JPL Coal Mine: जनसुनवाई के दौरान विरोध कर रहे एक व्यक्ति ने मंच से मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री और जिला प्रशासन के अधिकारियों के लिए अपशब्दों का प्रयोग किया। इस घटना के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया।
JPL Coal Mine: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक में जिंदल पावर लिमिटेड (JPL) की प्रस्तावित कोल माइंस परियोजना को लेकर ग्रामीणों का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। तमनार ब्लॉक के 14 गांव के ग्रामीणों ने साफ कह दिया है कि वे किसी भी हालत में अपनी जमीन नहीं देंगे।
इस बीच, परियोजना के खिलाफ दो दिन पहले दौराभांत गांव में आयोजित जनसुनवाई विवादों के घेरे में आ गई। जनसुनवाई के दौरान विरोध कर रहे एक व्यक्ति ने मंच से मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री और जिला प्रशासन के अधिकारियों के लिए अपशब्दों का प्रयोग किया। इस घटना के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया।
जिला प्रशासन ने घटना की गंभीरता को देखते हुए जांच कराने की बात कही है। वहीं, भाजपा के कई नेताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की और कहा कि लोकतांत्रिक मंच पर इस तरह की अभद्र भाषा अस्वीकार्य है। उन्होंने दोषी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों ने यह भी स्पष्ट किया है कि उनका विरोध शांतिपूर्ण रहेगा और वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार आवाज उठाते रहेंगे।
दरअसल, रायगढ़ के तमनार ब्लॉक में कोल खदान के लिए JPL (JPL Coal Mine) को जमीन प्रस्तावित है, लेकिन ग्रामीण कोल खदान के खिलाफ हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रस्तावित खदान से उन्हें विस्थापन, पर्यावरणीय नुकसान और आजीविका पर संकट का खतरा है। उनका कहना है कि तमनार और आसपास का इलाका पहले से ही कंपनियों के कारण प्रदूषण की चपेट में है। भारी वाहनों की आवाजाही से सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। जल-जंगल-जमीन भी तेजी से नष्ट हो रहे हैं। प्रस्तावित कोयला खदान का हर हाल में विरोध करेंगे। विरोध के बीच आयोजित इस जनसुनवाई में स्थानीय निवासियों ने परियोजना को पूर्णतः निरस्त करने की मांग भी दोहराई।
तमनार ब्लॉक में प्रस्तावित गारे-पेलमा कोल ब्लॉक सेक्टर-1 की जनसुनवाई को लेकर ग्रामीणों का विरोध जारी है। 5 दिसंबर से ग्रामीण जनसुनवाई को निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं। इस आंदोलन में लगभग 14 गांवों के लोग शामिल हैं। ग्रामीण धौराभांठा स्कूल मैदान में धरने पर बैठे हैं। इनमें झरना, आमगांव, कोसमपाली, पतरापाली, जांजगीर, गोढ़ी, कसडोल, महलोई, सरसमाल सहित अन्य गांवों के लोग भी शामिल हैं। ग्रामीण किसी भी नई कंपनी या कोयला खदान को इस क्षेत्र में शुरू नहीं होने देना चाहते हैं।