Ganesh Utsav: गणेश पूजा उत्सव समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों ने उत्साह से भागीदारी करते हुए पत्रिका की पहल की सराहना की। दीपों से सजी जगमगाती थालियों से भगवान विघ्नहर्ता की सभी ने आरती की।
Ganesh Utsav: जैसे-जैसे अनंत चतुर्दशी तिथि नजदीक आ रही है, गणेश पूजा उत्सव बढ़ता जा रहा है। राजधानी की सबसे पुरानी सार्वजनिक गणेश उत्सव समिति पड़ाव गुढ़ियारी के 105वें पूजा उत्सव की धूम है। यहां भगवान शिव महिमा का जीवंत वर्णन देखने के लिए शाम होते ही श्रद्धालुओं की दो से तीन कतारें लग रही हैं। सोमवार को पत्रिका और गणेश उत्सव समिति ने संयुक्त रूप से महाआरती का आयोजन किया तो हजारों श्रद्धालु शामिल हुए।
पत्रिका की पहल पर उत्सव समिति के सदस्यों और श्रद्धालुओं ने घरों से लेकर पूजा पंडालों की मूर्तियों का ससम्मान विसर्जन करने का संकल्प लिया। 105 साल पुरानी इस पूजा उत्सव झांकी से अपील की गई कि तालाबों और नदी को प्रदूषित होने से बचाने में भागीदार बनेंगे।
गणेश पूजा उत्सव समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों ने उत्साह से भागीदारी करते हुए पत्रिका की पहल की सराहना की। दीपों से सजी जगमगाती थालियों से भगवान विघ्नहर्ता की सभी ने आरती की। इस अवसर पर संरक्षक महेश शर्मा, अध्यक्ष प्रकाश माहेश्वरी, मनोज राठी, पूर्व पार्षद विनोद अग्रवाल, वार्ड पार्षद राजेश कुमार देवांगन, किशन केडिया, निर्मल खेमका, सुरेंद्र दुग्गड, राकेश दुग्गड, मनीष गोपनका, संजय मित्रा, मोनू माहेश्वरी, घनश्याम देवांगन एवं रामकिशन जैस एवं उनकी पूरी टीम शामिल हुई। गुढ़ियारी पडाव झांकी के माध्यम से विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर स्वदेशी को अपनाओ का पोस्टर लगाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
Ganesh Utsav: गुढ़ियारी पडाव में गणेश झांकी वाटर प्रूफ तैयार की गई है। 15 हजार वर्गफीट में भगवान शिव की महिमा को अनेक रूपों में प्रदर्शित किया गया है। झांकी में तीन-तीन रास्ते बनाए गए हैं ताकि श्रद्धालुओं को परेशानी न हो। झांकी में प्रवेश करते हुए अर्ध नारेश्वर, शिव की बारात, राक्षसों का संहार, सावन पूजा, भगवान के सात फेरे का उत्सव, कैलाश मानसरोवर और शिव की जटाओं से निकलती गंगा की जलधारा आकर्षण का केंद्र है। यहां भगवान गणेश को नवग्रह के साथ विराजा गया है।