पटना

Bihar Election: 2005 में 139 सीटों से 2025 में 101 सीटों पर आ गई JDU, जानिए 20 सालों में कितना बदला नीतीश कुमार का सियासी ग्राफ

Bihar Election: पिछले 20 सालों में जेडीयू की एनडीए में हिस्सेदारी घटती गई है। 2005 में 139 सीटों से अब 2025 के चुनाव में सिर्फ 101 सीटें रह गई हैं। इस बार बीजेपी और जेडीयू पहली बार बराबर-बराबर 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, जिससे जेडीयू का ‘बड़े भाई’ वाला रुतबा खत्म हो गया है।

3 min read
Oct 13, 2025
Nitish Kumar (ANI)

Bihar Election: बिहार की राजनीति में अगर किसी नेता का नाम पिछले दो दशकों तक सत्ता, समीकरण और समझदारी के पर्याय के रूप में लिया गया है, तो वह हैं नीतीश कुमार। वो नीतीश, जिन्होंने 2005 में ‘सुशासन बाबू’ के नाम से सत्ता में दस्तक दी थी। लेकिन 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए तय सीट बंटवारे ने इस सियासी कहानी को नया मोड़ दे दिया है।

जहां कभी जेडीयू (JDU) को एनडीए (NDA) में बड़े भाई का दर्जा हासिल था, अब वही पार्टी सिर्फ बराबर की हिस्सेदारी पर सिमट चुकी है, अब न तो कोई बड़ा भाई है और न ही छोटा भाई। 2005 में जहां जेडीयू 139 सीटों पर लड़ी थी, वहीं 2025 में पार्टी को केवल 101 सीटों पर चुनाव लड़ना होगा। ये आंकड़ा सिर्फ सीटों का नहीं, बल्कि 20 साल के सियासी उतार-चढ़ाव की पूरी कहानी है।

ये भी पढ़ें

Bihar Election 2025: पशुपति पारस ने ठुकराया तेजस्वी का ऑफर, अब AIMIM और BSP संग बनाएंगे अलग मोर्चा!

2005 में पहली बार सीएम बनें नीतीश

साल 2005 बिहार की राजनीति के लिए मील का पत्थर था। लालू यादव और राबड़ी देवी के 15 साल के शासन से थके हुए बिहार ने नीतीश कुमार में एक नए नेता की उम्मीद देखी। जेडीयू और बीजेपी के गठबंधन ने मिलकर लालू-राबड़ी सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया। तब जेडीयू 139 सीटें, जबकि बीजेपी ने 102 सीटों पर चुनाव लड़ा था। गठबंधन में जेडीयू स्पष्ट रूप से बड़ा भाई था और बीजेपी उसका साइलेंट पार्टनर।

2010 में ऐतिहासिक जीत

2010 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की लोकप्रियता अपने चरम पर थी। लोगों को लगा था कि बिहार अब ‘जंगलराज’ से निकल चुका है और नीतीश कुमार की छवि सुशासन बाबू वाली बन चुकी थी। इस चुनाव में एनडीए ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की। जेडीयू ने 141 सीटों पर चुनाव लड़ कर 115 पर जीत हासिल की, वहीं बीजेपी ने 102 में से 91 सीटें जीतीं। इस वक्त तक राज्य की राजनीति में नीतीश की छवि एक कुशल प्रशासक और विकास पुरुष की बन चुकी थी। दिलचस्प बात यह थी कि केंद्र में यूपीए की सरकार थी, लेकिन नीतीश बिहार में एनडीए के चेहरे बने रहे।

बीजेपी से अलग हुई राह

2013 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद नीतीश ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया। इसके बाद 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर मैदान में उतरे और भाजपा को कड़ी चुनौती दी। परिणाम भी उनके पक्ष में गए और महागठबंधन को 178 सीटें मिलीं। लेकिन राजनीति में जो स्थायी है, वह है परिवर्तन। महागठबंधन ज्यादा दिन नहीं चला और 2017 में नीतीश ने पलटी मारते हुए दोबारा एनडीए में वापसी की।

2020 में पूरी तरह बदल गया समीकरण

2020 के चुनाव में समीकरण एकदम बदल चुका था। अब भाजपा सिर्फ सहयोगी नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र ताकत के रूप में उभर चुकी थी। इस चुनाव में जेडीयू को 115 सीटों पर और बीजेपी को 110 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला। परिणाम आए तो बीजेपी ने 74 सीटें जीतीं, जबकि जेडीयू सिर्फ 43 सीटों पर सिमट गई। यह पहला मौका था जब विधानसभा में बीजेपी की संख्या जेडीयू से ज़्यादा थी। इसके बावजूद बीजेपी ने गठबंधन धर्म निभाया और नीतीश को मुख्यमंत्री पद पर बनाए रखा।

2025 में बराबरी का फॉर्मूला

अब 2025 के चुनाव की बारी है और सीट बंटवारे ने यह साफ कर दिया है कि जेडीयू का बड़ा भाई वाला रुतबा खत्म हो चुका है। बीजेपी और जेडीयू दोनों को 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेगी । बाकी सीटों में लोजपा (रामविलास) को 29, रालोसपा (RLM) को 6 और हम (HAM) को 6 सीटें मिली हैं।

वर्षभाजपा की सीटें (लड़ी/जीती)जेडीयू की सीटें (लड़ी/जीती)
2005102 (55)139 (88)
2010102 (91)141 (115)
2015157 (53)* अलग लड़े101 (71)
2020110 (74)115 (43)
2025101 (TBD)101 (TBD)

ये भी पढ़ें

Bihar Election: NDA में 101-101 पर फाइनल हुई JDU-BJP की डील,जानिए चिराग-मांझी और कुशवाहा को मिली कितनी सीट

Also Read
View All

अगली खबर