Bihar Politics समीक्षा बैठक में पार्टी नेताओं ने प्रत्याशियों के चयन पर भी सवाल खड़े किए। सर्वे टीम पर गंभीर आरोप लगाते हुए कार्यकर्ताओं ने कहा कि सर्वे टीम ने जमीन से जुड़े नेताओं को नज़रअंदाज़ किया और पैसे लेकर फर्जी लोगों के नाम पार्टी को सौंपे।
Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मिली करारी हार को लेकर पिछले 10 दिनों से चल रही आरजेडी की समीक्षा बैठक समाप्त हो गई। सूत्रों के अनुसार, बैठक में हार के कारण कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में कहा कि नेता (तेजस्वी यादव) से कार्यकर्ताओं की दूरी ही मुख्य कारण है। इस मुद्दे पर समीक्षा बैठक में आए कार्यकर्ता से लेकर पदाधिकारी तक ने संजय यादव को कठघरे में खड़ा किया।
आरजेडी की समीक्षा बैठक मंगलवार को समाप्त हो गई। संजय यादव का नाम लिये बिना कार्यकर्ताओं ने कटाक्ष करने का कोई अवसर नहीं छोड़ा। कार्यकर्ताओं ने कहा कि तेजस्वी यादव को कुछ लोगों ने अपने चश्मे से देखना शुरू कर दिया था। यही वजह है कि पार्टी कार्यकर्ता उनसे दूर हो गए और संजय की दृष्टि से सब कुछ देखना‑सुनना शुरू कर दिया। पार्टी की हार पर आरजेडी के सीनियर नेता शिवानंद तिवारी ने भी बुधवार को अपने फेसबुक पर संजय और पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष को कठघरे में खड़ा किया है।
शिवानंद तिवारी ने अपने पोस्ट में लिखा है कि राजद के कार्यालय में समीक्षा बैठक चल रही है। मंगनी लाल जी कार्यकर्ताओं के आदमी हैं; वे कार्यकर्ताओं की बात सुनते हैं और उनकी इज़्ज़त करते हैं। जबकि कार्यकर्ता जगता भाई (पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जगतानंद सिंह) की इज़्ज़त नहीं करते थे; सभी उनसे डरते थे। उन्होंने तंज कसते हुए लिखा कि वे नेता नहीं, बल्कि साहब थे, जैसे साहब लोग मंत्री को वही सुनाते हैं जो उन्हें अच्छा लगता है। संजय और जगता भाई, दोनों ने तुम्हारी (तेजस्वी यादव) आँखों पर पट्टी बांध दी थी, खूब हरियाली दिखाई। इसके एवज़ में दोनों ने भरपूर हासिल भी कर लिया।
तुमको भी वही अच्छा लगता था। सब कुछ लूट जाने के बाद जब सत्य सामने आया, तो तुम सामना नहीं कर पाए। मैं सलाह दूँगा कि तुरंत वापस लौटो। बिहार में घूमो नेता की तरह नहीं, बल्कि कार्यकर्ता की तरह। सभी से मिलो, पर साहब की तरह नहीं। तभी भविष्य बचेगा। याद रखो, समय किसी का इंतज़ार नहीं करता।
समीक्षा बैठक में पार्टी नेताओं ने प्रत्याशियों के चयन पर भी सवाल उठाए। सर्वे टीम पर कई गंभीर आरोप लगाए गए। उन्होंने कहा कि पार्टी की सर्वे टीम ने जमीन से जुड़े नेताओं को नज़रअंदाज़ किया और पैसे लेकर फर्जी लोगों के नाम पार्टी को सौंपे। इस कारण कई नेता पार्टी से अलग हो गए। जो बचे, उनसे प्रत्याशियों ने कोई संपर्क नहीं किया। जनता और समर्थकों को छोड़ दें, पार्टी के सीनियर पदाधिकारियों से भी उन लोगों ने संपर्क नहीं किया। इससे पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता पूरे चुनाव में उपेक्षित महसूस करते रहे। पार्टी सूत्रों के अनुसार, समीक्षा बैठक में राज्यसभा सदस्य संजय यादव भी निशाने पर रहे। बिना उनका नाम लिये सदस्यों ने उन पर प्रहार करते हुए कहा कि जिसने टिकट बंटवारे में अपनी मनमानी की, उसे भी जवाब देना चाहिए कि आखिर पार्टी क्यों हारी।