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क्या एनडीए इस बार भी पुराने चेहरों पर दांव लगाएगा? जानें क्या कहते हैं नंबर

बिहार विधानसभा चुनाव इस बार काफी रोचक होने वाला है। एनडीए और महागठबंधन पर नए चेहरों को टिकट देने का काफी दबाव है।

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Sep 23, 2025
तेजस्वी यादव और चिराग पासवान बिहार के युवा चेहरे हैं। (Photo - ANI)

Bihar Elections 2025 : बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले 65 से 80 साल की उम्र वाले विधायकों की हवा खराब है। क्योंकि तेजस्वी यादव, चिराग पासवान जैसे युवा चेहरे दलों को युवाओं को राजनीति के फ्रंट में आगे लाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। ऐसे में बुजुर्ग एमएलए का इस बार चुनावी टिकट कटना तय माना जा रहा है। हालांकि बीते 3 विधानसभा चुनाव पर गौर करें तो पाएंगे बीजेपी और जदयू ही ऐसे दल हैं, जिन्होंने सबसे ज्यादा पुराने चेहरों पर भरोसा दिखाया है।

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बीजेपी-जदयू ने ट्रायड एंड टेस्टेड का फॉर्मूला अपनाया

आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी और जदयू लगातार दूसरी राह चुनते रहे हैं। 2010, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने औसतन 34 तो जदयू ने 26 उम्मीदवारों को लगातार टिकट दिया। यानी इन दलों ने ट्रायड एंड टेस्टेड फार्मूले को प्राथमिकता दी। इसके उलट कांग्रेस ने केवल 7 और राजद ने 12 पुराने प्रत्याशियों पर भाग्य आजमाया। यह अंतर दलों की चुनावी सोच और संगठनात्मक मजबूती की कहानी कहता है।

बीजेपी-जदयू क्यों टिके पुराने नामों पर?

जानकार बताते हैं कि बीजेपी और जदयू का मानना है कि चुनाव में पहचान सबसे अहम हथियार होता है। गांव-गांव और मोहल्लों तक अपनी पहचान बना चुके नेताओं पर टिकट दोहराने से न सिर्फ कार्यकर्ताओं की ऊर्जा बनी रहती है बल्कि वोटर का भरोसा भी आसानी से हासिल होता है। खासकर बिहार जैसे राज्य में, जहां जातीय समीकरण और स्थानीय नेटवर्क चुनाव जीतने की कुंजी हैं।

कांग्रेस और राजद का दूसरा रास्ता

इसके मुकाबले कांग्रेस और राजद ने अपेक्षाकृत नए चेहरों को मैदान में उतारने पर ज्यादा जोर दिया। कांग्रेस में लगातार गुटबाजी और संगठन में नेतृत्व की कमजोरी के कारण होनहार उम्मीदवारों की संख्या कम है। वहीं राजद ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में युवाओं पर भरोसा जताया और नई राजनीतिक जमीन तैयार करने की कोशिश की। हालांकि इस रणनीति का परिणाम मिलाजुला रहा है।

क्या होनी चाहिए रणनीति

आगामी चुनावों को देखते हुए अब सवाल यह है कि ये पार्टियां किस राह पर चलेंगी।

क्या करेगा एनडीए

बीजेपी आलाकमान ने साफ कर दिया है कि एनडीए में कोई बड़ा या छोटा नहीं है। हर दल को उसके प्रदर्शन के आधार पर सीटें मिलेंगी। 243 में 100-100 के फॉर्मूले पर बीजेपी और जदयू लड़ेंगे। बाकी छोटे दलों में बंटेंगी। चुनाव में ये दल फिर से बड़े पैमाने पर पुराने चेहरों पर भरोसा जता सकता हैं, क्योंकि इनके पास जीते व जमाए उम्मीदवारों की लंबी फेहरिस्त है। बीजेपी संगठनात्मक रूप से नए ओबीसी और दलित चेहरों को भी आगे लाकर संतुलन साधने की कोशिश कर सकती है।

राजद क्या करेगा

तेजस्वी यादव कह चुके हैं कि उनकी पार्टी सभी 243 सीट पर चुनाव लड़ेगी। इस बयान से मायने लगाए गए थे कि वह महागठबंधन से अलग लड़ेंगे। हालांकि बाद में उन्होंने साफ किया कि INDIA Bloc में कोई गड़बड़ नहीं है। सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन पार्टी को यह समझना होगा कि केवल युवा चेहरे से चुनाव नहीं जीते जाते, संगठनात्मक पकड़ और जातीय आधार का प्रबंधन भी उतना ही जरूरी है। इसलिए राजद चुनाव में पुराने नेताओं और युवाओं का मिलाजुला आंकड़ा पेश कर सकती है।

कांग्रेस का रुख

कांग्रेस का रुख साफ है। उसने अपने पुराने विधायकों के साथ इस बार चुनाव लड़ने का मन बनाया है। हालांकि वह 65 सीट मांग रही है लेकिन सबसे बड़ी चुनौती है संगठन की कमजोरी और जमीन पर उपस्थिति। गठबंधन की राजनीति में खुद को शामिल रखने के लिए नए व सक्रिय स्थानीय नेताओं को भी आगे लाना होगा।

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