Daily Bad Habits Cause of Cancer : 29 वर्षीय एंटरप्रेन्योर मोनिका चौधरी ने इंस्टाग्राम पर बताया कि लंबे काम के घंटे, तनाव और बर्नआउट ने उनकी हेल्दी लाइफस्टाइल को बिगाड़ दिया और उन्हें स्टेज-4 कोलन कैंसर हो गया। शोध बताते हैं कि लगातार तनाव से शरीर में हार्मोनल बदलाव और सूजन बढ़ती है, जिससे हार्ट डिज़ीज, डायबिटीज़ और अब कैंसर का खतरा भी बढ़ रहा है।
Daily Bad Habits Cause of Cancer : 29 वर्षीय एंटरप्रेन्योर मोनिका चौधरी की खबर ने एक बड़ी चिंता की लहर पैदा कर दी है। एक भावुक इंस्टाग्राम पोस्ट में उन्होंने बताया कि कैसे उनकी स्वास्थ्य के प्रति सजग लाइफ स्टाइल लंबे काम के घंटों, तनाव और बर्नआउट में बदल गई। स्टेज-4 कोलन कैंसर की डरावनी खबर ने जिंदगी की पूरी तस्वीर ही बदल दी।
दशकों के शोध ने यह स्थापित किया है कि पुराना तनाव शरीर में रासायनिक परिवर्तनों को ट्रिगर करता है, जैसे ब्लड प्रेशर, हार्मोन और सूजन में वृद्धि, जिससे हार्ट डिजीज और डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। अब कैंसर एक बढ़ती हुई चिंता के रूप में उभरा है। राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री की 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 तक कैंसर के मामलों में 2020 की तुलना में करीब 12.5% बढ़ोतरी हो सकती है।
मोनिका के अनुभव ने कई लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है: क्या तनाव और बर्नआउट वाकई इतने विनाशकारी हो सकते हैं?
सीनियर कंसल्टेंट, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, डॉ. रोहित स्वामी कहते हैं कि कैंसर होने के सीधे कारण-संबंध का प्रमाण तो उपलब्ध नहीं है। लेकिन कई अध्ययनों से पता चलता है कि लंबे समय तक तनाव और बर्नआउट कैंसर की बढ़ती घटनाओं से जुड़े हैं, लेकिन शायद ही कभी यह साबित हो कि अकेले तनाव कैंसर का कारण बनता है।
डॉ. रोहित स्वामी ने बताया , तनाव सीधे कैंसर का कारण नहीं बनता, लेकिन बड़ी भूमिका जरूर निभाता है। यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है, सूजन बढ़ाता है और ऐसे आदतें बढ़ा देता है जो कैंसर का खतरा बढ़ा सकती हैं। मतलब साफ है तनाव अकेला कारण नहीं, लेकिन एक बड़ा सहायक कारक है।
लंबे समय तक तनाव हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है और कोर्टिसोल व साइटोकाइन के स्राव को बढ़ाता है। जहां कोर्टिसोल प्रतिरक्षा को कम करता है, वहीं साइटोकाइन सूजन और एंजियोजेनेसिस को बढ़ाता है, जो मेटास्टेसिस को बढ़ावा देता है। लोगों की स्वयं की मरम्मत करने की जन्मजात क्षमता प्रभावित होती है। ये बदलाव कभी-कभी 20 और 30 की उम्र के लोगों को भी कैंसर के प्रति अधिक संवेदनशील बना देते हैं।
लाइफ स्टाइल और पर्यावरणीय कारकों के कारण युवा आयु वर्ग में कैंसर के मामले अक्सर बढ़ रहे हैं। हम 20 और 30 की उम्र के लोगों में ज्यादा जीआई और फेफड़ों के कैंसर का निदान कर रहे हैं। मोटापा, तंबाकू और शराब का सेवन, धूम्रपान और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, प्रदूषण और रेडॉन के संपर्क में आने से अक्सर जोखिम बढ़ जाता है।
डॉ. रोहित स्वामी ने बताया, बर्नआउट नींद की गुणवत्ता को बाधित कर सकता है और अनिद्रा जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है, प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है और शरीर की प्राकृतिक मरम्मत प्रक्रियाओं में बाधा डाल सकता है।
यह भावनात्मक रूप से खाने की प्रवृत्ति को भी बढ़ावा दे सकता है, जिससे वजन बढ़ना और मोटापा बढ़ सकता है, जो दोनों ही कैंसर के जोखिम कारक हैं।
बैठे-बैठे रहने की आदत जो अक्सर काम के तनाव और बर्नआउट से जुड़ी होती है, शरीर की ताकत घटा देती है और मेटाबॉलिज़्म व इम्यून सिस्टम को बिगाड़ देती है। यह शराब, निकोटीन या अन्य पदार्थों जैसे सहने के तंत्रों को जन्म देती है विषाक्त पदार्थों को शरीर में प्रवेश कराकर और पुरानी सूजन को बढ़ाकर कैंसर के जोखिम को और बढ़ा देती है।
- बदली हुई नींद का चक्र या लगातार अनिद्रा
- बार-बार धड़कन या ब्लड प्रेशर में वृद्धि
- बदला हुआ ब्लड शुगर का स्तर
- अचानक वजन बढ़ना
- बदली हुई मल त्याग की आदतें
- तनाव से राहत के लिए शराब, सिगरेट या तंबाकू पर बढ़ती निर्भरता
- काम के घंटे संतुलित रखें
- छुट्टियां और लचीला शेड्यूल दें
- खुलकर बात करने और सुरक्षित माहौल बनाएं
- मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक आसान पहुँच दें
- ऑफिस टाइम के बाद काम से जुड़ा दबाव कम करें
- एक्सरसाइज को बढ़ावा दें और हेल्दी खाने के ऑप्शन दें
- एक अंधेरे, ठंडे कमरे में सोने की दिनचर्या बनाएं और उसे बनाए रखें, देर रात स्क्रीन के संपर्क को सीमित करें
- सप्ताह में कम से कम 150 मिनट व्यायाम करें
- फाइबर युक्त भोजन अपनी डाइट में शामिल करें
- तंबाकू से बचें और शराब को सीमित करें