National Task Force Report: नेशनल मेडिकल कमीशन की ओर से एमबीबीएस व पीजी के छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को जानने के लिए बनाई गई नेशनल टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है।
National Task Force Report: देशभर के 65.5 फीसदी एमबीबीएस छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ देना चाहते हैं। 34 फीसदी छात्र ही कैरिकुलम से संतुष्ट हैं। जबकि 39 फीसदी छात्र अकेलेपन का शिकार हैं। यही नहीं 28 फीसदी छात्र किसी न किसी मानसिक परेशानी का शिकार हैं। 36 फीसदी छात्र परीक्षा के कारण तनाव लेते हैं। 51.6 फीसदी को फेल होने का भी डर रहता है। यह चौंकाने वाला खुलासा नेशनल मेडिकल कमीशन एनएमसी द्वारा गठित नेशनल टास्क फोर्स की रिपोर्ट में हुआ है।
यह ऑनलाइन सर्वे एमबीबीएस व पीजी छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर किया गया था। इसमें एमबीबीएस के 25590, पीजी के 5337 छात्रों व 7035 फैकल्टी ने हिस्सा लिया था। सर्वे का खुलासा चौंकाने वाला इसलिए भी है, क्योंकि एमबीबीएस व एमडी-एमएस में एडमिशन के लिए इतनी मारामारी है कि इस साल नीट यूजी में 24 लाख व पीजी में ढाई लाख से ज्यादा छात्र शामिल हुए।
एडमिशन के बाद छात्र अगर पढ़ाई पूरी नहीं करना चाहते हैं तो इसमें माहौल का भी असर हो सकता है। दरअसल सर्वे में हॉस्टल व वॉर्डन को भी शामिल किया गया था। ज्यादातर छात्र न होस्टल के माहौल से खुश है और न कॉलेज के वार्डन के रवैये से। सर्वे में छत्तीसगढ़ के छात्रों ने भी भाग लिया था, लेकिन इसकी संया कितनी है, स्पष्ट नहीं है।
सर्वे में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि एमबीबीएस के पहले तीन साल काफी मुश्किलों भरा होता है। इस दौरान छात्रों में खुदकुशी का याल ज्यादा आता है। 39 फीसदी छात्र हॉस्टल में रहने व पढ़ाई के दौरान अकेलापन महसूस करते है।
यही कारण है कि उन्हें खुदकुशी का याल आता है। सर्वे के अनुसार देश के मेडिकल कॉलेजों में 65.5 फीसदी छात्र शहरी होते हैं। जबकि, महज 16 फीसदी छात्र ग्रामीण। 84.5 फीसदी छात्र अंग्रेजी माध्यम वाले होते हैं। 86 फीसदी छात्रों की परिवार की आय एक से 20 लाख रुपए सालाना होती है। वहीं साढ़े 16 फीसदी छात्र ज्वाइंट फैमिली से आते हैं। जबकि 84 फीसदी एकल परिवार से आते हैं।
National Task Force Report: सर्वे में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि 72 फीसदी से ज्यादा पीजी छात्रों ने कहा कि वे मिल रहे स्टायपेंड से खुश नहीं है। बावजूद अस्पताल का पूरा वर्कलोड उनके ऊपर रहता है। छत्तीसगढ़ में पीजी को हर माह 65 से 75 हजार रुपए स्टायपेंड दिया जा रहा है। यही स्टायपेंड निजी मेडिकल कॉलेज के छात्रों को भी दिया जा रहा है।