पटना

2,192 करोड़ से बदलेगी बिहार के इस रेल लाइन की किस्मत, 4 जिलों के 13 लाख लोगों को होगा सीधा फायदा

बिहार के बख्तियारपुर-राजगीर-तिलैया रेलवे लाइन के डबलिंग को हाल ही में मंज़ूरी मिली है। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 2,192 करोड़ होगी। रेल मंत्री ने संसद में सवालों के जवाब देते हुए इस बारे में ताजा जानकारी दी।

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Dec 03, 2025
यह सांकेतिक तस्वीर है (फोटो- AI)

बिहार के पटना, नालंदा, नवादा और गया जिलों के लोगों के लिए राहत और विकास की बड़ी खबर आई है। केंद्र सरकार से बख्तियारपुर-राजगीर-तिलैया रेलखंड के दोहरीकरण की मंजूरी मिलने के बाद जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह वही रूट है जिस पर रोज लाखों यात्री सफर करते हैं और जहां बढ़ते रेल ट्रैफिक के कारण लंबे समय से डबल लाइन की मांग उठ रही थी। अब इस पूरी लाइन को चौड़ा करने पर ₹2,192 करोड़ खर्च होंगे। इसके बाद इस रूट पर रेल सेवा तेज, सुरक्षित और और भी अधिक सुविधाजनक हो जाएगी।

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लोकसभा में दी गई जानकारी

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बताया कि 104 किलोमीटर लंबे इस रेलखंड के दोहरीकरण को मंजूरी मिल गई है। 2192 करोड़ की इस परियोजना को “विशेष रेल परियोजना” का दर्जा दिया गया है। जदयू सांसद रामप्रीत मंडल, गिरिधारी यादव, कौशलेन्‍द्र कुमार और दिनेश चंद्र यादव के सवालों का जवाब देते हुए रेल मंत्री ने बताया कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और सक्षम प्राधिकारी को नवंबर 2025 में अधिसूचित किया जा चुका है। मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि रेलवे परियोजनाओं की समयसीमा कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे भूमि अधिग्रहण, वन स्वीकृति, तकनीकी बाधाएँ और मौसम की स्थितियाँ।

चार जिलों के 1,434 गांवों को फायदा

इस मेगा प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा लाभ स्थानीय आबादी को मिलेगा। डबल लाइन बनने के बाद पटना, नालंदा, नवादा और गया जिलों के 1,434 गांव सीधे लाभान्वित होंगे। जिससे 13.46 लाख लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे, क्योंकि ग्रामीण अपने उत्पाद तेजी से शहरों तक पहुंचा सकेंगे।

पर्यटन को मिलेगा बड़ा बढ़ावा

यह रेलखंड बिहार के प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों राजगीर, नालंदा, पावापुरी और बोधगया आदि को जोड़ता है। ऐसे में डबल लाइन बनने के बाद इन स्थलों तक पहुंचना और भी आसान होगा, जिससे बिहार का पर्यटन उद्योग नई ऊंचाई छूएगा।

पुल और यार्ड होंगे तैयार

इस रेल खंड पर 17 बड़े पुल और 282 छोटे पुल बनेंगे। इसके अलावा बख्तियारपुर, हरनौत, बिहारशरीफ, नालंदा, सिलाव, राजगीर, नटेसर और जगदीशपुर समेत कई स्टेशनों पर नए यार्ड बनेंगे। दोहरीकरण के शुरू होते ही इस रेलमार्ग की क्षमता दोगुनी हो जाएगी। यात्रियों को समय की बचत, सुरक्षित यात्रा, अधिक ट्रेनों का संचालन और पर्यटन को बड़ा लाभ मिलेगा।

रेलखंड का इतिहास

  • 1903: पहली ट्रेन बख्तियारपुर–बिहारशरीफ चली
  • 1911: लाइन राजगीर तक बढ़ी
  • 1962: लाइन बड़ी गेज में बदली
  • 2010: तिलैया तक विस्तार हुआ
  • 2017: तिलैया तक विद्युतीकरण

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