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तब चुनाव अभियान बीच में ही छोड़ा, सीधे भोपाल पहुंचे थे राजीव गांधी, उनके एमपी के दौरे बने मिसाल

Rajiv Gandhi Birth Anniversary: पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी का आज जन्मदिन है, इस अवसर पर patrika.com पर पढ़ें एक किस्सा, जो बताता है कि कैसे एक बार देशभर में चलाए जा रहे चुनाव अभियान को बीच में ही छोड़ वो भोपाल आए और उनका वो दौरा एक राजनेता की संवेदनशीलता का मिसाल बन गया था…

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Aug 20, 2025
Rajiv Gandhi MP Visit(Photo: Social Media)

Rajiv Gandhi Birth Anniversary: पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी देश के सबसे युवा नेताओं में शामिल थे। 20 अगस्त 1944 को जन्मे राजीव गांधी की आज बर्थ एनिवर्सरी है। यह दिन उनके राजनीतिक जीवन और उन पलों को सहज ही याद दिला जाता है, जब उन्होंने कठिन परिस्थितियों, मुश्किल समय और आम जनजीनव के बीच सीधा संवाद कायम किया। मध्य प्रदेश खासकर भोपाल उनके राजनीतिक जीवन का गवाह रहा है। 1984 की गैस त्रासदी के बाद उनका दौरा हो या फिर 1985 में आदिवासी अंचलों में उनका आत्मीय संवाद, राजीव गांधी के दौरों में संवेदनशीलता और जनसेवा की झलक साफ नजर आती है।

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भोपाल गैस त्रासदी: राजीव गांधी का सबसे अहम दौरा (1984)

3 दिसंबर 1984 की रात भोपाल की गैस त्रासदी ने देश-दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। ये त्रासदी दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदी बनकर इतिहास के पन्नों दर्ज हो गई। यूनियन कार्बाइड के संयंत्र से निकली जहरीली गैसे ने हजारों जिंदगियों को लील लिया, पीढ़ियों को तबाह कर दिया और लाखों लोग इससे प्रभावित हुए। त्रासदी के तीन दिन बाद 6 दिसंबर को राजीव गांधी भोपाल पहुंचे। उस दौरान वे देशभर में चुनाव प्रचार अभियान का हिस्सा बने हुए थे। लेकिन गैस त्रासदी की खबर के बाद चुनाव अभियान को बीच में ही छोड़ वे यहां पहुंचे।

तत्कालीन मुख्यमंत्री ने की इस्तीफे की पेशकश


उस समय अर्जुन सिंह एमपी के मुख्यमंत्री थे। राजीव गांधी ने उनके साथ मिलकर अस्पतालों का दौरा किया, जहां गैस प्रभावितों की आंखों में दर्द और परिवारों की चीख-पुकार गूंज रही थी। उस समय उन्होंने पीड़ितों से सीधा संवाद करते हुए उनकी पीड़ा समझने की कोशिश की। राहत और पुनर्वास कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। तब उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ गुप्त ब्रिफिंग भी की। बाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी। कहा जाता है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने हालात को देखते हुए राजीव गांधी के सामने अपने इस्तीफे की पेशकश की। लेकिन हालात के मद्देजर उन्होंने इस्तीफा लेने से इनकार कर दिया और उन्हे पद पर बने रहकर हालात संभालने को कहा। भोपाल गैस त्रासदी के बीच उनका ये दौरा आपदा के समय संवेदनशील नेतृत्व और संकट प्रबंधन का उदाहरण बना।

तीन दिवसीय दौरे पर आदिवासी संस्कृति में रंगे नजर आए राजीव (1985)


भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy)के बाद करीब 7 महीने बाद राजीव गांधी एक बार फिर दौरे (Rajiv Gandhi MP Visit) पर आए थे। राजीव गांधी का तीन दिवसीय ये दौरा 12-14 जुलाई 1985 के बीच था। राजनीतिक और प्रशासनिक सोच से इतर यह दौरा संस्कृति, परंपरा और विकास पर था। इस दौरान राजीव गांधी आदिवासियों की पारंपरिक पौशाक में नजर आए। वे आदिवासी अंदाज में ही स्थानीय लोगों के बीच पहुंचे। यहां उन्होंने बच्चों के साथ समय बिताया। स्थानीय प्रदर्शनियां देखीं और आदिवासी संस्कृति को करीब से जाना।

Rajeev Gandhi Visit MP- 12-14 July 1985 Rajiv Gandhi Visit MP(Photo: Social Media)

राजीव गांधी का ये दौरा स्पष्ट करता है कि आदिवासी विकास केवल आर्थिक योजनाओं से नहीं बल्कि, सांस्कृतिक सम्मान से भी जुड़ा है। राजीव गांधी का ये दौरा भी मिसाल बना कि आधुनिकता के साथ भारत की जड़ों और परम्पराओं को भी गहराई से समझना जरूरी है।

Rajeev Gandhi Visit MP 1985(Photo: Social Media)

चुनावी दौरे और जनता से संवाद (1989)

लोकसभा चुनाव से पहले सितंबर 1989 में भी राजीव गांधी एमपी के दौरे पर आए थे। दो दिवसीय इस दौरे पर एक राजनेता (Rajiv Gandhi) के रूप में उनकी अलग ही छवि नजर आई थी। केवल 48 घंटों में उन्होंने 12 निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा किया। तेजी से जनसभाएं कीं। लोगों के बीच संवाद कायम कर चुनावी माहौल को गति दी। उनका यह दौरा एक राजनेता की सक्रियता की मिसाल बना। क्योंकि वे सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तरह चुनावी दौरों में भी ऊर्जावान बने रहे। उन्होंने साबित कर दिया कि एक राजनेता के रूप में जनसंवाद ही उनकी ताकत है।

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Published on:
20 Aug 2025 01:39 pm
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