Gold Mining : राजस्थान अब कैसे होगा मालामाल? मेगा प्रोजेक्ट स्वर्ण खनन परियोजना से राज्य सरकार को करीब 1 लाख 40 हजार करोड़ रुपए का राजस्व मिलना है, लेकिन अटका गया है। अब क्या होगा जानिए।
Gold Mining : आदिवासी अंचल के लिए आर्थिक क्रांति का सपना बन चुकी स्वर्ण खनन परियोजना पर राजस्थान सरकार की शिथिलता भारी पड़ रही है। इस मेगा प्रोजेक्ट से राज्य सरकार को करीब 1 लाख 40 हजार करोड़ रुपए का भारी-भरकम राजस्व मिलना है, लेकिन खनन लाइसेंस जारी होने की प्रक्रिया में कई बाधाएं आ रही हैं।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक संबंधित कंपनी से हुए समझौते के बाद सरकार को 30 दिनों के भीतर ही खनन लाइसेंस जारी कर देना था, लेकिन यह समय सीमा बीत गया, लाइसेंस अटका है। गत वर्ष अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में एमओयू हुआ था। अब एक साल बीत चुका है। कंपनी को घाटोल क्षेत्र के जगपुरा और भूकिया में 4026 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में खनन और प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करना है।
सरकार ने टेंडर निरस्त कर दिया तो रतलाम की फर्म सैयद ओवेस अली राजस्थान हाईकोर्ट चली गई। कंपनी ने कोर्ट को बताया कि टेंडर में कुल 5 फर्म शामिल हुई थीं। इसमें छतीसगढ़ से जिंदल पावर लिमिटेड, कर्नाटक से रामगढ़ मिनिरल, अहमदाबाद से हीरा कुण्ड, उदयपुर से हिंदुस्तान जिंक ने भाग लिया।
टेंडर में शर्त थी कि कंपनी का टर्नओवर कम से कम 700 करोड़ हो, 50 करोड़ की बैंक गारंटी, टेंडर खुलने पर 100 करोड़ रुपए तत्काल जमा कराने होंगे। सैयद ओवसी अली फर्म ने 63.30 प्रतिशत की सबसे अधिक बोली लगाकर टेंडर हासिल किया था। मामले में कोर्ट ने पहले ही स्टे दे दिया था। आखिरी सुनवाई में जस्टिस कुलदीप माथुर की अदालत ने सरकार को 2 सप्ताह में जवाब दाखिल करने का समय दिया था।
खनन विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बड़ी राजस्व और रोजगार क्षमता वाली परियोजना को रोकना राजस्थान की आर्थिक प्रगति में बाधक है। सरकार जल्द से जल्द लाइसेंस जारी कर प्लांट शुरू करवाए, तो न केवल राज्य के खजाने में बड़ी राशि आएगी, बल्कि बांसवाड़ा देश के उन चुनिंदा जिलों में शामिल हो जाएगा, जो स्वर्ण उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
युवा कारोबारी संजय अग्रवाल कहते हैं कि जनप्रतिनिधियों को चाहिए वे मुख्यमंत्री से तत्काल बात करें, तत्परता से खनन लाइसेंस जारी करने की मांग करें। ताकि क्षेत्र के विकास का पहिया घूम सके और 10,000 युवाओं को उनके घर के पास ही सम्मानजनक रोजगार मिल सके।
यह परियोजना केवल राजस्व के लिए ही नहीं, बल्कि आदिवासी बहुल इस पिछड़े क्षेत्र के लिए 10,000 प्रत्यक्ष और सैकड़ों अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करेगी। क्षेत्र के लोग और स्थानीय प्रतिनिधि लगातार मांग कर रहे हैं कि योजना आदिवासी अंचल के विकास और युवाओं का पलायन रोकने के लिए ‘संजीवनी’ से कम नहीं है। लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में देरी को लेकर भी नाराजगी है।
बांसवाड़ा जिले के घाटोल क्षेत्र के कांकरिया गांव में तीसरी गोल्ड माइन मिलने की पुष्टि कई वर्ष पूर्व हुई थी। इससे पहले घाटोल क्षेत्र के ही जगपुरिया और भूकिया में स्वर्ण अयस्क मिले थे। यहां पर करीब 222 टन सोना होने का अनुमान है। यहां पर 113.5 मिलियन टन अयस्क की संभावना जताई गई है। इसमें अन्य कीमती धातु भी शामिल हैं।