MP News: अंकसूचियां भले ही संबंधित वेबसाइटों पर दिख रही थीं, पर बनावट, भाषा और फॉर्मेट संदिग्ध था.....
MP News: विभिन्न राज्यों से फर्जी अंकसूची बनवाने वाले रैकेट का खुलासा जिले की आंगनबाड़ी भर्ती में हुआ है। कार्यकर्ता और सहायिका के पदों के लिए 70 आवेदकों ने मध्यप्रदेश बोर्ड के बजाय उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के बोर्ड की अंकसूचियां लगाईं। अब इनके पद होल्ड किए गए हैं। अंकसूचियां भले ही संबंधित वेबसाइटों पर दिख रही थीं, पर बनावट, भाषा और फॉर्मेट संदिग्ध था। ये बोर्ड, माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा जारी 216 वैध बोर्ड की सूची में भी नहीं हैं। विभाग का दावा है कि समय रहते धांधली का खुलासा कर लिया गया।
जिले में फर्जी अंकसूची बनाने वाला गिरोह सक्रिय है। यह गिरोह 40-50 हजार रुपए लेकर 10वीं, 12वीं की फर्जी अंकसूची तैयार कर देता है। बीते वर्षों की भर्तियों में भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। राजगढ़ के कम्प्यूटर सेंटर संचालक भाई कुणाल और राजू मेवाड़े पर एफआइआर दर्ज है। कोतवाली और खिलचीपुर थानों में भी प्रकरण दर्ज हैं, लेकिन पुलिस अब तक आरोपियों को पकड़ नहीं पाई है।
आपत्ति समिति के सामने कई ऐसे मामले आए, जिन्होंने फर्जीवाड़े की पुष्टि कर दी। एक महिला 93% अंकों की अंकसूची लेकर आई। वह नहीं बता सकी कि 12वीं में विषय कौन-कौन से थे। कई महिलाएं साधारण हिन्दी वाक्य तक नहीं पढ़ सकीं, जबकि अंकसूची में 80-90% अंक थे।
महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुसार जिनकी अंकसूचियां संदिग्ध या अमान्य मिलीं, उनके आवेदन रद्द कर मेरिट सूची में दूसरे, तीसरे स्थान पर रहीं महिलाओं को नियुक्ति में प्राथमिकता दी जा रही है। विभाग ने अभ्यर्थियों को विकल्प दिया है कि वे जिला स्तरीय आपत्ति समिति, उसके बाद एडीएम कोर्ट में अपील कर सकते हैं।
खिलचीपुर के नाटाराम निवासी कुमैरसिंह ने पत्नी के आवेदन के लिए 50 हजार रुपए देकर दिल्ली बोर्ड की 10वीं-12वीं की अंकसूची बनवाई। जांच में पता चला कि ऐसा कोई बोर्ड है ही नहीं। कर्नाटक बोर्ड के नाम पर बनाए गए एक अन्य आवेदक की अंकसूची भी जाली पाई गई।