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रायपुर के 250 साल पुरानी इस हवेली में आज भी होते हैं बाल स्वरूप श्रीकृष्ण के दर्शन, जानें इतिहास…

Krishna Janmashtami 2025: राजधानी रायपुर के सदर बाज़ार स्थित बूढ़ातालाब इलाके में लगभग ढाई सौ साल पुरानी गोकुल चंद्रमा हवेली है, जो भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है

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Aug 16, 2025
रायपुर के 250 साल पुरानी इस हवेली में आज भी होते हैं बाल स्वरूप श्रीकृष्ण के दर्शन, जानें इतिहास...(photo-patrika)

Krishna Janmashtami 2025: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सदर बाज़ार स्थित बूढ़ातालाब इलाके में लगभग ढाई सौ साल पुरानी गोकुल चंद्रमा हवेली है, जो भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। इस हवेली की विशेषता यह है कि यहाँ श्रीकृष्ण की बाल स्वरूप में पूजा और सेवा की जाती है। सुबह मंगला आरती से लेकर रात के शयन दर्शन तक भक्तगण बड़ी संख्या में यहाँ पहुँचते हैं और लल्ला के श्रृंगार व भोग का आनंद लेते हैं।

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Krishna Janmashtami 2025: पान बीड़ा का अनोखा प्रसाद

हवेली की एक और खास परंपरा है – पान बीड़ा का प्रसाद। यहां आने वाले भक्तों को आरती के बाद पान बीड़ा प्रसाद स्वरूप दिया जाता है, जिसे पाने की सभी बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं। मान्यता है कि इस अनोखे प्रसाद के बिना गोकुल चंद्रमा हवेली की यात्रा अधूरी मानी जाती है।

त्योहारों पर यहां का माहौल बेहद भव्य हो जाता है। जन्माष्टमी और अन्य पर्वों पर लड्डू गोपाल का विशेष श्रृंगार होता है और तरह-तरह के भोग अर्पित किए जाते हैं। परंपरा के अनुसार, भगवान भोलेनाथ स्वयं श्रीकृष्ण के जन्म के दूसरे दिन इस हवेली में आकर दर्शन करते हैं। यही कारण है कि यह हवेली केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बन चुकी है।

रायपुर की 250 साल पुरानी हवेली

इस परंपरा को पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानीय परिवारों ने संजोए रखा है। हवेली का स्थापत्य भी प्राचीन संस्कृति और कला का अद्भुत उदाहरण है, जिसमें बारीक नक्काशी और पारंपरिक छत्तीसगढ़ी शैली की झलक मिलती है। धार्मिक महत्व के साथ-साथ इस हवेली का इतिहास भी रोचक है, क्योंकि इसे तत्कालीन जमींदार परिवार ने बनवाया था और तब से लेकर आज तक यहां श्रीकृष्ण की सेवा परंपरा निरंतर जारी है। यही कारण है कि यह हवेली श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

आस्था और श्रीकृष्ण भक्ति का अनोखा संगम

सावन के पावन महीने में भगवान भोलेनाथ की भक्ति का दौर समाप्त होते ही अब श्रद्धालु श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की तैयारी में जुट गए हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की, जो हर वर्ष बड़े हर्ष और उल्लास से मनाई जाती है। छत्तीसगढ़, जिसे भगवान श्रीराम का ननिहाल कहा जाता है, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों से समृद्ध है।

यहां आज भी भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े कई प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर विद्यमान हैं। इन्हीं में से एक है गोकुल चंद्रमा हवेली मंदिर, जो राजधानी रायपुर के सदर बाजार स्थित बूढ़ातालाब के पास स्थित है। इस हवेली मंदिर का इतिहास लगभग 250 वर्ष पुराना है और यह अपनी धार्मिक परंपराओं और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है।

जहां बाल स्वरूप में होती है भगवान श्रीकृष्ण की सेवा

गोकुल चंद्रमा हवेली मंदिर की प्रभारी मीना पंड्या के अनुसार, इस प्राचीन हवेली का इतिहास जितना पुराना है, उतना ही आकर्षक भी है। यहां भक्तों को सुबह मंगला आरती से लेकर शाम के शयन दर्शन तक भगवान के दर्शन का अवसर मिलता है। प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और सभी को विशेष रूप से पान बीड़ा का प्रसाद दिया जाता है। इस प्रसाद को पाने की प्रतीक्षा भक्तों के लिए आस्था का हिस्सा बन चुकी है, और पान बीड़ा ग्रहण किए बिना कोई भी हवेली से बाहर नहीं निकलता।

रायपुर की 250 साल पुरानी गोकुल चंद्रमा हवेली

हवेली में हर पर्व बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यहां श्रीकृष्ण की सेवा बाल स्वरूप में की जाती है, जिसमें उन्हें विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि यह निधि स्वरूप हवेली है और कृष्ण जन्म के अगले दिन स्वयं भगवान शंकर यहां बालकृष्ण के दर्शन करने आते हैं।

जहां अन्य मंदिरों में भी कृष्ण लला का श्रृंगार होता है, वहीं गोकुल चंद्रमा हवेली में भव्य और विस्तृत श्रृंगार किया जाता है। यहां भगवान श्रीकृष्ण की बाल स्वरूप में पूजा, लालन-पालन और सेवा परंपरा सदियों से चलती आ रही है।

Updated on:
16 Aug 2025 12:14 pm
Published on:
16 Aug 2025 12:10 pm
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