सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से नेताओं का इस्तीफा देना का सिलिसिला नहीं थम रहा। पार्टी के चार नेताओं ने सीएम नीतीश का साथ छोड़ दिया है। इसमें से दो ने मायावती की पार्टी बीएसपी जॉइन किया है। वहीं एक जनसुराज के साथ चले गए हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू (JDU) में भूचाल मच गया है। पहले चरण के नामांकन खत्म होते ही पार्टी के चार वरिष्ठ नेताओं ने इस्तीफा दे दिया, जिससे एनडीए खेमे में हलचल मची है। ये नेता हैं राणा रणधीर सिंह चौहान, उनकी पत्नी एवं पूर्व विधायक सुनीता सिंह चौहान, पूर्व विधान पार्षद संजीव श्याम सिंह और पूर्व विधायक अशोक कुमार।
बेलसंड विधानसभा क्षेत्र से जुड़े राणा रणधीर सिंह चौहान और उनकी पत्नी सुनीता सिंह चौहान ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और बहुजन समाज पार्टी (BSP) में शामिल हो गए। सुनीता सिंह चौहान ने कहा कि जेडीयू में टिकट बंटवारे की प्रक्रिया अन्यायपूर्ण और पक्षपातपूर्ण रही। उनके अनुसार, लंबे समय से पार्टी में जुड़े और समर्पित कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर बाहरी चेहरों को प्राथमिकता दी गई।
2020 के विधानसभा चुनाव में सुनीता सिंह चौहान बेलसंड से JDU के टिकट पर जीत दर्ज कर चुकी हैं। उन्होंने स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ बनाई थी और विकास कार्यों के बूते अपनी पहचान बनाई। लेकिन इस बार जब जेडीयू ने फाइनल टिकट सूची जारी की, तो बेलसंड सीट किसी और को दी गई। नाराजगी के चलते चौहान दंपति ने पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया।
जेडीयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधान पार्षद संजीव श्याम सिंह ने भी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता छोड़ दी और प्रशांत किशोर (PK) की जन सुराज पार्टी में शामिल हो गए। संजीव सिंह ने बताया कि वे समता पार्टी के दौर से नीतीश कुमार के साथ जुड़े रहे और दो बार शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी रह चुके हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष से वे अतरी विधानसभा सीट से चुनाव की तैयारी कर रहे थे, लेकिन अंतिम समय में पार्टी ने सीट किसी और को दे दी। संजीव सिंह ने अपने इस्तीफा पत्र में लिखा, "मैंने संगठन के लिए पूरी निष्ठा से काम किया, लेकिन अब पार्टी पुराने कार्यकर्ताओं को भूल चुकी है। ऐसे माहौल में रहना मेरे आत्मसम्मान के खिलाफ है।"
शनिवार को पटना के शेखपुरा हाउस में संजीव सिंह ने औपचारिक रूप से जन सुराज पार्टी की सदस्यता ग्रहण की और गुरुआ विधानसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किए गए।
संजीव श्याम सिंह के बाद जेडीयू के पूर्व विधायक अशोक कुमार ने भी पार्टी छोड़ दी। उनका टिकट इस बार कट गया था, जिससे उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी का आरोप लगाया। अशोक कुमार ने कहा कि अब पार्टी में विचारधारा की जगह अवसरवाद ने ले ली है।