रायपुर

Raipur: नेत्रदान के लिए आगे आया महाराष्ट्रीयन स्वर्णकार समाज

Chhattisgarh: रायपुर के तात्यापारा निवासी ओमप्रकाश लेले के महादान से अब देखे सकेंगे दो बच्चे

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आत्मा अमर है, शरीर नश्वर है, पंचतत्व में इसका मिलना तय है, इसलिए नश्वर शरीर से यदि किसी की ज़िंदगी में रौशनी भर जाए तो इससे बड़ी बात क्या होगी। भगवत गीता के इस ज्ञान को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर (Raipur) के तात्यापारा निवासी ओमप्रकाश लेले के परिवार ने चरितार्थ किया।

नेत्रदान महादान अभियान में लगे विक्रम हिशीकर ने बताया कि परिवार में हुए शोक के समय भी स्थिर रहकर, अपना गम भूलकर दो दृष्टिहीनों की ख़ुशी के लिए स्व. ओमप्रकाश नारायण राव लेले (74 वर्ष) का नेत्रदान (Eye Donation) परिजनों ने कराया। ओमप्रकाश लेले का 25 नवंबर को सुबह 9 बजे निधन हो गया था। आंखों का महत्व समझते हुए शोक संतप्त छोटे भाई नंदकिशोर और उनकी पत्नी अलका नंदकिशोर द्वारा उनके नेत्र दान का निर्णय लिया गया। तब एक निजी अस्पताल के सहयोग से उनका नेत्रदान संपन्न कराया गया।

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यहां यह बताना लाजिमी होगा कि महाराष्ट्रीयन स्वर्णकार समाज में लेले परिवार अपनी विनम्रता और सहयोग के लिए अलग स्थान रखता है। आज दोपहर मारवाड़ी मुक्तिधाम में समाज के वरिष्ठजनों की उपस्थिति में हुए उनके अंतिम संस्कार में नेत्रदान के लिए परिवार को साधुवाद दिया गया। दो 2 दृष्टिहीन बच्चे अब ओमप्रकाश लेले की आंखों (Eyes) से इस सुंदर दुनिया को देख सकेंगे, शोक की बेला में इस बात का सुकून उनके परिजनों के चेहरों से झलक रहा था।

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