Uttar Pradesh News: इलाहाबाद HC ने एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि विवाहित बेटी को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है।
Uttar Pradesh News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की एक खंडपीठ का कहना है कि आश्रित विवाहित बेटी को अनुकंपा नियुक्ति (compassionate appointment) देने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश की पीठ के फैसले को पलटते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (DBEO) देवरिया को निर्देश दिया है कि वह 8 हफ्तों के भीतर अपीलकर्ता की अनुकंपा नियुक्ति के दावे पर नए सिरे से विचार करें।
मामले के मुताबिक, पूर्व प्राथमिक विद्यालय गजहड़वा ब्लॉक बनकटा, तहसील भाटपाररानी में सहायक अध्यापक के पद पर देवरिया निवासी चंदा देवी के पिता संपूर्णानंद पांडेय कार्यरत थे। 2014 में सेवा के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गई थी। इसके बाद अनुकंपा के आधार पर चंदा देवी ने नियुक्ति के लिए आवेदन किया। देवरिया DBEO ने दिसंबर 2016 में चंदा देवी की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वह विवाहित हैं और इसलिए पिता की मृत्यु के कारण अनुकंपा नियुक्ति पाने के लिए अयोग्य हैं।
इस आदेश को चंदा देवी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। मई 2025 में उनकी याचिका एकलपीठ ने खारिज कर दी। एकल पीठ ने माना कि अनुकंपा नियुक्ति की विवाहित बेटी भी पात्र है। हालांकि चंदा देवी इस बात को साबित करने में विफल रहीं कि उनके पति बेरोजगार हैं और वह अपने पिता पर आश्रित थी। कोर्ट ने कहा कि चंदा देवी के पिता का निधन 2014 में हो गया था। इसको 11 साल बीत गए हैं ऐसे में इस दावे पर विचार नहीं किया जा सकता है।
जिसके बाद चंदा देवी ने एकल पीठ के खिलाफ विशेष अपील दाखिल की। खंडपीठ ने पक्षों को सुनने के बाद कहा कि विमला श्रीवास्तव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य (2015) में इस न्यायालय की खंडपीठ के फैसले के मद्देनजर महिला को लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता।
चंदा की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए, न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 12 अगस्त के अपने आदेश में एकल न्यायाधीश के 15 मई, 2025 के आदेश को रद्द कर दिया और मामले को देवरिया के जिला शिक्षा अधिकारी (DBEO) को वापस भेज दिया। खंडपीठ ने कहा, "यह स्पष्ट किया जाता है कि अपीलकर्ता को इस आधार पर अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता कि वह एक विवाहित पुत्री है, क्योंकि एकल न्यायाधीश द्वारा माना गया उक्त आधार टिकने योग्य नहीं है।"