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घरों में क्यों नहीं की जाती जगत पिता ब्रह्मा की पूजा, जानिए पुष्कर मेले से जुड़ा सैकड़ों वर्ष पुराना रहस्य

आखिर किस वजह से घरों में नहीं की जाती जगत पिता ब्रह्मा की पूजा, जानिए पुष्कर मेले से जुड़ा सैकड़ों वर्ष पुराना रहस्य-

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Nov 05, 2025
Photo- Patrika

जयपुर। राजस्थान के अजमेर शहर के पास अरावली की पहाड़ियों की तलहटी में बसे पुष्कर कस्बे को तीर्थराज पुष्कर के नाम से भी जाना जाता है। सतयुगी तीर्थ पुष्कर की उत्पत्ति पृथ्वी पर सृष्टि की उत्पत्ति से जुड़े सृष्टि-यज्ञ से जुड़ी है।

स्थानीय बुजुर्ग पद्म पुराण के सृष्टि खंड में उल्लेखित कथा का उद्धरण देकर बताते हैं कि जगत पिता ब्रह्मा ने सृष्टि की उत्पत्ति करने के लिए पुष्कर तीर्थ की उत्पत्ति की थी।

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वज्र नामक राक्षस ब्रह्मा के पुत्रों को परेशान करता था। जिसे मारने के लिए ब्रह्मा ने कमल पुष्प की आकृति का शस्त्र चलाया। इसकी पंखुड़ियां तीन जगहों पर गिरीं जहां से प्राकृतिक जलधाराएं बह निकलीं।

Pushkar Fair 2025. Photo- Patrika

यह तीनों स्थान ज्येष्ठ पुष्कर, मध्य पुष्कर एवं कनिष्क पुष्कर के रूप में आज भी विद्यमान हैं। ज्येष्ठ पुष्कर सरोवर में ब्रह्मा ने सृष्टि उत्पत्ति के लिए यज्ञ किया था।

पूजा हवन के लिए धर्मपत्नी सावित्री को बुलाने के लिए ब्रह्मा ने पुत्र नारद को भेजा। यज्ञ मुहूर्त निकलते जाने पर सावित्री का समय पर आना नहीं हो पाने से ब्रह्मा ने नंद गांव से गुर्जर कन्या के रूप में शहर आ रही देव कन्या को मंत्रोच्चार से घास में परिवर्तित कर उसका नामकरण गायत्री कर उसके साथ बैठकर यज्ञ किया। इससे रुष्ट सावित्री ने ब्रह्मा को श्राप दिया।

Brahma Temple, Pushkar. Photo- Patrika

तभी से पुष्कर में ब्रह्मा की केवल मंदिर में ही पूजा की जाती है घरों में नहीं। यह सृष्टि यज्ञ कार्तिक मास की एकादशी की एकादशी से तिथि से पूर्णिमा तिथि तक पांच दिनों की अवधि में करने के कारण सैकड़ों वर्षों से पांच दिनों का धार्मिक पुष्कर मेला आयोजित किया जाता है।

पुष्कर के प्रमुख पांच मंदिर

पुष्कर में यूं तो घर-घर में मंदिर हैं। लेकिन यहां के पांच प्रमुख मंदिर माने गए हैं। इनमें ब्रह्मा मंदिर में जगत पिता ब्रह्मा के साथ गायत्री के विग्रह की पूजा होती है।

श्री रंगनाथ वेणुगोपाल मंदिर व श्री रमा बैकुंठ नाथ मंदिर. Photo- Patrika

दूसरा भगवान विष्णु के वराह भगवान, श्री रंगनाथ वेणुगोपाल भगवान, श्री रमा बैकुंठ नाथ भगवान और अटमटेश्वर महादेव सहित कुल पांच प्रमुख मंदिर हैं।

52 घाटों से घिरा सरोवर

पुष्कर सरोवर. फोटो- पत्रिका

पुष्कर में सबसे ज्यादा महत्व पुष्कर सरोवर का है। बताया जाता है कि गाय के खुर के समान पानी की जलधारा निकलने के बाद जोधपुर के महाराजा नाहर राव पडिहार ने इसका जीर्णोद्धार कराया था।

इसके बाद राजस्थान के कोटा, बीकानेर, सीकर, जयपुर, किशनगढ़, भरतपुर, ग्वालियर विभिन्न रियासतों की ओर से इस सरोवर के किनारे घाट बनवाए गए। जिससे पुष्कर सरोवर का रूप निखर गया। मध्य पुष्कर में वर्तमान में पानी नहीं है तथा कनिष्क पुष्कर को रूद्र पुष्कर यानि बूढा पुष्कर कहते हैं।

पुष्कर सरोवर में शाही स्नान के बाद आरती करते संत। Photo- Patrika

धार्मिक मान्यता के अनुसार जिसने पुष्कर सरोवर में स्नान कर लिया, उसे पापों से मुक्ति मिल जाती है। कार्तिक पूर्णिमा के समय लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से आकर पुष्कर सरोवर में आस्था की डुबकी लगाते हैं।

Pushkar Fair 2025. Photo- Patrika

हर वर्ष देश-दुनिया से लाखों पर्यटक पुष्कर पहुंचते हैं। हर साल नवंबर के महीने में लगने वाला पुष्कर मेला इस कस्बे की रौनक को और बढ़ा देता है। यह मेला विदेशी पर्यटकों के लिए तो किसी त्योहार की तरह होता है।

Pushkar Mela 2025. Photo- Patrika

पुष्कर पहुंचना बहुत ही आसान है। अजमेर रेलवे स्टेशन से यह महज 11 किलोमीटर वहीं जयपुर से इसकी दूरी करीब 150 किलोमीटर है। निकटतम एयरपोर्ट किशनगढ़ है, जो लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित है।

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Published on:
05 Nov 2025 06:38 am
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