NEET Counseling: केवल चार घंटे दोबारा ऑनलाइन च्वाइस फिलिंग का मौका दिया गया था। इसमें केवल एक छात्र ने च्वाइस फिलिंग की और रायपुर जैसे प्रदेश के सबसे बड़े व प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हो गया।
NEET Counseling: पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में सेंट्रल पूल की एक सीट खाली रहना एक छात्र के लिए वरदान साबित हुआ। दरअसल इस सीट को स्टेट कोटे से जनरल केटेगरी से भरा गया। इसमें महज 595 नीट स्कोर वाले छात्र का एडमिशन हो गया है। इसके लिए नीट क्वालिफाइड छात्रों को 4 नवंबर को शाम 6 से रात 10 बजे तक यानी केवल चार घंटे दोबारा ऑनलाइन च्वाइस फिलिंग का मौका दिया गया था। इसमें केवल एक छात्र ने च्वाइस फिलिंग की और रायपुर जैसे प्रदेश के सबसे बड़े व प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हो गया।
छात्र की आल इंडिया रैंक 82821 व सीजी रैंक 695 है। नीट स्कोर 595 वाले किसी भी छात्र को सरकारी मेडिकल कॉलेज नहीं मिला इसलिए यह छात्र अब तक प्रवेश नहीं लिया था। छात्र की किस्मत ऐसी चमकी कि स्पेशल स्ट्रे राउंड दो में उन्हें रायपुर में एमबीबीएस की सीट मिल गई। वहीं निजी कॉलेजों बालाजी, रिम्स, रावतपुरा, अभिषेक व शंकराचार्य की सभी 700 सीटें भी भर गईं। सरकारी मेडिकल कॉलेजों की सीटें मापअप राउंड के समय ही भर गईं थीं। वैसे भी एमबीबीएस की सीटें खाली नहीं रहती। तीन साल पहले जरूर सरकारी मेडिकल कॉलेजों की 22 सीटें लैप्स हो गई थीं।
दरसअल तब दुर्ग कॉलेज को देरी से मान्यता मिली। इसलिए वहां आल इंडिया व सेंट्रल पूल की सीटें खाली रहीं और लैप्स हो गईं। ऐसा ही महासमुंद व कोरबा कॉलेज में हुआ था। इसके बाद या पहले एमबीबीएस की सीटें भरती रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार फिलहाल अगले 10 सालों तक एमबीबीएस की सीटें खाली रहें, इसकी संभावना कम है। सरकारी नौकरी मिलने की गारंटी के साथ प्राइवेट प्रेक्टिस की संभावना के कारण ज्यादातर छात्र डॉक्टर बनना चाहते हैं। यही कारण है कि एक-एक सीट के लिए मारामारी की स्थिति रहती है।