Ladli Behna Yojana Digital Tracking: मध्य प्रदेश की लाड़ली बहना योजना देश दुनिया में सबसे लोकप्रिय योजना है, इस योजना के बारे में कहा जाता है कि एमपी में भाजपा की जीत का सेहरा है... 28 जनवरी 2023 में शुरू होने वाली इस योजना ने प्रदेश की करोड़ों बहनों की रोजमर्रा की लाइफ को आसान ही नहीं बनाया, बल्कि डिजिटल की दुनिया में कदम रखने का मौका भी दिया, जानें लाड़ली बहना योजना से जुड़ी महिलाओं के एमपी ऑनलाइन, बैंक से लेकर डिजिटल ट्रैकिंग तक के सफर की रोचक कहानी...
Ladli Behna Yojana Digital Tracking: संजना कुमार @ patrika.com: मध्यप्रदेश की बहुचर्चित लाड़ली बहना योजना अब केवल आर्थिक मदद तक सीमित नहीं रही। वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की इस महत्वाकांक्षी योजना ने महिला सशक्तिकरण को नया आयाम दिया है। लेकिन खास बात ये है कि इस योजना ने अब डिजिटल ट्रैकिंग का रूप ले लिया है। जिसके बाद ये योजना अब बेहद पारदर्शी और सुविधा बढ़ाने वाली बन गई है। ये बदलाव कागजों में नहीं बल्कि लाड़ली बहनों के रोजमर्रा की लाइफस्टाइल का हिस्सा बन गया है।
सीहोर की लक्ष्मी प्रजापति कहती हैं…'पहले पैसा कब आया? आया भी या नहीं? एमपी ऑनलाइन में या आंगनबाड़ी से हमारी भाभी और हमने फॉर्म भरे थे वहां जाकर पता लगाना पड़ता था। लेकिन अब मोबाइल पर ही मैसेज आ जाता है। अगर पैसे नहीं आते तो हम ऑनलाइन ही चैक करते हैं। सब तुरंत पता चल जाता है। देवरानी और जेठानी दोनों का कहना है कि असल में डिजिटल क्रांति तो हम ही ला रहे हैं, अब स्मार्ट फोन और लाडली बहना योजना खाते के ऑनलाइन होने से हम भी स्मार्ट हो गए हैं।
सागर की ममता पटेल कहती हैं कि पहले मुझे मोबाइल चलाना नहीं आता था, लेकिन अब मेरे बेटे ने मुझे सिखा दिया और बता दिया कि कैसे लाड़ली बहना योजना का पोर्टल चैक करना है, कैसे पता चलता है कि खाते में हर महीने आने वाली किस्त कब आई और कितने पैसे आए।
भोपाल की पूजा शर्मा कहती हैं कि जबसे लाड़ली बहना योजना शुरू हुई है, मेरे पास कुछ पैसे जमा होने लगे हैं। अब मैं इसी खाते के माध्यम से डिजिटल रूप में ही अपनी शॉपिंग या जरूरत का सामान खरीद लेती हूं। मेरे पति ने मुझे मोबाइल के माध्यम से ई पेमेंट करना सिखा दिया है। अब मुझे सामान खरीदने के दौरान पैसे कम पड़ जाते हैं तो मैं ई पेमेंट कर देती हूं।
ऐसे में केंद्र सरकार की डिजिटल इंडिया पहल के साथ ही लाड़ली बहना योजना का डिजिटल रूपातंरण एक बड़ा उदाहरण बन गई है। मोबाइल बैंकिंग, यूपीआई और डिजिटल वॉलेट जैसे टूल्स का इस्तेमाल ग्रामीण महिलाओं की पहुंच में आ गया है। गांव की महिलाएं पहले जहां किसी सेंटर या बैंक में लंबी लाइन में खड़ी रहती थीं, अब सीधे अपने मोबाइल पर पैसे आने का मैसेज भर देखकर ही खुश हो रही हैं।
गांव-गांव के युवा इस डिजिटल सफर के साथी बन गए हैं। कई युवा अपनी माताओं और बहनों को मोबाइल चलाना सिखा रहे हैं। लाड़ली बहना योजना पोर्टल से जानकारी जुटाना सिखा रहे हैं। मैसेज पढ़ने से लेकर शिकायत करने तक सब सीख रही हैं महिलाएं। इस योजना ने उन्हें डिजिटल की दुनिया के मैदान में भी उतार दिया है।
लाड़ली बहना योजना के तहत मिलने वाली आर्थिक सहायता ने महिलाओं को न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि घरेलू निर्णयों में उनकी भागीदारी को भी सुनिश्चित किया है। अब महिलाएं खुद फैसले भी ले रही हैं। वह तय कर रही हैं कि उन्हें कहां और कैसे लाड़ली बहना योजना के पैसे खर्च करने हैं। डिजिटल सुविधा ने उन्हें हर तरह से आत्मनिर्भर बनाया है।