Lalu Yadav Family रोहिणी आचार्य ने गुरूवार की सुबह एक पोस्ट शेयर किया। पोस्ट शेयर होते ही इसपर बवाल मच गया। बिहार का राजनीतिक तापमान बढ़ गया। तेज प्रताप और रोहिणी को जोड़कर एक नई चर्चा शुरू हो गई। लेकिन शाम में रोहिणी के एक दूसरे पोस्ट ने दिन भर की सरगर्मी पर विराम लगा दिया।
Lalu Yadav Family लालू परिवार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इसकी चर्चा तो अब राबड़ी आवास के बाहर भी होने लगी है। लेकिन, गड़बड़ क्या है? इसपर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं। पार्टी और परिवार के लोग सोशल मीडिया का पोस्ट दिखाकर बिना अपना नाम उजागर किए जवाब देते हैं। दरअसल, इसकी चर्चा एक बार फिर से पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्या के एक फेसबुक पोस्ट शेयर करने के बाद शुरू हुई। रोहिणी आचार्या ने गुरूवार की सुबह में जो फेसबुक पोस्ट शेयर किया उसपर बवाल मच गया। शाम में रोहिणी आचार्या राजनीतिक बवाल के बीच एक और फेसबुक पोस्ट शेयर कर पूरे दिन सुबह के पोस्ट पर मचे बवाल को शांत करने का प्रयास किया। लेकिन, एक दिन में रोहिणी आचार्या के इन दो पोस्ट पर चर्चा शुरू हो गई है।
दरअसल, यह पूरा विवाद कुर्सी को लेकर शुरू हुआ। गुरुवार की सुबह रोहिणी ने जिस फेसबुक पोस्ट को शेयर किया उसमें तेजस्वी की सीट पर संजय बैठे थे। इसको लेकर ही पटना के आलोक कुमार नाम के आदमी ने अपने पोस्ट में बहुत ही तीखे सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि बिहार के लोग उस कुर्सी पर लालू और तेजस्वी को देखने के आदी हैं, लेकिन कोई खुद को शीर्ष नेतृत्व से भी ऊपर समझ रहा है तो अलग बात है। रोहिणी आचार्या ने उनके इस पोस्ट को बिना किसी कमेंट या टीका-टिप्पणी के बगैर इसे शेयर कर दिया था। उनके शेयर करते ही बिहार में इसपर एक राजनीतिक बहस छिड़ गई। राजनीतिक पंडितों ने इसे रोहिणी के परोक्ष हमला बता। रोहिणी के पोस्ट शेयर करने के बाद संजय यादव डैमेज कंट्रोल मोड में आ गए।
आरजेडी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्या के इस पोस्ट के बाद संजय यादव का सिस्टम हिल सा गया। पूरे दिन इसपर चर्चा हुई। सोशल मीडिया पर इसपर एक बहस छिड़ गई। कहा जा रहा है कि आनन फानन परिवार में इस फैसले को रफा दफा करने के लिए रणनीति बनी और शाम में रोहिणी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से दो फोटो शेयर किया। दोनों फोटो उसी कुर्सी से जुड़ा था जिसपर सुबह से बवाल मचा था।
रोहिणी की ओर से पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम और मसौढ़ी की विधायक रेखा पासवान का फोटो शेयर किया गया। फोटो में शिवचंद्र राम और मसौढ़ी की विधायक रेखा पासवान उसी कुर्सी पर बैठे दिख रहे थे जिसपर सुबह में संजय यादव के बैठने पर बवाल मचा था। रोहिणी आचार्या ने फोटो शेयर कर लिखा कि वंचित वर्ग के लोगों को आगे बैठे देखना सुखद अनुभूति है। शिवचंद्र राम को हाजीपुर में चिराग पासवान के खिलाफ लड़ाया गया था।
राजनीतिक पंडितों का कहना है लालू प्रसाद यादव ने ऐसा कर के हारी हुई बाजी को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया है। लालू प्रसाद ने बड़ी सोची समझी रणनीति के तहत जिस कुर्सी पर बैठने को लेकर विवाद शुरू हुआ था उसको गरीब, दलित और मजबूर से जोड़ने के उदेश्य से शिवचंद्र राम और रेखा पासवान को उसी कुर्सी पर बैठाकर फोटो लेकर शेयर कर दिया। संजय यादव के बैठने और रोहिणी के पोस्ट शेयर कर पर परिवार में खटपट को लेकर जो विवाद शुरू हुआ था उसको गरीब दलित से जोड़कर लालू ने इसपर विवाद पर जहां विराम लगाने का प्रयास किया वहीं एक बड़ा राजनीतिक संदेश दे दिया।
रोहिणी के पोस्ट शेयर करने पर दरअसल, लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव और हरियाणा के रहने वाले संजय यादव खटपट के कारण चर्चा शुरू हो गई। तेज प्रताप ने संजय यादव को लेकर कई बार खुले तौर पर बयान दिया है। तेज प्रताप सीधे तौर पर उनका नाम नहीं लेते, लेकिन जब वो पार्टी और परिवार का ‘जयचंद’ बोलते हैं, तो समझने वाले समझ लेते हैं कि वो संजय पर निशाना साध रहे हैं।
संजय यादव दिल्ली में तेजस्वी के मित्र थे। तेजस्वी जब पटना लौटे तो उन्हें भी बुला लिया। संजय अब उनकी आंख-कान हैं। तेजस्वी के भरोसेमंद सलाहकार और रणनीतिकार हैं। तेजस्वी यादव सबसे ज्यादा संजय यादव पर ही भरोसा करते हैं। कहा जाता है कि लालू यादव और राबड़ी देवी के कार्यकाल के साए से निकालकर तेजस्वी और राजद को एक नई पहचान देने की जिम्मेवारी तेजस्वी यादव ने संजय को ही दे रखा है।