MP News: इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर को लेकर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज हो गई है। एमपीआईडीसी ने किसानों से सहमति-पत्र लेकर रजिस्ट्री शुरू कर दी, जिससे परियोजना की औपचारिक शुरुआत मानी जा रही है।
Indore Pithampur Economic Corridor: प्रदेश की सबसे महत्वाकांक्षी औद्योगिक परियोजनाओं में से एक इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर को लेकर जमीन अधिग्रहण (land acquisition) की प्रक्रिया अब निर्णायक दौर में पहुंच गई है। मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम ने परियोजना से जुड़ी भूमि के लिए जमीन मालिकों से सहमति-पत्र लेने और रजिस्ट्री करवाने की प्रकिया शुरु कर दी है।
इस दिशा में निगम ने कई गांवों में शिविर (कैंप) आयोजित कर भू-स्वामियों से संवाद भी बढ़ाया है। इस योजना के तहत भैंसलाय गांव के दो किसानों ने अपनी 5.58 हेक्टेयर से अधिक जमीन एमपीआईडीसी के नाम रजिस्ट्री कर दी, जिससे परियोजना की औपचारिक शुरुआत मानी जा रही है। निगम अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही अन्य गांवों में भी इसी तरह रजिस्ट्री प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। (mp news)
कॉरिडोर की कुल लंबाई करीब 20 किलोमीटर है, जिसमें 75 मीटर चौड़ी सड़क का निर्माण प्रस्तावित है। यह मार्ग इंदौर और पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र को आपस में जोड़ते हुए नए औद्योगिक निवेश, लॉजिस्टिक पार्क और वेयरहाउसिंग सुविधाओं के लिए रास्ता खोलेगा। हालांकि कुछ क्षेत्रों में सीमांकन और राजस्व अभिलेखों के अंतर के कारण काम में थोड़ी सुस्ती बनी हुई है।
इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर को प्रदेश की औद्योगिक रीढ़ कहा जा रहा है। इससे न केवल इंदौर और पीथमपुर की औद्योगिक इकाइयों को बेहतर सड़क और लॉजिस्टिक कनेक्टिविटी मिलेगी बल्कि नई निवेश संभावनाओं, रोजगार के अवसरों और औद्योगिक क्लस्टर विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, परियोजना से जुड़ी भूमि का अधिग्रहण यदि इसी रतार से आगे बढ़ता है तो आगामी वर्ष के मध्य तक कॉरिडोर निर्माण का प्रारंभिक चरण शुरु किया जा सकता है।
कॉरिडोर में कुल 17 गांवों की जमीन शामिल की गई है, जिसमें लगभग 3200 एकड़ क्षेत्र अधिग्रहण के दायरे में है। हालांकि इस प्रक्रिया को लेकर कई जमीन मालिकों ने आपत्तियां भी दर्ज करवाई थीं। स्थानीय स्तर पर सुनवाई के बाद करीब 450 से अधिक अपीलें भोपाल स्थित अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष लंबित हैं, जिनकी सुनवाई फिलहाल जारी है।
राज्य सरकार ने जमीन मालिकों को संतुष्ट करने के लिए लैंड पूलिंग एक्ट के तहत नई योजना लागू की है। इसके तहत भूस्वामी चाहें तो अपनी जमीन के बदले 60 प्रतिशत विकसित भूखंड वापस पा सकते हैं। वहीं जो नकद मुआवजा चाहते हैं, वे शासन की भूमि कय नीति के तहत भुगतान प्राप्त कर सकते हैं। निगम अधिकारियों का दावा है कि इस नई नीति से जमीन मालिकों की सहमति बढ़ रही है।
अफसरों के मुताबिक निगम ने गांव-गांव जाकर किसानों और जमीन मालिकों से चर्चा शुरु की है। पिछले तीन महीनों में सौ से अधिक प्रमुख किसानों के साथ बैठकें की गई हैं। कई ग्रामीण अब सहमति-पत्र देने के लिए तैयार हो रहे हैं। निगम का कहना है कि परियोजना से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास, रोजगार और लाभांश से संबंधित प्रावधान भी योजना में जोड़े जा रहे हैं। (mp news)