है। झारखंड पुलिस ने उन्हें 2004 के गढ़वा बैंक लूट मामले में गिरफ्तार किया है। उन पर डकैती, आपराधिक साजिश और फरारी जैसे गंभीर आरोप हैं। हालांकि पार्टी का दावा है कि मामला पुराना है और राजनीतिक रूप से प्रेरित है।
सीतामढ़ी के परिहार से निर्दलीय उम्मीदवार महेंद्र सिंह यादव भी इस चुनाव में जेल से मैदान में हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद इलाके में विरोध प्रदर्शन हुए और उनके समर्थकों ने प्रशासन पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाया। महेंद्र यादव पहले जदयू से जुड़े रहे, लेकिन इस बार बगावत कर निर्दलीय लड़ रहे हैं।