PM Mitra Park: एमपी ही नहीं देश की अर्थव्यवस्था का नया चैप्टर होगी पीएम मित्र पार्क परियोजना, किसानो, युवाओं, महिलाओं के साथ ही भावी पीढ़ी की चमकेगी किस्मत,
PM Mitra Park Dhar: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जब धार जिले की भैंसोला ग्राम पंचायत की जमीन पर PM Mega Integrated Textile Region and Apparel Park (PM MITRA Park) की नींव रखेंगे, तो यह महज एक औद्योगिक परियोजना का आगाज भर नहीं होगा। असल में यह परियोजना एक ऐसे भूभाग की कहानी की शुरुआत करेगी जहां अब तक कपास तो खूब उगती थी, लेकिन उस कपास की कीमत गांव छोड़ते-छोड़ते कई गुना हो जाती थी। किसान को सिर्फ बीज और मेहनत का दाम मिलता था, लेकिन असली फायदा बुनकर, व्यापारी और बड़े उद्योगों की शानदार परवरिश करता था।
धार और आसपास के इलाके देश के प्रमुख कपास उत्पादन क्षेत्रों में गिने जाते हैं। लेकिन अब तक कपास केवल कच्चे रूप में मंडी तक पहुंचकर रुक जाती थी। गांव के किसान अक्सर कहते थे, कि हमारी फसल से बनती शर्ट तो, अमेरिका-यूरोप तक जाती है, लेकिन हमारे घरों में उसी दाम का एक कपड़ा खरीदना भी मुश्किल हो जाता है।' PM MITRA Park इस रुआंसी कहानी का रुख बदलने वाला है। यहां कपास से धागा, धागे से कपड़ा और कपड़े से फैशन उत्पाद तैयार होंगे। यानी किसान की मेहनत की पूरी वैल्यू चेन गांव-जिले से बाहर नहीं जाएगी। यह बदलाव किसानों को फसल के साथ-साथ औद्योगिक मूल्य का हिस्सा भी दिला सकता है।
धार के ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में महिलाएं हैं जो, आज भी सिलाई-बुनाई जैसे घरेलू कामों में दक्ष हैं। अब पार्क के साथ तैयार होने वाली गारमेंट यूनिट्स, डिजाइन हब और हॉस्टल उन्हें स्थायी नौकरी का मौका देंगे। सरकार का दावा है कि इस परियोजना से लगभग 3 लाख लोगों को रोजगार मिलेंगे, जिनमें बड़ी हिस्सेदारी महिलाओं की होगी। गांव की ही एक महिला कुसुमा कहती हैं कि 'आज तक तो हम दूसरों के कपड़े सिलकर रोजी-रोटी कमाते थे, कल को हो सकता है कि हमारे ही बनाए कपड़े बड़े ब्रांड्स में बिकें।'
धार के आसपास के कॉलेजों और ITI से पास-आउट युवा अक्सर इंदौर या सूरत जैसे शहरों का रुख करते हैं। अब पार्क में लगने वाले डिजाइन, टेक्नोलॉजी और गुणवत्ता नियंत्रण केंद्र उन्हें स्थानीय स्तर पर ही नौकरी देंगे बल्कि, पलायन रोकेंगे। गांव की अर्थव्यवस्था में 'कौशल आधारित कमाई' का नया अध्याय लिखा जाएगा।
हालांकि इस परियोजना को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं। भैंसोला और आसपास की जमीनों को अधिग्रहित करने की प्रक्रिया में किसानों ने आशंका जताई थी, 'क्या हमारी खेती बच पाएगी? क्या हमें पर्याप्त मुआवजा मिलेगा?' सरकार ने स्पष्ट किया है कि अधिग्रहण स्वैच्छिक समझौते और बाजार मूल्य से ज्यादा कीमत पर हुआ है। साथ ही विस्थापित परिवारों के लिए रोजगार में प्राथमिकता का प्रावधान भी है।
टेक्सटाइल उद्योग अक्सर पानी की खपत और प्रदूषण को लेकर बदनाम रहा है। कपड़े की डाई और केमिकल से नदी-नाले तक प्रदूषित हो जाते हैं।
MITRA Park में कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट और री-सायकल वाटर सिस्टम की घोषणा की गई है। लेकिन असली परीक्षा तब होगी जब कारखाने चलेंगे और यह देखना होगा कि पर्यावरणीय मानक कितनी ईमानदारी से लागू होते हैं।
इस परियोजना का सबसे दिलचस्प पहलू ये है कि प्रधानमंत्री अपने जन्मदिन पर इस योजना की शुरुआत करने जा रहे हैं। राजनीतिक मायनों से यह बड़ा संदेश है, लेकिन धार जिले के लिए इससे भी अहम है कि गांव-कस्बों में उद्योग का केंद्र बन रहा है।
-खेती की फसल का बेहतर दाम
-गांव में ही नौकरी
-महिलाओं के लिए सुरक्षित कामकाज का माहौल
-बच्चों के लिए शिक्षा और कौशल केंद्र
अगर यह परियोजना कागज से निकलकर जमीन पर ठीक वैसे ही उतरती है जैसे इसकी प्लानिंग की गई है, तो आने वाले पांच-दस सालों में धार जिला सिर्फ 'कपास उत्पादन क्षेत्र' नहीं, बल्कि दुनिया के लिए 'भारत का टेक्सटाइल हबट कहलाएगा। गांवों में सड़कें बेहतर होंगी, छोटे व्यापारी लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट से कमाएंगे, युवाओं को पलायन नहीं करना पड़ेगा और महिलाएं भी कमाने वालों की कतार में शामिल होंगी।