बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर प्रशांत किशोर की पार्टी ने पहल लिस्ट जारी कर दी है। इसके साथ ही एनडीए और महागठबंधन में इस बात को लेकर चर्चा तेज हो गई है कि पीके किसका खेल बिगाड़ेंगे?
Bihar Assembly Elections 'जन सुराज' ने बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर 51 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। इस सूची में सामाजिक समीकरणों का विशेष ध्यान रखा गया है। जन सुराज की ओर से जारी सूची में 17 अति पिछड़ा वर्ग (EBC), 11 अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), 7 अनुसूचित जाति (SC), 7 मुसलमान और 9 सवर्ण समाज के हैं। इसके अलावा 7 महिलाएं और एक ट्रांसजेंडर शामिल है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि पीके के इस दाव से एनडीए और महागठबंधन की परेशानी बढ़ेगी।
जन सुराज की ओर से जारी सूची में 30 प्रतिशत (17) अति पिछड़ा (EBC) उम्मीदवार हैं। ये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कोर वोट बैंक है। प्रशांत किशोर ने इसको अपने साथ मिलने का प्रयास किया है। प्रशांत किशोर ने अपने इस दांव से EBC वर्ग को अपने साथ जोड़ने का प्रयास किया है। इसी तरह, प्रशांत किशोर की ओर से जारी सूची में महिलाओं को मजबूत प्रतिनिधित्व (7 महिला प्रत्याशी) दे कर नीतीश कुमार के महिला वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। ये शराबबंदी और जीविका दीदी जैसी पहल के कारण सीएम नीतीश कुमार के साथ जुड़ी हुई हैं।
प्रशांत किशोर की जन सुराज ने मुस्लिम कार्ड भी खेला है। पार्टी ने मिथिलांचल और सीमांचल क्षेत्रों को लक्षित करते हुए 7 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। 51 सीटों में 14 प्रतिशत मुस्लिम प्रत्याशी होने से यह साफ है कि पीके की पार्टी राजद के MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण में सेंध लगाने की तैयारी में है। हालांकि, OBC को 11 टिकट देना तेजस्वी के लिए बड़ी चिंता का विषय नहीं है, क्योंकि OBC वोटों का एक बड़ा हिस्सा भाजपा के साथ भी जुड़ा है। हालांकि, मुस्लिम वोटों का बंटवारा महागठबंधन की परेशानी बढ़ा सकता है।
जन सुराज की 51 कैंडिडेट की लिस्ट में 9 सवर्ण (General) और 7 दलित (SC) को टिकट देकर सवर्ण वोट बैंक को अपने साथ जोड़ने का प्रयास किया है। कांग्रेस से मोहभंग होने के बाद यह वर्ग भाजपा का समर्थन कर रहा है। लेकिन, हाल के दिनों में सवर्ण बीजेपी में भी अपने को हासिया पर महसूस कर रहे हैं। इसको देखते हुए प्रशांत किशोर ने अपने साथ इनको भी जोड़ने काप्रयास किया है। सवर्णो को जोड़कर प्रशांत किशोर चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला चाह रहे हैं। हालांकि, दलित वोटों के मामले में भाजपा मजबूत स्थिति में है, क्योंकि चिराग पासवान और जीतनराम मांझी जैसे बड़े दलित नेता एनडीए गठबंधन में हैं, जिससे जन सुराज के SC उम्मीदवारों के लिए चुनौती कड़ी रहेगी।
चूंकि एनडीए और महागठबंधन ने अभी तक अपने उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की है, इसलिए अंतिम चुनावी गणित और जन सुराज के उम्मीदवारों का असली असर तब ही पता चलेगा, जब तीनों गठबंधनों के प्रत्याशियों की तस्वीर सामने आ जाएगी। तभी यह स्पष्ट होगा कि प्रशांत किशोर के उम्मीदवार स्वयं जीतने की स्थिति में रहेंगे या सिर्फ किसी बड़े दल को नुकसान पहुंचाने का माध्यम बनेंगे।